सांतरागाछी झील के लिए KMDA ने तैयार की 28.82 करोड़ की डीपीआर | Sanmarg

सांतरागाछी झील के लिए KMDA ने तैयार की 28.82 करोड़ की डीपीआर

लैंड लीज फीस माफ करने को लेकर फंसा है मामला

एनजीटी ने कहा, जल्द से जल्द चालू करें काम, दें रिपोर्ट

कोलकाता : सर्दी के मौसम में प्रवासी प​क्षियों के आने के लिये प्रख्यात हावड़ा का सांतरागाछी झील पिछले कुछ समय से प्रदूषण की भारी मार झेल रहा है। इसे लेकर पर्यावरणविद सुभाष दत्ता की ओर से एनजीटी में मामला दायर किया गया था। पिछली सुनवाई में इस संबंध में राज्य के मुख्य सचिव को एफिडेविट दायर करने का निर्देश एनजीटी ने दिया था। इस मामले में मुख्य सचिव ने एफिडेविट दायर किया है जिसमें कहा गया है कि सांतरागाछी झील से प्रदूषण को समाप्त करने के अलावा पम्पिंग स्टेशन और सिवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के लिए कोलकाता मेट्रोपोलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (केएमडीए) ने 28.82 करोड़ रुपये की डीपीआर तैयार की है। बताया गया कि वित्तीय अनुमोदन मिल चुका है और टेंडरिंग प्रक्रिया के बाद ही वर्क ऑर्डर जारी कर दिया जायेगा।

फीस माफी का प्रस्ताव रेलवे ने नकारा : एफिडेविट में यह भी कहा गया है कि गत 21 मई 2024 को शहरी विकास व पालिका मामलों के विभाग ने दक्षिण पूर्व रेलवे को सांतरागाछी झील के आस-पास गार्लेंड ड्रेन के निर्माण के लिए लैंड लीज फीस पूरी तरह माफ करने का प्रस्ताव दिया था।

इस गार्लेंड ड्रेन का निर्माण 1,92,42,196.94 करोड़ रुपये की लागत से किया जाना है। हालांकि दक्षिण-पूर्व रेलवे द्वारा इस बाबत गत 30 मई 2024 को पत्र भेजकर कहा गया कि रेलवे बोर्ड की मास्टर सर्कुलर पॉलिसी के अनुसार, लैंड लीज फीस पूरी तरह माफ करने का कोई प्रावधान नहीं है।

रेलवे की जमीन ली जायेगी लीज पर : एफिडेविट में राज्य सरकार का पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा गया कि शहरी विकास व पालिका मामलों के विभाग ने सूचित किया है कि गत 6 मई 2024 को लैंड लीज अग्रीमेंट केएमडीए और दक्षिण-पूर्व रेलवे के बीच निष्पादित किया जा चुका है। इसके तहत सांतरागाछी झील में 14,962 स्क्वायर मीटर की जमीन अस्थायी तौर पर एसटीपी (सिवेज ट्रीटमेंट प्लांट) के लिये लीज पर दी जायेगी। केएमडीए ने 35 वर्षों के लिए कुल 2,44,588 रुपये लैंड लाइसेंस फीस दी है।

एनजीटी ने दिया यह निर्देश

इस मामले में एनजीटी ने निर्देश दिया है कि सांतरागाछी झील में पर्यावरण संतुलन बनाने के काम में देरी वित्तीय बाधाओं के कारण नहीं होनी चाहिये। राज्य सरकार को द.पू. रेलवे के साथ अपने विवादों को सुलझाना होगा और इसी दौरान एक समय सीमा के अंदर सांतरागाछी झील का काम भी पूरा करना होगा। हालांकि राज्य सरकार द्वारा अब तक कोई समय सीमा नहीं बतायी गयी है। मामले की अगली सुनवाई 11 सितम्बर को होगी और 6 सप्ताह के अंदर पुनः मुख्य सचिव को एफिडेविट देकर बताना होगा कि डीपीआर का काम कितना आगे बढ़ा है। इस मुद्दे पर पर्यावरणविद सुभाष दत्ता ने कहा ​कि वर्ष 2021 में डीपीआर तैयार की गयी थी, लेकिन अब तक काम इसके आगे नहीं बढ़ पाया है। 2017 से यह मामला चालू है, लेकिन अब तक कोई काम नहीं हो पाया है।

 

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