– मधुर चतुर्वेदी
मोटापा और डायबिटीज का बड़ा कारण है इंसुलिन रेजिस्टेंस
कोलकाता : आज के समय में बढ़ता मोटापा डायबिटीज जैसे कई बड़ी बीमारियों का कारण है। मोटापा खुद में ही एक ऐसी बीमारी है, जो शरीर में हजारो बीमारियों को जन्म दे सकती है। मोटापे से शिकार लोगों में सबसे ज्यादा इंसुलिन रेजिस्टेंट की समस्या देखी जाती है, खासतौर पर उनमें, जो मोटापा के शिकार होते हैं। इंसुलिन हार्मोन, रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस तब होता है जब, शरीर की कोशिकाएं इस हार्मोन के प्रति सामान्य रूप से प्रतिक्रिया नहीं करती हैं। इससे ग्लूकोज कोशिकाओं में आसानी से प्रवेश नहीं कर पाता और इसकी मात्रा खून में बढ़ने लगती है। यही कारण है कि इससे टाइप-2 डायबिटीज रोग होने का जोखिम बढ़ जाता है। लेकिन इंसुलिन रेजिस्टेंस सिर्फ ब्लड शुगर बढ़ने और डायबिटीज के लिए ही समस्याकारक नहीं है, यह स्थिति शरीर में कई अन्य प्रकार की गंभीर बीमारियों को भी बढ़ाने वाली हो सकती हैं।
10 से 18 वर्ष के युवाओं में बढ़ रही है प्री डायबिटीज की शिकायत
मेडिका सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉ. हमादुर रहमान ने बताया कि महानगर में वह वयस्क व्यक्ति जिसे मोटापे की शिकायत है, वह इंसुलिन रेजिस्टेंस से ग्रसित हैं। महानगर में हर दो में से एक वयस्क व्यक्ति में इंसुलिन रेजिस्टेंस के लक्षण हैं। वहींं बीते कुछ महीनों में युवा वर्ग विशेषकर 10 से 18 वर्ष के युवाओं में इसके लक्षण तेजी से फैले हैं। उन्होंने बताया कि मोटापे से ग्रसित इस आयु वर्ग के करीब 10 से 15 प्रतिशत युवाओं में प्री डायबिटीज की शिकायत पाई गयी है। डॉ. रहमान ने बताया कि केवल कोलकाता ही नहीं देश के अधिकांश मेट्रो शहर के वयस्क व्यक्तियों में इंसुलिन रेजिस्टेंस की शिकायत पाई जाती है।
बढ़ने लगती हैं मेटाबॉलिज्म की दिक्कतें
फोर्टिस हॉस्पिटल के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के डॉ. सत्यम चक्रवर्ती ने बताया कि इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या का सबसे बड़ा जोखिम मेटाबॉलिक सिंड्रोम के रूप में देखा जाता है। इसके कारण ओबिसीटी विशेषकर कमर के आसपास अतिरिक्त फैट जमा हो जाता है जिससे हार्ट फेल्योर के जोखिम बढ़ जाते हैं।
महिलाओं की सेहत पर असर
इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या महिलाओं में कई प्रकार की दिक्कतों को बढ़ाने वाली मानी जाती है। डॉ. शायन ने बताया कि महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) के कारण प्रजनन और स्वस्थ बच्चे को जन्म देने में समस्याएं हो सकती हैं। यह समस्या मेनोपॉज की जटिलताओं और गर्भधारण में कई दिक्कतों का कारण बनती है।
त्वाचा का काला पड़ना
डॉ. बिनोद कुमार सिंह ने बताया कि इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण व्यक्ति के गर्दन, अंडरआर्म्स और कमर के चारों ओर एक काले रंग का पैच दिखने लगता है। इसे एसेंथोसिस निगरिकंस के रूप में जाना जाता है। डार्क स्किन पैच में मेलेनिन की मात्रा अधिक होती है, वे एक बैंड जैसी संरचना बनाते है, विशेष रूप से आपकी गर्दन के चारो ओर।
इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण
- गतिहीन जीवनशैली
- पेट के हिस्से में ज्यादा चर्बी
- धूम्रपान,शराब या नशीली दवाओं का हद से ज़्यादा उपयोग
- कुशिंग सिंड्रोम और एक्रोमेगाली जैसे हार्मोनल विकार
- फैटी लीवर
- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या पीसीओएस
- स्लीप एपनिया या अनिद्रा
- साइकाइट्रिक दवाएं जैसे एंटीडिप्रेसेंट और स्टेरॉयड
- इंसुलिन रेजिस्टेंस ठीक करने के प्राकृतिक उपाय
- नींद के पैटर्न में सुधार लाएं
- व्यायाम और कसरत करें
- हाई फाइबर आहार का सेवन करें
- फल और सब्जी पैलेट में विविधता लाएं
- ग्रीन टी पिएं
- कार्ब्स में कटौती करें
- ट्रांस फैट से परहेज़ करें