वो China, जहां जाने पर नहीं लगता है भारतीयों का वीजा !

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कोलकाता : अगर आपसे हम कहें कि भारत में एक चीन बसता है जहां जाने के लिए आपको वीजा भी नहीं देना पड़ेगा? क्या आपको यकीन होगा? शायद नहीं ! लेकिन आज हम आपको एक ऐसे चीन के बारे में बता रहे हैं जहां जाने के लिये आपको किसी के परमिशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। दरअसल, यह चीन बसा है आपके अपने शहर ‘सिटी ऑफ जॉय’ कोलकाता में। भारत के इस चाइनीज टाउन के बारे में काफी लोगों को जानकारी ही नहीं है। कोलकाता में बसे इस चीन का इतिहास काफी पुराना है। ईस्ट इंडिया कंपनी के जरिए चीन से भारत आकर बसे ये लोग रोजगार के अवसर तलाशते हुए कोलकाता के ही होकर रह गए। एक समय था यहां करीब 50 हजार से अधिक चीनी रहते थे। अब भारतीय नागरिक बन चुके ये चाइनीज अलग-अलग राज्यों और विदेशों में सेटल हो चुके हैं।

नहीं आती है चीनी भाषा
इस चाइना टाउन में रहने वाले लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या है अपनी पहचान बचाए रखना। इस मिनी चीन में रहने वाले लोग चाइनीज भाषा नहीं जानते हैं। उनका कहना है कि इतने सालों से देश से दूर रहते हुए अब उन्हें चीनी भाषा नहीं आती है। हालांकि, ये लोग बांग्ला भाषा काफी सहजता से बोल लेते हैं।
मां को लगता है नूडल्स और फ्राइड राइस का भोग

भारत देश सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि के लिहाज से काफी विविध और समृद्ध है। यहां कई दार्शनकि स्थल सहित मंदिर मौजूद हैं जिन्हें देश-विदेश में ख्याति प्राप्त है। वहीं यहां के कई मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं की वजह से अलग पहचान बनाए हुए हैं। कोलकाता शहर की बात करें तो यहां भी एक से बढ़कर एक मंदिर हैं, लेकिन यहां ऐसा मंदिर भी है जहां प्रसाद के तौर पर नूडल्स चढ़ाए जाते हैं। आपका चौंकना लाजमी है लेकिन हकीकत ये ही है कि कोलकाता के इस मंदिर में प्रसाद के तौर पर नूडल्स चढ़ाए जाते हैं। चलिए जानते हैं ये मंदिर महानगर में कहां है और इसकी पूरी कहानी क्या है?

कोलकाता के इस मंदिर में चढ़ाए जाते हैं नूडल्स

कोलकाता के टेंगरा इलाके में चाइनीज काली मंदिर स्थित है। ये इलाका चाइना टाउन के नाम से भी काफी फेमस है। चाइनीज काली मंदिर 60 वर्ष पुराना बताया जाता है। मंदिर के नाम के अनुरूप यहां हिंदूओं के साथ ही चाइनीज लोग भी काफी आस्था रखते हैं। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां एक पेड़ के नीचे पहले पत्थरों पर सिंदूर लगाकर पूजा-अर्चना की जाती थी। बाद में यहां मंदिर का निर्माण हुआ और फिर उसमें काली मां की प्रतिमा को स्थापित किया गया था।

मंदिर में चीनी बच्चे को मिला था जीवनदान
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो यहां एक बार एक चीनी परिवार के 10 साल के बच्चे की तबियत काफी खराब हो गई थी। डॉक्टरों ने भी हाथ खड़े कर दिए थे। उस समय बच्चे के परिवार ने पेड़ के नीचे बने माता के स्थान पर बच्चे को लेटाकर काफी प्रार्थना की थी। बताया जाता है काली मां ने उनकी प्रार्थना सुनी और बच्चे को जीवनदान दिया। आज उस स्थान पर माता का मंदिर बन चुका है और प्रतिमा भी स्थापित कर दी गई है लेकिन वे दो काले पत्थर आज भी उसी स्थान पर वहां मौजूद है। इस इलाके में ज्यादातर चाइनीज लोग रहते हैं इसलिए इस मंदिर में चाइनीज लोग बहुतायत में माथा टेकने आते हैं।

मंदिर में प्रसाद में नूडल्स दिया जाता है

इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां प्रसाद के तौर पर चाइनीज भोजन ही मिलते हैं। मंदिर में प्रसाद के तौर पर नूडल्स, चाउमीन, फ्राइड राइज, मंचूरियन जैसी चीजें दी जाती हैं। मंदिर में पूजा-आरती हिंदू परंपरा के अनुसार ही होती है लेकिन काली मां की अराधना के दौरान यहां कैंडल्स भी जलाई जाती है। इसके अलावा यहां हैंडमेड पेपर जलाने की भी अनूठी परंपरा है। इसे लेकर कहा जाता है कि ऐसा करने से बुरी शक्तियां आस-पास नहीं फटकती हैं।

 

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