कोरोना काल के दौरान स्थितियों को देख चिंतित थे धनखड़

कोलकाताः देश के वर्तमान उप राष्ट्रपति जब पश्चिम बंगाल के तत्कालीन राज्यपाल थे उस समय कोरोना संकट पूरे विश्व में फैला था। पश्चिम बंगाल के लोगों को लेकर राज्यपाल के नाते वे काफी चिंतित थे। उस समय उन्होंने सन्मार्ग को दिये गये विशेष साक्षात्कार में कई गंभीर मुद्दों पर बात की थी। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

1 . प्र. बंगाल में कोरोना वायरस महामारी का वर्तमान परिदृश्य क्या है ?

उत्तर. सभी जानते हैं कि यहां लॉकडाउन लागू करने का काम करीब 75 फीसदी ही हुआ है। बाजारों में सोशल डिस्टेंसिंग की अनदेखी की जा रही है। पुलिस और प्रशासन की नाक के नीचे धार्मिक सभाएं आयोजित हो रही हैं। कोरोना वायरस को आमंत्रित करने वाले इन सभी उल्लंघनों को केवल क्षुद्र राजनीतिक लाभ के लिए अनदेखा किया जा रहा है। यह राजनीति करने का समय नहीं है। हम कोरोना महामारी से जंग लड़ रहे हैं। मुझे दुख है कि इतनी बड़ी महामारी की ‌स्थिति को लेकर भी राजनीति की जा रही है। जब हम कोविड 19 के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं तब ऐसे में आखिर राजनीति क्यों हो रही है। मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि 22 मार्च और उसके बाद 5 अप्रैल को हमारे योद्धाओं का मनोबल बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री के आह्वान पर सत्ता पक्ष और सरकार की ओर से कोई भागीदारी क्यों नहीं हुई। दोनों आयोजन बहुत बड़े और अत्यधिक प्रभावशाली थे।

– केंद्र से टकराव का नतीजा यह है कि हमारे सत्तर लाख किसान ‘किसान सम्मान’ में अब तक पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक गंवा चुके हैं। राज्य स्वास्थ्य ढांचा स्थिति को संभालने में विफल हो रहा है क्योंकि राज्य आयुष्मान भारत के अवसर से चूक गया है। राजनीति की वजह से जनकल्याण को दांव पर क्यों लगाया जा रहा है? यह गवर्नेंस लोगों के सुविधा के अनुकूल नहीं है।

– चिंताजनक स्थिति है कि कोलकाता और हावड़ा में छह अस्पताल बंद हो गए हैं वह भी इसलिये क्योंकि डॉक्टरों और मरीजों का कोविड टेस्ट पॉजिटिव आया है। इनमें 300 से ज्यादा हेल्थ वॉरियर्स को क्वारंटाइन किया गया है।

– मैं अपने स्वास्थ्य योद्धाओं और आवश्यक सेवाओं में लगे सभी लोगों को सलाम करता हूं और उनकी सराहना भी। जो बड़े व्यक्तिगत जोखिम और अत्यधिक तनाव वाले माहौल में लगन से काम करने में जुटे हैं। इसके साथ ही मैं उन सभी का आभारी हूं जो जरूरतमंदों का जीवन आरामदायक बना रहे हैं।

– चुनौती बहुत बड़ी है। इसका सामना नाटकीयता, हाव-भाव या जनसंपर्क से नहीं किया जा सकता। दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। भारत सौभाग्यशाली है कि हमारे पास नरेंद्र मोदी के रूप में दूरदर्शी प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने समय पर सही पहल की। प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर एक अरब से अधिक लोगों की प्रतिक्रिया अनुकरणीय रही है और दुनिया इसकी सराहना कर रही है।

– गृह मंत्रालय का 10 अप्रैल का हालिया संचार राज्य सरकार के लिए चेतावनी है। लॉकडाउन में ढील देने के बाद ही ऐसी चिंताजनक स्थिति बनी है। सोशल डिस्टेंसिंग के पालन में चूक और प्रतिबंध के बावजूद किसी इलाके में लोगों का इकट्ठा होना गंभीर चिंता का विषय है। देश ने निजामुद्दीन में हुई गंभीर भूल की बड़ी कीमत चुकाई है।

– मैंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि लॉकडाउन प्रोटोकॉल का पालन करने में विफलता के लिए अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाए।

– गंभीर चिंता का दूसरा पहलू यह है कि उपलब्ध किट का इस्तेमाल नहीं हो रहा है और पर्याप्त संख्या में टेस्टिंग नहीं हो रही है।

– मैंने बार-बार सरकार और मुख्यमंत्री को संकेत दिया है कि यह अकेले खड़े होने या राजनीतिक कार्ड खेलने का समय नहीं है। दुर्भाग्यवश उनके सभी कार्य राजनीति से प्रेरित हैं और समाज के एक वर्ग का तुष्टीकरण किया जा रहा है।

– मुफ्त राशन की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को वस्तुतः सत्ताधारी दल ने अपहृत कर लिया है। राजनीतिक कार्यकर्ताओं के माध्यम से सरकारी राशन का वितरण कैसे हो सकता है !

– राज्य के सभी राजनीतिक दलों ने सरकार को समर्थन दिया है, माननीय मुख्यमंत्री दिन-रात राजनीतिक नाटक और केंद्र को कोसने में लगी हुई हैं। ऐसे संकट में हम सभी को एक साथ रहने की जरूरत है। मैं लोगों के कल्याण के लिए उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की कामना करता हूं। वह केंद्र और राजभवन के साथ टकराव की गलत सलाह दे रही हैं। उनका मेरे साथ लॉकडाउन करने का कृत्य असंवैधानिक लगता है। यह संविधान की गंभीर विफलता है। फिलहाल मैं इसे देख रहा हूं क्योंकि हम एक गंभीर चुनौती के बीच में हैं।

2. क्या राज्य में पीपीई और वेंटिलेटर आदि उपकरणों की कमी है ? अगर ऐसा है, तो हम इससे कैसे उबर सकते हैं?

उत्तर . राज्य की खराब स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से बेनकाब हो गयी है। ‘आयुष्मान भारत’ योजना को राज्य में क्यों लागू नहीं किया गया, यह लोगों के मन में एक मुद्दा बनता जा रहा है। उस योजना को लागू करने से स्वास्थ्य क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का निर्माण भी होता।

– पहले टेस्टिंग किट के बारे में बता दूं। 5000 टेस्टिंग किट भी नहीं बांटे गए हैं। दूसरे राज्यों की तुलना में टेस्ट बहुत कम हो रहे हैं।

– आईसीएमआर नाइसेड बहुत ही सुसज्ज‌ित केन्द्रीय संस्था है। वहां जांच के लिए पर्याप्त सैंपल नहीं दिए जा रहे थे क्योंकि वह एक सेंट्रल बॉडी है। यह एक गंभीर चूक है और हम लोगों के जीवन और कल्याण के साथ इस तरह खिलवाड़ नहीं कर सकते।

– टेस्ट के रिजल्ट में जानबूझ कर देरी की जा रही है। उपकरणों की भी यही स्थिति है। राज्य सरकार का दावा है कि उसके पीपीई किट केंद्र से बेहतर हैं। फिर हम इतनी ज्यादा संख्या में डॉक्टरों और नर्सों को क्यों क्वारंटाइन कर रहे हैं। स्वास्थ्य कर्मियों का मनोबल बहुत गिरा हुआ है। बड़ी संख्या में डॉक्टरों और नर्सों को क्वारंटाइन किया जा रहा है।

3. राज्य सरकार लगातार केंद्र सरकार से मदद मांग रही है। क्या केंद्र से मदद में कोई कमी है? अब तक केंद्र सरकार से किस तरह की मदद मिली है ?

उत्तर : यह राजनीतिक एजेंडा है और सीएम की रोजाना की कहनेवाली बात है। राज्यपाल के रूप में उन्हें इस मामले को लेकर मेरे साथ विचार-विमर्श करना चाहिए। मैं 100% कंधे से कंधा मिलाकर सरकार के साथ रहूंगा, अगर उसकी मांग जायज है। मुझे कोई जानकारी नहीं दी गयी है। सीएम राज्यपाल के साथ कैसे लॉकडाउन कर सकती हैं, यह चौंकाने वाला और असंवैधानिक है। मेरी प्राथमिकता इस संकट के समय प्रदेश की जनता और सरकार के साथ खड़े रहना है। उन्हें मुझे जानकारी देनी चाहिए। यह राजनीति करने का समय नहीं है। सभी राजनीतिक दलों ने परिपक्वता दिखाई है और केंद्र सरकार के समर्थन में हैं। मैं उनसे अपील करता हूं कि वह अपनी राजनीतिक टोपी उतारें और चुनौती का सामना करें, बजाय इसके कि केंद्रीय सरकार की रोजाना आलोचना करें।

4. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र से आर्थिक मदद की मांग कर रही हैं, लेकिन जैसा कि राज्य सरकार दावा कर रही है, उसे एक पैसा नहीं मिला है, ऐसे में क्या आप इस मामले को पीएम तक ले जाएंगे सर ?

उत्तर : मैं राज्य का सिपाही हूं। मैं वह सब करूंगा जिसकी जरूरत है। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि सीएम ने मुझे कोई विवरण नहीं भेजा है। उनके कार्य असंवैधानिक हैं और राज्य के हित के खिलाफ हैं। केंद्र के साथ उनके टकराव के रवैये ने किसानों को पहले ही आहत कर दिया है। किसानों को अब तक करीब 5000 करोड़ रुपये मिल गए होते। इसके अलावा आयुष्मान भारत की अनदेखी करने के कारण राज्य के पास मजबूत स्वास्थ्य ढांचा नहीं है।

5.सीएसआर गतिविधियों को राज्य सरकार के साथ जोड़ा जा सकता है, ताकि बंगाल के लोगों को इससे मदद मिल सके। महोदय, क्या आप इस पर कोई कदम उठा रहे हैं?

उत्तर. कोई भी राज्य सभी मामलों में केन्द्र सरकार के हैसियत के समरूप नहीं हो सकता। संविधान ने उनके कार्य क्षेत्र को स्पष्ट रूप से चिह्नित कर दिया है। दैनिक आधार पर मुद्दा बनाना अनुचित है। राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धन की बर्बादी की जा रही है। एक संघीय ढांचे में केन्द्र और राज्यों की अलग-अलग स्थिति होती है। राजनीतिक दिखावे से कोरोना की चुनौती का सामना नहीं किया जा सकता। जमीनी हकीकत का सामना करना होगा और यहां के हालात डरावने हैं।

6.सर, यह एक कटु सत्य है कि आर्थिक विकास नीचे जा रहा है। कठिन समय आने वाला है, खासकर मजदूर वर्ग के लिए। रिपोर्ट्स के मुताबिक लाखों नौकरियां चली जाएंगी। सर, आपकी नजर में इसका उपाय क्या है ?

उत्तर : यह परिदृश्य वैश्विक है। इसके लिये एकजुट रवैया अपनाना होगा। प्रधानमंत्री ने कई सुविचारित कदम उठाए हैं। उनका मानना है कि “जान” और “जहान” दोनों में पश्चिम बंगाल की सरकार को केंद्र सरकार के अनुरूप होना चाहिए। हम सभी ने देखा है कि कैसे राज्य के स्वास्थ्य विभाग का ढांचा लगभग चरमरा गया है।

7. प्रश्न : सर, एक आम आदमी को कोरोना और उसके बाद के हालात से बचने के लिए क्या करना चाहिए? इस पर आप क्या सोचते हैं?

उत्तर : इस कोविड 19 की लड़ाई में आम आदमी ही असली योद्धा है। इस समय में उनकी भूमिका अहम है। दुनिया को अब तक एक ही बचाव मिला है- सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें। केवल 100% सामाजिक दूरी ही जरूरी है। अगर इसका अनुपालन नहीं किया गया तो निजामुद्दीन जैसी दुखद घटना का सामना लोगों को करना पड़ सकता है। कई क्षेत्रों में इसका उल्लंघन हो रहा है। सामाजिक दूरी को लागू करने में सरकार की विफलता से विनाशकारी स्थिति पैदा हो सकती है। इस लड़ाई में राजनीतिक स्वार्थ और तुष्टीकरण की वोट बैंक की राजनीति का कोई स्थान नहीं है।

8. प्रश्न : सर, आप इस कठिन परिस्थिति में ममता सरकार के प्रदर्शन को कैसे आंकते हैं?

उत्तर : स्थिति बहुत नाजुक है। उनका नकारात्मक रवैया, आंकड़ों में उलटफेर और राजनीतिक इरादे से उत्पीड़न करने वाली कार्रवाई का उलटा असर होता है। सरकार द्वारा दिये गये आंकड़े हास्यास्पद बन गये हैं। जमीनी हकीकत से भागना और संविधान को नजरंदाज कर राज्यपाल के साथ लॉकडाउन जारी रखना उनके लिए अच्छा नहीं है। यह राज्य और लोगों को अराजकता और कठिनाई में ले जा रही है। मैं बस इतना ही कह सकता हूं कि गहरे संकट की इस घड़ी में सद्बुद्धि की जरूरत है। हमें लोगों की भलाई से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। चुनौती बेहद गंभीर है। उन्हें यूनिफाइड कमांड में विश्वास करना चाहिए। लॉकडाउन प्रोटोकॉल को लागू करने में अपने कर्तव्य के प्रदर्शन में विफल पाए जाने वाले सभी अधिकारियों के साथ सख्ती से निपटा जाए।

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