कोलकाता: खेल में शानदार योगदान देने वाले खिलाड़ियों को नेशनल र्स्पोंट्स डे पर सम्मान दिया जाता है। देश के राष्ट्रपति द्वारा इन खिलाड़ियों को मेजर ध्यानचंद अवार्ड जिसे खेल रत्न अवार्ड कहते हैं दिया जाता है।
हर साल 29 अगस्त को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय खेल दिवस बेहद खास है। इसका उद्देश्य खिलाड़ियों के योगदान से देश के लोगों परिचित कराना। इसके अलावा खेल को बढ़ावा देना है। देश में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने के साथ-साथ खेल लोगों को शारीरिक तौर पर फिट रखती है।
क्या है राष्ट्रीय खेल दिवस का महत्व ?
29 अगस्त 1905 को हॉकी के जादूगर के नाम से प्रसिद्ध मेजर ध्यानचंद का जन्म हुआ था। उन्हीं के सम्मान देने के लिए इस दिन को राष्ट्रीय खेल दिवस घोषित किया गया है। इस से पहले इस पुरस्कार को देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार’ के नाम से जाना जाता था। मेजर ध्यानचंद ने अपने करियर में हॉकी में 500 से ज्यादा गोल किए थे। इसके साथ ही उन्होंने ओलंपिक गोल्ड मेडल दिलाने में अहम भूमिका बनाई। खेल रत्न अवार्ड को अब आधिकारिक तौर पर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड कहा जाता है। इसी दिन राष्ट्रपति खेल में योगदान करने वाले खिलाड़ियों का सम्मान करते हैं।
यह दिन देश के खेल नायकों को समर्पित है, जो देश को गौरवान्वित करने की दिशा में उनके योगदान और समर्पण का सम्मान करते हैं। खेल के मूल्यों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य के साथ ही खिलाड़ी भावना, टीम वर्क, अनुशासन, दृढ़ता और बड़े पैमाने पर लोगों को खेलों के लिए प्रोत्साहित करना भी इसमें शामिल है।
‘खेल रत्न’ का इतिहास
खेल रत्न पुरस्कार की शुरुआत 1991-92 से हुई थी। उस समय इसका नाम देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर रखा गया था। अवॉर्ड की स्थापना का मुख्य उद्देश्य खेल के क्षेत्र में सराहना और जागरूकता फैलाना है। साथ ही खिलाड़ियों को सम्मानित कर उनकी प्रतिष्ठा बढ़ाना है, जिससे वह समाज में और ज्यादा सम्मान प्राप्त कर सकें।