पितृ पक्ष 2024 की शुरुआत 17 सितंबर से होने जा रही है और यह अवधि 2 अक्टूबर तक चलेगी। पितृ पक्ष, भाद्रपद माह की पूर्णिमा से लेकर अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक होता है। यह समय पूर्वजों की पूजा और उनकी आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है।
पितृ पक्ष की मान्यता: मान्यता है कि पितृ पक्ष के दिनों में पूर्वज धरती पर आते हैं और इस दौरान उनका श्राद्ध करने से वे संतुष्ट होते हैं और अपने वंश पर कृपा बनाए रखते हैं। इस दौरान पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने से पूर्वजों को शांति और मुक्ति मिलती है।
पितृ पक्ष 2024 का शुभ समय: भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर 2024 को सुबह 11:44 बजे से शुरू होगी और 18 सितंबर को सुबह 8:04 बजे समाप्त होगी। इस अवधि में धृति योग और शतभिषा नक्षत्र भी बनेगा, जो श्राद्ध कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
श्राद्ध विधि:
स्नान और वस्त्रधारण: श्राद्ध तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
भोजन की तैयारी: सात्विक भोजन तैयार करें और इसे एक साफ थाली में परोसें।
पूर्वजों की पूजा: भोजन को पूर्वजों की तस्वीर के सामने रखें। पहले पितरों को धूप अर्पित करें और दोनों हाथ जोड़कर सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
भोग अर्पण: भोजन का भोग पितरों को अर्पित करें और उनके भोजन स्वीकार करने की प्रार्थना करें।
आशीर्वाद और दान: संतान और परिवार के साथ पूर्वजों से आशीर्वाद प्राप्त करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अपनी श्रद्धा अनुसार दान-दक्षिणा दें।
परिवारिक भोजन: परिवार के सभी सदस्य साथ में भोजन करें और भूल-चूक की क्षमा मांगें।
पितर प्रार्थना मंत्र:
पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
सर्व पितृभ्यो श्र्द्ध्या नमो नम:।
ॐ नमो व :पितरो रसाय नमो व:
पितर: शोषाय नमो व:
पितरो जीवाय नमो व:
पीतर: स्वधायै नमो व:
पितर: पितरो नमो वो
गृहान्न: पितरो दत्त:सत्तो व:।।
नोट: यह लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना की सटीकता और पूर्णता के लिए सन्मार्ग जिम्मेदार नहीं है।