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नई दिल्ली: भारतीय नौसेना हिंद महासागर में अपनी ताकत लगातार बढ़ा रही है। अब नौसेना जल्द ही अपने जंगी जहाजों के लिए मध्यम क्षमता वाला एंटी-मिसाइल/एंटी-एयरक्राफ्ट पॉइंट डिफेंस सिस्टम मिलने वाला है। इस गन से न सिर्फ भारतीय नेवी के एरियल डिफेंस सिस्टम को मजबूती मिलेगी, बल्कि भारत समुद्री इलाके में अपनी स्थिति को और भी मजबूत करने में सक्षम होगा। इस एंटी मिसाइल सिस्टम की कीमत 2956.89 करोड़ रुपए है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने सरकारी कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) के साथ 2956 करोड़ रुपये का करार किया है। जिसके तहत नौसेना के लिए 16 उन्नत सुपर रैपिड गन माउंट (एसआरजेएम) और संबंधित सहायक उपकरण खरीदे जाएंगे।
समुद्र में बढ़ेंगी भारत की ताकत
हिंद महासागर पर चीन अपनी नजरें जमाकर बैठा है। जमीन और आसमान के साथ-साथ समुद्र में भी अपनी ताकत का इजाफा कर रहा है। वहीं भारत भी लगातार अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने की कोशिश में लगा है। समुद्र में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए भारत ने नौसेना को घातक और शक्तिशाली हथियारों से लैस करने का प्लान बनाया है। जो तमाम तरह के खतरों से निपटने में कारगार साबित होंगे।
ऐसी होगी स्वदेशी सुपर रैपिड माउंट गन
इस गन का नौसेना के युद्धक जलपोतों पर इस्तेमाल होगा.सुपर रैपिड गन माउंट (एसआरजीएम) नौसेना के ज्यादातर युद्धपोतों में लगने वाली मुख्य गन है। गन में रेडियो नियंत्रित लक्ष्यों को संलग्न करने के लिए गोला-बारूद का प्रबंधन करने के साथ ही उच्च रेंज में फायरिंग की क्षमता है। इस गन में प्रति मिनट 120 गोले दागने की क्षमता है.इस गन की मारक क्षमता 20 किमी तक है। गन के 50 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में फायरिंग की क्षमता। इस गन का वजन करीब 1.5 टन और लंबाई सवा चार मीटर तक है।
हाइटेक हो रहे नेवी के हथियार