कोलकाता : सेंटर फॉर साइंस एण्ड एनवायरमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट में सामने आया है कि कोलकाता में राज्य के कई जिले प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हो रहे हैं, उनमें दुर्गापुर भी है। टॉप 10 प्रदूषित शहरों में दिल्ली, नोयडा, गजौला, जम्मू, मुजफ्फरपुर, अनपारा, गया, बड्डी, दुर्गापुर और उदयपुर शामिल हैं। बताया गया कि कई सेक्टरों पर फोकस नहीं किया जा रहा है जिनमें उद्योग, पावर प्लांट, परिवहन, सॉलिड फ्यूल आदि है।
पीएम का मतलब होता है पार्टिकुलेट मैटर , जो हवा के अंदर मौजूद सूक्ष्म कणों को मापते हैं और 2.5 और 10 हवा में मौजूद कणों के आकार को दर्शातें है। यानि कि पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) का आंकड़ा जितना कम होगा, हवा में मौजूद कण उतने ही छोटे होते हैं। पीएम 2.5 का स्तर धुएं से ज्यादा बढ़ता है यानि कि अगर हम कुछ चीजें वातावरण में जलाते हैं तो वो पीएम 2.5 का स्तर बढ़ाता है. ये धुएं, धूल आदि के कणों को दर्शाता है। वहीं पीएम 10 का मतलब होता है कि हवा में मौजूद कण 10 माइक्रोमीटर से भी छोटे हैं, जो आसानी से सांस के जरिए आप के फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं।
कई शहर टार्गेट नहीं कर पाये पूरा : मौजूदा पीएम10 के स्तर पर आधारित कई एनसीएपी शहर वर्ष 2022-23 में टार्गेट पूरा नहीं कर पाये हैं। कुल 90 में से 64 शहर टार्गेट पर नहीं पहुंच पाये। पीएम10 कंसेंट्रेशन टॉप 10 प्रदूषित शहरों में तय मापदण्ड से 2 से 3.5 गुना अधिक रहा। एनसीएपी के तहत वर्ष 2022-23 में पीएम10 कम करने के लिये हल्दिया को 65% टार्गेट मिला था जबकि वह 87% तक पहुंच पाया यानी टार्गेट से अधिक अचीव किया।
कोलकाता में 25% प्रदूषण सड़क की धूल से
सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार, कोलकाता में पीएम 2.5 के स्त्रोत पर किये गये सर्वे में पता चला है कि महानगर में 25% प्रदूषण सड़क की धूल से फैलता है जबकि 28% प्रदूषण घरेलू होता है। वहीं 24% प्रदूषण का कारण परिवहन है। महानगर में रोड डस्ट, डोमेस्टिक और परिवहन पीएम 2.5 के प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत हैं। ठण्ड के मौसम में पीएम 2.5 के स्त्रोत में 32% प्रदूषण सेकेंडरी एयरोसोल होते हैं जबकि 25% प्रदूषण का कारण ट्रांसपोर्टेशन/डीजी सेट्स होते हैं। इसी तरह 24% प्रदूषण का कारण लकड़ी/फ्यूल ऑयल है।