नई दिल्ली : दिल्ली-एनसीआर में आंखों में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इन्हें कोविड संक्रमण से जोड़कर देखा जा रहा है। कई एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि यह अत्यधिक संक्रामक है और इसके प्रसार को रोकने के लिए स्वच्छता बनाए रखने की आवश्यकता है। सरकारी और प्राइवेट दोनों अस्पतालों के डॉक्टर्स ने कहा कि दिल्ली में बड़ी संख्या में युवाओं में ऐसे मामले मिल रहे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह आंखों की रोशनी के लिए खतरनाक नहीं है, लेकिन इसमें डॉक्टर्स की सलाह जरूरी है।
डॉक्टर ने बताया कि हाल ही में दिल्ली में आंखों के संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। इस संक्रमण में खांसी, सर्दी और सांस लेने में दिक्कत होती है। यह मौसम में बदलाव की वजह से फैलता है। इसमें बैक्टीरिया का संक्रमण और एलर्जी भी बढ़ जाती है। हालांकि उन्होंने दावा किया कि लाल आंखों के साथ नए नेत्र संक्रमण को नया कोविड जैसी महामारी कहा जा सकता है क्योंकि यह एक तरह का आई फ्लू है।
100 में से 10-15 संक्रमण के मामले
गुरुग्राम के मैक्स अस्पताल की मैक्स आई केयर की डायरेक्टर डॉ. पारुल शर्मा ने कहा कि इस बार वायरल कंजंक्टिवाइटिस का संक्रमण बीते सालों की तुलना में बहुत अधिक है। ओपीडी में आने वाले 100 रोगियों में से 10-15 मामले यहीं हैं। हालांकि कई मरीज ऑनलाइन कंसल्ट कर रहे हैं अगर वास्तविक संख्या देखी जाए तो अधिक होगी। इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति किसी भी सतह को छूता है तो वह दूषित हो जाती है और जब दूसरा इसे छूता है और फिर अपनी आंखें छूता है तो वह भी प्रभावित होता है।
दिल्ली के स्कूलों में भी बढ़े मरीज
दिल्ली के अलग-अलग स्कूलों से कंजंक्टिवाइटिस और आंखों के संक्रमण के मामले भी सामने आ रहे हैं। एक निजी स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा कि हमारे स्कूल में आंखों के संक्रमण के कई मामले हैं। आंखों के संक्रमण वाले छात्र 2-3 दिनों के लिए स्कूल नहीं जा रहे हैं, लेकिन टाइफाइड और पेट के संक्रमण के लिए छात्र कम से कम एक सप्ताह की चिकित्सा छुट्टी ले रहे हैं।
Eye Flu के क्या हैं लक्षण?
इसके लक्षण की बात करें तो आंखों में पानी आना, उनका लाल होना, फोटोफोबिया, आंख की परत में रक्तस्राव इसके अहम लक्षण हैं।
संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए आंखों को कम से कम छूना चाहिए। दूसरों के साथ इसके संपर्क से बचना चाहिए और संक्रमण होने पर स्कूली बच्चों को 3-5 दिनों के लिए अलग रखना चाहिए, जिसके बाद अगर इलाज शुरू किया जाए तो वे ठीक हो सकते हैं।