
कोलकाता : चैत्र मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवती दुर्गा के चौथे स्वरूप यानि कूष्मांडा स्वरूप की पूजा कैसे करें और क्या है इसका शुभ मुहूर्त, पूरी विधि और धार्मिक महत्व। आईए जानें-
क्या है मां कूष्मांडा की पूजा का धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार मां कूष्मांडा का स्वरूप बहुत भव्य है, जिन्होंने अपने हाथों में अमृत कलश के साथ गदा, चक्र, कमंडल आदि धारण किया हुआ है। मान्यता है कि माता के इस पावन स्वरूप की साधना करने से साधक हमेशा निरोगी बना रहता है और उसकी आयु में वृद्धि होती है।
जानें मां कूष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त
देश की राजधानी दिल्ली स्थित समय के अनुसार चैत्र मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि 23 मार्च 2023, शुक्रवार को सायंकाल 05:00 बजे से प्रारंभ होकर 25 मार्च 2023, शनिवार को सायंकाल 04:23 बजे तक रहेगी। इस दिन आप प्रात:काल सूर्योदय के बाद से लेकर इस तिथि की समाप्ति यानि सायंकाल 04:23 बजे से पहले पूजा कर सकते हैं।
जानें मां कूष्मांडा की पूजा विधि
1. नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्मांडा का आशीर्वाद पाने के लिए सबसे पहले प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में उठें और तन-मन से पवित्र होने के बाद उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य दें।
2. इसके बाद मां कूष्मांडा की तस्वीर एक चौकी को ईशान कोण में स्थापित करें और उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर गंगाजल से पवित्र करें।
3. इसके बाद भगवती कूष्मांडा के सामने शुद्ध देशी घी का दीया जलाकर उनकी पूजा प्रारंभ करें।
4. माता कूष्मांडा की पूजा में अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार फल-फूल, धूप, भोग आदि अर्पित करें और माता के मंत्रों का जाप करें।
5. पूजा का पुण्यफल पाने के लिए अंत में देवी भगवती की आरती करें और सभी को प्रसाद बांटने के बाद स्वयं भी ग्रहण करें।