बंगाल में आज सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए एसिड टेस्ट

2024 से पहले पंचायत चुनाव अग्निपरीक्षा
जनता आज तय करेगी दलों का भाग्य
हिंसा में मरे 19 लोगों की मौत का पड़ेगा सीधा असर
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : आज पंचायत चुनाव है। आज के चुनाव पर देशभर के राजनीतिज्ञों की निगाहें टिकी हुई हैं। आज जनता जो फैसला लेगी, वह 2024 के लोकसभा चुनाव पर काफी ज्यादा असर डालेगा। पंचायत क्षेत्रों के करोड़ों मतदाताओं की राय सभी राजनीतिक दलों के लिए बेहद अहम होगी। यूं कहें कि आज का चुनाव सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए एसिड टेस्ट है चाहे वो तृणमूल हो या भाजपा, कांग्रेस, माकपा चार प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए एक अग्निपरीक्षा होगी। वहीं आईएसएफ ने भी अपना दम लगाया है। इस बार का चुनाव पिछले 2018 से अलग लगता है, क्योंकि चार प्रमुख दल 2024 के चुनाव को केंद्र करके मैदान में जोर लगाये हुए हैं।
तृणमूल के लिए बेहद ही अहम यह चुनाव
तृणमूल के लिए यह चुनाव बेहद ही अहम है जो यह दावा करती आ रही है कि लोकसभा चुनाव में 35 से अधिक सीटें तृणमूल हासिल करेगी। इससे पहले आज का चुनाव लोकसभा चुनाव से पहले पर्दा उठाने वाला माना जा रहा है।
क्या राह मुश्किल भरी होगी या जनता देगी क्लीन स्वीप ?
2021 के विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस पूरे दम खम के साथ सत्ता में लौटी, लेकिन जिस तरह से शिक्षक भर्ती घोटाले में तृणमूल के वरिष्ठ नेताओं और मंत्री की गिरफ्तारी हुई, अब उसका असर चुनाव पर पड़ेगा या नहीं यह गौरतलब होगा। हालांकि जिस तरह दो महीने तक नव ज्वार कार्यक्रम चला उससे तृणमूल पूरी तरह से आश्वस्त भी है।
भाजपा के लिए भी अहम क्यों ?
2021 के चुनाव में भाजपा को बढ़त मिली थी। हालांकि जो 200 पार के दावे थे वो 77 सीटों पर आकर ठहर गयी। अब भाजपा बंगाल में लोकसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह से बढ़त के लिए आश्वस्त है, इसके लिए ग्रामीण मतदाताओं के दिल को जीतकर जाना ही होगा, तभी दिल्ली की सत्ता भाजपा के लिए आसान होगी। वहीं बंगाल भाजपा के कई बड़े नेताओं के लिए भी पंचायत चुनाव अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगी।
माकपा और कांग्रेस के लिए आर – पार की लड़ाई
माकपा और कांग्रेस दोनों के लिए ही पंचायत चुनाव में अपनी जगह बनाने की​ लड़ाई होगी।
कुल 34 वर्षों तक वाममोर्चे ने बंगाल पर शासन किया लेकिन 2021 विधानसभा चुनाव में इनका खाता भी नहीं खुला। वहीं सागरदिघी उपचुनाव में वाम समर्थित कांग्रेस प्रार्थी जीतकर भी तृणमूल में शामिल हो गये। हालांकि तृणमूल के कई नेताओं की गिरफ्तारी के बाद वामपंथियों की सार्वजनिक बैठकों और सभाओं में समर्थकों की संख्या में वृद्धि देखी गयी और इससे वे उत्साहित हैं। बहरहाल, माकपा और कांग्रेस के लिए आर – पार की लड़ाई मानी जा रही है।

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