नई दिल्ली: पूरे विधि-विधान से भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद श्रीराम मंदिर ट्रस्ट ने 16 आभूषणों का वर्णन किया है। शृंगार युक्त मूर्ति में भगवान के पूरे स्वरूप का दर्शन किया जा सकता है। श्रद्धालु रामलला का रत्न जड़ित अलौकिक स्वरूप में दर्शन कर निहाल और विह्वल हो रहे हैं।
रामलला की मूर्ति में ये विशेषताएं हैं: भगवान राम के बाल रूप की मूर्ति को गर्भ गृह में स्थापना के बाद सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है। तस्वीर में रामलला माथे पर तिलक लगाए बेहद सौम्य मुद्रा में दिख रहे हैं। आभूषण और वस्त्रों से सुसज्जित रामलला के चेहरे पर भक्तों का मन मोह लेने वाली मुस्कान दिखाई दे रही है। कानों में कुंडल तो पैरों में कड़े पहने हुए हैं। मूर्ति के नीचे आभामंडल में चारों भाइयों राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की छोटी-छोटी मूर्तियों की पूजा की गई है। श्रीराम जन्मभूमि न्यास ने विस्तार से 16 दिव्य आभूषणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है।
शीष पर मुकुट या किरीट: न्यास ने बताया कि रामलला के शीश पर विराजित मुकुट या किरीट उत्तर भारतीय परम्परा में स्वर्ण निर्मित है। इसमें माणिक्य, पन्ना और हीरों से अलंकरण किया गया है। मुकुट के ठीक मध्य में भगवान सूर्य अंकित हैं। मुकुट के दायीं ओर मोतियों की लड़ियां पिरोई गयी हैं।
कुण्डल: मुकुट या किरीट की तरह ही भगवान के कर्ण-आभूषण बनाये गये हैं। इनमें मयूर आकृतियां बनी हैं। राम लला के कुण्डल सोने, हीरे, माणिक्य और पन्ने से सुशोभित हैं।
कण्ठा: राम लला के गले में अर्द्धचन्द्राकार रत्नों से जड़ित कण्ठा सुशोभित है। इसमें मंगल का विधान रचते पुष्प अर्पित हैं। बीच में सूर्य देव बनाए गए हैं। सोने से बना हुआ कण्ठा हीरे, माणिक्य और पन्नों से जड़ा है। कण्ठे के नीचे पन्ने की लड़ियां लगाई गयी हैं।
कौस्तुभमणि: यह दिव्य आभूषण भगवान श्रीराम के हृदय में धारण कराया गया है। इस दुर्लभ आभूषण को बड़े माणिक्य और हीरों के अलंकरण से सजाया गया है। यह शास्त्र-विधान है कि भगवान विष्णु और उनके अवतार हृदय में कौस्तुभमणि धारण करते हैं। इसलिए इसे धारण कराया गया है।
पदिक: कण्ठ से नीचे तथा नाभिकमल से ऊपर पहनाए गए आभूषण को पदिक कहा जाता है। विद्वानों की राय में देवताओं के शृंगार और अलंकरण में इसका विशेष महत्त्व होता है। रामलला ने जो पदिक पांच लड़ियों वाला हीरे और पन्ने से जड़ित पंचलड़ा या पदिक धारण किया है, इसके नीचे एक बड़ा सा अलंकृत पेण्डेंट भी लगाया गया है।
वैजयन्ती या विजयमाल: भगवान श्रीराम के बालस्वरूप को वैजयन्ती या विजयमाल से भी सजाया गया है। यह स्वर्ण निर्मित हार भगवान को पहनाया जाने वाला तीसरा और सबसे लम्बा है। इसमें कहीं-कहीं माणिक्य लगाये गये हैं। इसे विजय के प्रतीक के रूप में पहनाया जाता है। इसमें वैष्णव परम्परा के समस्त मंगल-चिह्न- सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख और मंगल-कलश दर्शाया गया है। इसमें पांच प्रकार के देवता को प्रिय पुष्पों का भी अलंकरण किया गया है। पांच फूलों में- कमल, चम्पा, पारिजात, कुन्द और तुलसी हैं।
श्रीराम 16 आभूषणों से अलंकृत: कमर में कांची या करधनीभगवान श्रीराम के बाल स्वरूप को कमर में करधनी धारण करायी गयी है। इस रत्नजडित करधनी को सोने से तैयार किया गया है। इसमें प्राकृतिक सुषमा का अंकन है। हीरे, माणिक्य, मोतियों और पन्ने से अलंकृत इस आभूषण से पवित्रता का बोध होता है। छोटी-छोटी पांच घण्टियां भी इसमें लगाई गई हैं। इन घण्टियों से मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियों भी लटक रही हैं।
भुजबन्ध या अंगद: आजानुबाहु कहे जाने वाले प्रभु श्रीराम के हाथ घुटने तक लंबे हैं। बाल स्वरूप भगवान की दोनों भुजाओं में स्वर्ण और रत्नों से जड़ित दिव्य भुजबन्ध पहनाये गए हैं।
कंकण अथवा कंगन: प्रभु श्रीराम के दोनों ही हाथों में रत्नजडित सुन्दर कंगन पहनाये गए हैं।
मुद्रिका: प्रभु श्रीम राम के बाएं और दाएं दोनों हाथों की मुद्रिकाएं (अंगूठी) रत्नजडित हैं। दोनों सुशोभित मुद्रिकाओं से मोतियां भी लटक रही हैं।
पैरों में छड़ा और पैजनिया: रामलला के चरणों में छड़ा और पैजनिया पहनाये गये हैं। साथ ही स्वर्ण की पैजनियां भी पहनाई गई है।
बाएं हाथ में स्वर्ण धनुष: रामलला के बाएं हाथ में स्वर्ण धनुष है। इनमें मोती, माणिक्य और पन्ने की लटकनें लगी हैं। इसी तरह दाहिने हाथ में स्वर्ण बाण धारण कराया गया है।
गले में वनमाला: प्रभु श्रीराम के इस अलौकिक स्वरूप में रंग-बिरंगे फूलों की आकृतियों वाली वनमाला धारण करायी गयी है। इसका निर्माण हस्तशिल्प के लिए समर्पित संस्था- शिल्पमंजरी ने किया है।
मस्तक पर मंगल-तिलक: प्रभु श्रीराम के मस्तक पर पारम्परिक मंगल-तिलक देखा जा सकता है। हीरे और माणिक्य से रचे तिलक से इनका स्वरूप और अलौकिक हो गया है।
चरणों के नीचे कमल: प्रभु श्रीराम के चरणों के नीचे कमल सुसज्जित है। इसके नीचे एक स्वर्णमाला सजाई गई है। इसके अलावा भगवान के प्रभा-मण्डल के ऊपर स्वर्ण का छत्र लगा है।
चांदी के खिलौने: न्यास ने बताया कि अयोध्या के राम मंदिर में पांच वर्ष के बालक-रूप में श्रीरामलला विराजे हैं, इसलिए पारम्परिक ढंग से उनके सम्मुख खेलने के लिए चांदी से निर्मित खिलौने भी रखे गये हैं। खिलौनों में झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊंट, खिलौनागाड़ी और लट्टू शामिल हैं।