ओडिशा ट्रेन हादसा : अंधेरे में अपनों के टुकड़े तलाशते दिखे लोग | Sanmarg

ओडिशा ट्रेन हादसा : अंधेरे में अपनों के टुकड़े तलाशते दिखे लोग

चश्मदीद बोले- कहीं किसी का हाथ पड़ा था तो कहीं पैर
ओडिशा :
ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम करीब 7 बजे हुआ ट्रेन हादसा इतना भयानक था कि कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन के कई कोच तबाह हो गए। एक इंजन तो मालगाड़ी के रैक पर ही चढ़ गया। टक्कर इतनी भीषण थी कि खिड़कियों के कांच टूट गए और करीब 50 लोग बाहर जाकर गिरे।
अंधेरा होने के कारण रोते-बिलखते लोग अपनों को तलाशते रहे। कुछ को धड़ मिला, तो सिर नहीं। लोग चीखते हुए अपनों के टुकड़े बटोरते दिखे। हालात ऐसे थे कि बोगियों में फंसे बच्चों और महिलाओं को कोच से बाहर निकालने के लिए सीढ़ी का सहारा लेना पड़ा। ट्रेन में फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने के स्थानीय लोग भी देर रात तक जी-जान से जुटे दिखे। अस्पताल में भी घायलों की मदद के लिए कई लोग खड़े थे।
इस हादसे में अब तक 261 लोगों की मौत हो गई है। वहीं, 900 से ज्यादा लोग घायल हैं। ऐसे में मरने वालों का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। एक्सीडेंट में घायल हुए लोगों ने इस हादसे का जो आंखों-देखा हाल बताया, उससे समझा जा सकता है कि हादसा कितना भयावह था।
पढ़िए तीन पैसेंजरों की जुबानी इस हादसे की कहानी…
1. ऊपर वाली सीट पर पंखा पकड़कर बैठा रहा, फिर दूसरों की मदद की

एक पैसेंजर ने बताया कि हम S5 बोगी में थे और जिस समय हादसा हुआ उस उस समय मैं सोया हुआ था। तेज आवाज से मेरी नींद खुली। मैंने देखा कि ट्रेन पलट गई है। मेरी सीट ऊपर वाली थी, मैं वहां पंखा पकड़ कर बैठा रहा। ट्रेन में भगदड़ मच गई थी। लोग बचाओ-बचाओ चिल्ला रहे थे।
तभी पैंट्री कार में आग लग गई। हम दूसरी तरफ भागे, तो हमने देखा कि वहां मरे हुए लोग पड़े हैं जिसमें किसी का हाथ नहीं है, किसी का पैर नहीं है। तब तक कोई बाहरी व्यक्ति मदद के लिए नहीं आ पाया था। ट्रेन से बाहर निकलकर लोग ही एक-दूसरे की मदद कर रहे थे। अच्छी बात ये थी कि हमारी सीट के नीचे एक 2 साल का बच्चा था, जो बिल्कुल सुरक्षित था। हमने उसके परिवार को बचाने में मदद की।
2. ट्रेन पलटी तो 10 लोग मेरे ऊपर आकर गिरे, बाहर निकलकर कटी हुई लाशें देखीं
एक अन्य पैसेंजर ने बताया कि मुझे ट्रेन में नींद आ गई थी। तभी गाड़ी पलट गई। झटके से मेरी नींद खुली। मैं रिजर्व बोगी में था, लेकिन इसमें जनरल बोगी जैसे लोग भरे थे। मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि 10-12 लोग मेरे ऊपर पड़े हुए हैं। जब मैं ट्रेन से बाहर निकला तो देखा कि किसी का हाथ नहीं है, किसी का पैर नहीं है। किसी का चेहरा खराब हो चुका है। मुझे हाथ और गर्दन में चोट आई है।
3. मैं 6:40 पर बालासोर से ट्रेन में बैठा, 6:55 पर हादसा हो गया
एक पैसेंजर सौम्यरंजन शेट्टी ने बताया कि वे भद्रक ब्लॉक में रहते हैं और बालासोर में नौकरी करते हैं। शाम को घर जाने के लिए उन्होंने 6:40 बजे बालासोर से कोरोमंडल ट्रेन पकड़ी। 6:55 पर बहानगा स्टेशन पर कुछ आवाज आई और ट्रेन पलट गई। तब समझ आया कि ट्रेन का एक्सीडेंट हो गया है। जैसे ही ट्रेन रुकी, तो मैं पहले बाहर निकला। मेरे साथ जो तीन-चार लोग थे, उनका रेस्क्यू किया गया। एक आदमी मुझे पकड़कर नीचे लाया और पानी पिलाया। इसके बाद मुझे एम्बुलेंस में बिठाकर अस्पताल लाया गया।

 

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