
कोलकाता: विरोधी अक्सर कहते हैं कि अधिकांश सिविक वालेंटियर्स सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त कर मस्तानी करते हैं। उन पर रंगदारी, मारपीट आदि के आरोप नए नहीं हैं। इस संदर्भ में अब हाईकोर्ट ने सिविक वालेंटियर्स के काम के संबंध में दिशा-निर्देश तैयार करने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने राज्य पुलिस के महानिरीक्षक (कानून) को इस संबंध में 29 मार्च तक दिशानिर्देश तैयार करने और जमा करने का निर्देश दिया। यह स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए कि वास्तव में सिविक वालेंटियर्स क्या कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में, वे कानून प्रवर्तन से संबंधित किसी भी कार्य में शामिल नहीं हो सकते हैं।