भारत सरकार का बड़ा कदम, लक्षद्वीप और मिनिकॉय द्वीप पर बनेगा नौसैनिक अड्डा

भारत सरकार का बड़ा कदम, लक्षद्वीप और मिनिकॉय द्वीप पर बनेगा नौसैनिक अड्डा
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नयी दिल्ली : केंद्र ने मालदीव के साथ पिछले कई कई महीनों से चल रहे तनावपूर्ण रिश्तों के बीच लक्षद्वीप के अगाती और मिनिकॉय द्वीपों पर नौसैनिक अड्डे बनाने का फैसला किया है। समझा जाता है कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की चुनाव जीतने के बाद से ही चीन से बढ़ती करीबी के बीच सरकार ने यह फैसला लेकर ने केवल क्षेत्र पर अपनी नजर और तेज की है वरन मालदीव के जरिये चीन को भी जता दिया है कि इस क्षेत्र में उसकी हर गतिविधि पर भारत की नजर है। इसके अलावा इस फैसले से लक्षद्वीप पर भारतीय नौसैनिकों के पदचिह्नों को और मजबूती मिलने की संभावना है।

मिनिकॉय मालदीव से मात्र 524 किलोमीटर की दूरी पर
लक्षद्वीप और मिनिकॉय द्वीप नौ डिग्री चैनल पर स्थित हैं, जिसके माध्यम से दक्षिण-पूर्व एशिया और उत्तरी एशिया के रास्ते में अरबों डॉलर का वाणिज्यिक व्यापार गुजरता है। मिनिकॉय द्वीप मालदीव से मात्र 524 किलोमीटर दूर है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 'आईएनएस विक्रमादित्य' और 'आईएनएस विक्रांत' वाहक कार्यबल, जिसमें लगभग 15 युद्धपोत शामिल हैं, के साथ 4-5 मार्च को नौसेना बेस 'आईएनएस जटायु' का उद्घाटन करने के लिए नौसेना के अधिकारियों के साथ मिनिकॉय द्वीप समूह की यात्रा भी करने वाले हैं।

संयुक्त कमांडर सम्मेलन का आयोजन 
भारतीय नौसेना की गोवा से कारवार से मिनिकॉय द्वीप से कोच्चि तक यात्रा करने वाले दो युद्धपोतों के साथ भारतीय विमान वाहक पर संयुक्त कमांडर सम्मेलन के पहले चरण को आयोजित करने की योजना है। संयुक्त कमांडर सम्मेलन का दूसरा चरण 6-7 मार्च को होगा। सरकार ने मिनिकॉय द्वीप समूह में नयी हवाईपट्टी बनाने और 'आईएनएस जटायु' में नौसैनिकों को तैनात करने की योजना के साथ अगाती द्वीप समूह में हवाई ट्टी को अपग्रेड करने का फैसला किया है। यह फैसला क्षेत्र की समुद्री सुरक्षा के समर्थन में भारत-प्रशांत में शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए अपने द्वीप क्षेत्रों का उपयोग करने की मोदी सरकार की रणनीति से मेल खाता है।

द्वीप क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के उन्नयन और पर्यटन को भी बढ़ावा 

गौरतलब है कि भारत पहले से ही ग्रेट निकोबार की कैंपबेल खाड़ी में नयी सुविधाओं के साथ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में अपनी बल क्षमता विकसित कर रहा है, लक्षद्वीप और मिनिकॉय द्वीप समूह को अपग्रेड करने का कदम न केवल वाणिज्यिक नौवहन की रक्षा करेगा बल्कि द्वीप क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के उन्नयन और पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।लक्षद्वीप और मिनिकॉय द्वीप समूह और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि भारत हिंद महासागर में तेजी से बढ़ती चीनी नौसेना और उनके समर्थकों की चुनौती का मुकाबला करते हुए समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा कर सकता है।

व्यापार मार्ग पर भारत का दबदबा 

स्वेज नहर या फारस की खाड़ी से दक्षिण पूर्व एशिया और उससे आगे तक मुख्य वाणिज्यिक नौवहन मार्ग नौ डिग्री चैनल (लक्षद्वीप और मिनिकॉय के बीच) और दस डिग्री चैनल (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के बीच) से होकर जाता है।इंडोनेशिया के सुंडा और लोम्बोक जलडमरूमध्य से होकर जाने वाले व्यापार मार्ग पर भी भारत का दबदबा है। वहीं मिनिकॉय द्वीप समूह के रास्ते में 'आईएनएस विक्रमादित्य' और 'आईएनएस विक्रांत' के वाहक कार्यबल देखने लायक होंगे क्योंकि उनके साथ विध्वंसक, फ्रिगेट और पनडुब्बियां होंगी। इस स्तर का बल प्रक्षेपण पहले कभी नहीं देखा गया है और यह प्रतिद्वंद्वी और उसके समर्थकों को हिंद महासागर क्षेत्र में किसी भी हरकत से पहले दो बार सोचने पर मजबूर कर देगा।

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