“शुभो नोबो बोरसो” ! आज है Poila Baishakh, जानें तिथि और महत्व

कोलकाता : बंगाली समुदाय के लोगों के लिए पोइला बोइशाख (Poila Baishakh) बहुत ही खास होता है। इस दिन से बंगाली नववर्ष की शुरुआत होती है। इस दिन लोग एक-दूसरे को नए साल की बधाई व शुभकामनाएं देते हैं और परिवार के सदस्यों और दोस्तों के बीच इस दिन का जश्न मनाते हैं। घर के सभी लोग इस दिन नए-नए कपड़े पहनकर पूजा-पाठ करते हैं और विभिन्न तरह के पकवान बनाए जाते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार विश्वरभर में 1 जनवरी के दिन को नए साल के रूप में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लेकिन इसके अलावा भारत के विभिन्न राज्यों और समुदाय के लोग अपनी-अपनी संस्कृति व परपंराओं के अनुसार नया साल मनाते हैं।

पोइला बोइशाख (Poila Baishakh) का इतिहास

बंगाली नववर्ष के इतिहास को लेकर अलग-अलग विचार और मत हैं। मान्यता है कि बंगाली युग की शुरुआत 7वीं शताब्दी में राजा शोशंगको के समय हुई थी। इसके अलावा दूसरी ओर यह भी मत है कि चंद्र इस्लामिक कैलेंडर और सूर्य हिंदू कैलेंडर को मिलाकर ही बंगाली कैलेंडर की स्थापना हुई थी। वहीं इसके अलावा कुछ ग्रामीण हिस्सों में बंगाली हिंदू अपने युग की शुरुआत का श्रेय सम्राट विक्रमादित्य को भी देते हैं। इनका मानना है कि बंगाली कैलेंडर की शुरुआत 594 सीई. में हुई थी।

पोइला बोइशाख (Poila Baishakh) का महत्व
बंगाली समुदाय के लोगों के बीच पोइला बोइशाख का दिन बहुत खास होता है। इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान कर पूजा-पाठ करते हैं। घर की साफ-सफाई कर अल्पना बनाया जाता है। मंदिर जाकर नए साल के पहले दिन भगवान का आशीर्वाद लिया जाता है। इसके बाद विशेष व्यजंन तैयार किए जाते हैं। इस दिन गौ पूजन, नए कार्य की शुरुआत, अच्छी बारिश के लिए बादल पूजा आदि का भी महत्व होता है। पोइला बोइशाख पर लोग सुख-समृद्धि के लिए सूर्य देव के साथ ही भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। घर पर रिश्तेदार और दोस्तों का आना-जाना होता है और लोग एक दूसरे को “शुभो नोबो बोरसो” (नए साल की शुभकामनाएं) कहकर नए साल की बधाई देते हैं।
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