नई दिल्ली: हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जोर दिया। शुक्रवार(20 अक्टूबर) को सुप्रीम कोर्ट ने सीवर सफाई के दौरान होने वाली मौत की घटनाओं पर गंभीर रुख अपनाया है। सफाई के दौरान होने वाली मौतों पर 30 लाख रुपए मुआवजा देने की बात कोर्ट ने कही है। SC ने कहा कि सरकारी अधिकारियों को मृतकों के परिजनों को 30 लाख रुपए मुआवजा देना होगा।
कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हाथ से मैला ढोने की प्रथा पूरी तरह खत्म हो जाए। जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने कहा कि सीवर की सफाई के दौरान स्थायी दिव्यांगता का शिकार होने वालों को न्यूनतम मुआवजे के रूप में 20 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा। फैसला सुनाते हुए जस्टिस भट ने कहा कि यदि सफाईकर्मी अन्य दिव्यांगता से ग्रस्त है तो अधिकारियों को 10 लाख रुपये तक का भुगतान करना होगा।
अदालत ने कई निर्देश जारी किए
पीठ ने निर्देश दिया कि सरकारी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने के लिए समन्वय करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं न हों और इसके अलावा, उच्च न्यायालयों को सीवर से होने वाली मौतों से संबंधित मामलों की निगरानी करने से न रोका जाए। यह फैसला एक जनहित याचिका पर आया। विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा है।
5 सालों में 347 लोगों की मौत
लोकसभा में पेश सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में भारत में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान कम से कम 347 लोगों की मौत हुई। जिनमें से 40 प्रतिशत मौतें उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में हुईं।