
कोलकाता : 29 जून 2023 को देवशयनी एकादशी के बाद भगवान विष्णु का शयनकाल शुरू हो जाएगा। इसी दिन से चातुर्मास प्रारंभ हो जाएंगे। चातुर्मास में विवाह, मुंडन, ग्रह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी का व्रत विष्णु जी की कृपा प्राप्त करने के लिए उत्तम फलदायी मानी गई है।
इस दिन कुछ ऐसे काम है जो भूलकर भी नहीं करना चाहिए नहीं तो दांपत्य जीवन में तनाव आने लगता है साथ ही करियर में बाधाएं उत्पन्न होने लगती है। आइए जानते हैं देवशयनी एकादशी व्रत के नियम, लाभ और उपाय।
देवशयनी एकादशी व्रत के लाभ
· देवशयनी एकादशी का व्रत मन को स्थिर कर जीवन को सुखी बनाता है।
· देवशयनी एकादशी व्रत से सात जन्मों के पाप धुल जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है।
· इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को नर्क की यातनाएं नहीं सेहनी पड़ती, अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
· देवशयनी एकादशी का व्रत करने से सिद्धि प्राप्त होती है।
· देवशयनी एकादशी का व्रत रखने और विष्णु पूजा करने से मन शुद्ध होता है और मानसिक विकार दूर होते हैं।
देवशयनी एकादशी पर न करें ये काम
· देवशयनी एकादशी पर तुलसी में जल न चढ़ाएं। इस दिन विष्णु प्रिय तुलसी माता भी निर्जल व्रत रखती हैं। साथ ही इस दिन तुलसी दल न तोड़े इससे माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।
· देवशयनी एकादशी पर दातुन करना, दूसरे की निंदा करना पाप का भागी बनाता है।
· देवशयनी एकादशी चावल खाना और चावल का दान करना वर्जित माना जाता है। ऐसा करने पर अगले जन्म में कीड़े-मकोड़े की योनि में जन्म होता है।
· इस दिन स्त्री प्रसंग न करें। एकादशी का व्रत दशमी तिथि से शुरू हो जाता है ऐसे में दशमी तिशि से द्वादशी तिथि तक ब्रह्मचर्य का पालन करें।
· देवशयनी एकादशी व्रत में तन के साथ मन की शुद्धता भी रखें। मन में बुरे विचार न लाएं, किसी को अपशब्द न बोलें।