रोहतकः एक साल पहले पंकज त्रिपाठी और सतीश कौशिक की एक फिल्म आई थी – कागज। उसमें एक आदमी 20 साल तक जिंदा था, अफसरों के सामने हाथ जोड़कर कहता रहा कि मैं जिंदा हूं, लेकिन सबका एक ही जवाब था – कागज पर तुम मर चुके हो! ठीक वैसा ही हुआ 102 वर्ष के दुलीचंद के साथ। मामला हरियाणा के रोहतक जिले के गांधारा गांव का है।
दुलीचंद सरकार से वृद्धावस्था पेंशन लेते थे। मार्च तक उनको पेंशन मिली, उसके बाद कागजों पर लिख दिया गया कि वे तो मर गए हैं। दुलीचंद ने दफ्तरों के चक्कर लगाए, लेकिन सरकारी दफ्तरों में कोई सुनता कहां है। तब दुलीचंद ने पूरे सिस्टम की ही ‘बैंड बजाने’ की ठान ली। उन्होंने खुद को दूल्हे के रूप में सजाया, सजे हुए रथ पर सवार हुए, बैंड-बाजे के साथ बारात लेकर पहुंच गए कनाल रेस्ट हाउस। और हां, उनके साथ चल रहे लोगों के हाथों में पोस्टर भी जिन पर मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा था – ‘थारा फूफा जिंदा है’।
मजा तब आया जब यह बूढ़ा दूल्हा अपनी दुल्हन यानी पेंशन का आश्वासन लेकर ही लौटा । राज्य सरकार पर दबाव बनाने के लिए रोहतक शहर के मानसरोवर पार्क से कनाल रेस्ट हाउस तक दूल्हे साहब ने बारात निकाली। बुधवार को, आम आदमी पार्टी (आप) की हरियाणा इकाई के पूर्व प्रमुख नवीन जयहिंद के संग स्थानीय मीडिया के सामने यह साबित करने के लिए पेश हुए कि वे अभी ज़िंदा है, और प्रासंगिक दस्तावेज जैसे पैन कार्ड, आधार कार्ड और बैंक स्टेटमेंट भी दिखाए। सूत्रों ने बताया कि करीब एक महीने पहले अधिकारियों से औपचारिक शिकायत के बावजूद उनकी पेंशन बहाल नहीं की गई। फिर क्या खुद बहाल करने निकल पढ़े 102 वर्ष के ये बुजुर्ग |
अपनी इस शानदार सवारी के अंत में, दुली चंद और जयहिंद, पूर्व मंत्री और भाजपा नेता मनीष ग्रोवर से मिले और उन्हें अपने कागजात दिखाते हुए उनकी पेंशन की बहाली की मांग की। चंद की पेंशन बहाल करने के लिए 24 घंटे की समयसीमा देते हुए जयहिंद ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी पेंशन बहाल नहीं की गई तो आंदोलन किया जाएगा|