एक नजर में
कोलकाता एटीसी अब 15 इंटरनेशनल रूट्स, 37 क्रॉसिंग व 10 कन्वर्जिंग प्वाइंट्स को करेगी मैनेज
यह देश में सबसे चुनौतीपूर्ण हवाई यातायात क्षेत्रों में से एक बन जाएगा
कोलकाता फ्लाइट इंफार्मेशन रीजन (एफआईआर) के तहत 7 महाद्वीपीय और एक समुद्री हवाई क्षेत्र हैं
पिछला एयरस्पेस का इंटिग्रेशन जनवरी 2021 में हुआ था।
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : कोलकाता एयरपोर्ट का दायरा और अधिक बढ़ गया है। अब आसमान में और अधिक उड़ानें सुरक्षित हो जाएंगी। शुक्रवार से हवाई यातायात नियंत्रण अधिकारियों (एटीसीओ) ने वाराणसी के ऊपरी हवाई क्षेत्र के 1.7 लाख वर्ग किलोमीटर का 24×7 घंटे का प्रभार ले लिया है। पहले यह सिर्फ 12 घंटे तक के लिए था। इस क्षेत्र में लगभग 250-300 ओवरफ्लाइट्स का कोलकाता एटीसी प्रबंधन करेगा। इससे अब मिसकम्यूनिकेशन की समस्या नहीं रहेगी। अब दिल्ली से कोलकाता और पूर्व, उत्तर पूर्व और यहां तक कि आगे भी दिल्ली के लिए सीधे मार्ग या सीधे उड़ान मार्ग का कंट्रोल यहां से हो पाएगा। डायरेक्ट रूटिंग का मतलब कुशल उड़ान पथ होगा और इसलिए यात्रा समय भी आसमान में कम हो जाएगा। इसके परिणामस्वरूप ईंधन की बचत होगी। एयर फ्यूल से होने वाले प्रदूषण से भी राहत मिलेगी।
पायलटों को भी होगी सहूलियत
31 मार्च से, पश्चिम में खजुराव और लखनऊ के बीच और पूर्व में डिब्रूगढ़ और अगरतला के बीच ऊपरी हवाई क्षेत्र (25,000 फीट से ऊपर) की निगरानी की जा रही है और कोलकाता में नियंत्रकों द्वारा नेविगेट किया जा रहा है। चाहे वह कोई भी हो विमान या मौसम से संबंधित समस्या आपातकालीन स्थिति के दौरान समन्वय बनाये रखने में इससे मदद मिलेगी। सीधी रूटिंग के साथ, पायलटों को फ़्रीक्वेंसी बदलने की ज़रूरत नहीं होती है। इसका अर्थ है पायलटों और नियंत्रकों दोनों पर समन्वय में कोई परेशानी नहीं होती। यह नियंत्रकों को अधिक उड़ानों को एक साथ निगरानी करने की क्षमता को भी बढ़ाता है क्योंकि पूरा आकाश रडार कवरेज के अधीन है। नियंत्रकों ने कहा कि इस कदम से समन्वय मुद्दों के कारण दो उड़ानों के आमने – सामने आने की संभावना न के बराबर हो जाती है।
तकनीकी और प्रशासनिक मुद्दों के कारण हुई थी देर
एटीसी के एक अधिकारी ने कहा, वाराणसी एटीसी, देश के सबसे व्यस्त मार्गों में से एक है। तकनीकी और प्रशासनिक मुद्दों के कारण इन दोनों क्षेत्रों के इंटिग्रेशन में देरी हुई थी। इस पर अत्यधिक दबाव भी था। यातायात क्षेत्र अब कोलकाता से नियंत्रित किया जाता है। केवल 25,000 फीट से नीचे उड़ान भरने वाले विमान, जिनमें एटीआर और अन्य टर्बो-प्रॉप विमान या छोटे विमान और छोटे एटीआर विमान शामिल हैं, जो इस क्षेत्र के भीतर उतरते या उड़ान भरते हैं, स्थानीय एटीसी द्वारा नियंत्रित किए जाएंगे। वाराणसी के ऊपरी हवाई क्षेत्र में शामिल होने के बाद, कोलकाता एटीसी अब 15 इंटरनेशनल रूट्स, 37 क्रॉसिंग व 10 कन्वर्जिंग प्वाइंट्स को मैनेज करेगी। इससे यह देश में सबसे चुनौतीपूर्ण हवाई यातायात क्षेत्रों में से एक बन जाएगा। कोलकाता फ्लाइट इंफार्मेशन रीजन (एफआईआर) में सात महाद्वीपीय और एक समुद्री हवाई क्षेत्र हैं। पिछले ऊपरी हवाई क्षेत्र को जनवरी 2021 में इंटिग्रेशन किया गया था। वाराणसी के ऊपरी हवाई क्षेत्र के एकीकरण के लिए परीक्षण अक्टूबर 2021 से चल रहा है।
कोलकाता एयरपोर्ट का दायरा और बढ़ा, अब और सुरक्षित होंगे आसमां में उड़ानें
Visited 166 times, 1 visit(s) today