कोलकाता : महानगर के सरकारी अस्पताल दलालों से त्रस्त हैं। रात की कौन कहे, दिन के उजाले में ही दलालों की फौज मंडराती नजर आती है। दूरदराज के जिलों से मरीज महानगर के सरकारी अस्पतालों में अच्छे इलाज व बेहतर सुविधाओं के लिए आते हैं। लेकिन दलालों में झांसे में आकर निशुल्क इलाज के लिए भी मोटी रकम हाथ धो बैठते हैं। ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी इन तथ्यों से वाकिफ नहीं है। लेकिन कार्रवाई के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
कुछ निजी सुरक्षाकर्मियों के शह पर सक्रिय हैं दलाल : आरोप है कि अस्पतालों में 24 घंटे दलालों की सक्रियता रहती है। सुबह से लेकर शाम तक रजिस्ट्रेशन काउंटर के पास दलालों का जमावड़ा रहता है। इमरजेंसी विभाग के पास देर रात तक दलाल बने रहते हैं। जबकि महिला व प्रसूती विभाग में साए की तरह इनकी मौजूदगी रहने का आरोप है। इन दलालों को अस्पताल में तैनात कुछ प्राइवेट सुरक्षाकर्मी की भी शह मिलती है। इन दलालों की एंबुलेंसकर्मियों व नियोजन पर बहाल कर्मियों के साथ भी सांठगांठ होती है। अस्पताल में हादसों की शिकार या गंभीर बीमारियों से जूझते मरीज पहुंचते ही ये दलाल सक्रिय हो जाते हैं।
ठगे जा रहे हैं मरीज : सरकारी अस्पतालों में दिशा- निर्देश का पालन नहीं किए जाने के कारण ही अधिकांश मरीज दलालों के चंगुल फंसते हैं। इलाज को पहुंचे मरीज और उनके परिजन स्वास्थ्यकर्मी व दलाल में अंतर नहीं कर पाते। अस्पताल के अधिकतर स्वास्थ्यकर्मी न तो ड्रेस कोड का पलान करते हैं, न हीं कोई आई कार्ड रखते हैं। जिससे मरीजों को काफी परेशानी होती है। इन कुव्यवस्थाओं के खिलाफ प्रशासन की ओर से कभी औचक निरीक्षण भी नहीं किया जाता। रजिस्ट्रेशन काउंटर, दवा वितरण काउंटर, सहित किसी भी वार्ड में दलालों से सावधानी बरतने को लेकर कोई संदेश तक नहीं।