सन्मार्ग संवाददाताकोलकाता : पश्चिम बंगाल में इस बार का लोकसभा चुनाव अति महत्वपूर्ण होने जा रहा है। एक ओर तृणमूल अपनी साख बचाने में जुटी है तो वहीं दूसरी भाजपा हमलावर मुद्रा में हैं। भ्रष्टाचार व संदेशखाली जैसे मुद्दे मुंह बाये खड़े हैं। इधर, राज्य की तीसरी ताकत मसलन माकपा-कांग्रेस गठबंधन भी फिर से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए बेताब है। इस तरह यहां चुनाव में सभी 42 सीटों पर टकराव की बिसात बिछ चुकी है।ममता बनर्जी के ‘एकला चलो रे’ के रुख को अपनाने के साथ उनके विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की संभावना समाप्त हो गई है। भाजपा राज्य के मतदाताओं को लुभाने के लिए पहले की तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व और उनकी लोकप्रियता का सहारा लेगी। भ्रष्टाचार व नारी उत्पीड़न उसका प्रमुख हथियार है जबकि तृणमूल के लिए ममता बनर्जी का करिश्मा और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की कड़ी मेहनत है। केन्द्र सरकार द्वारा राज्य के साथ सौतेला व्यवहार तथा 100 दिन राजगार के पैसे नहीं देने का मुद्दा तृणमूल प्रमुखता से उठाने वाली है। राजनीति के जनाकारों के अनुसार इस बार बंगाल में काफी रोचक व आश्चर्यजनक परिणाम सामने आ सकते हैं। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने हाल में कई प्लेटफार्मों पर कहा भी कि बंगाल में इस बार कुछ अलग ही होने जा रहा है।