वायनाड : कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वायनाड दौरे का आज दूसरा दिन है। उन्होंने डॉ. अंबेडकर डिस्ट्रिक्ट मेमोरियल कैंसर सेंटर में पावर फैसिलिटी का उद्घाटन किया। इसके लिए उन्होंने सांसद निधि से 50 लाख रुपए भी दिए। इस माैके पर उन्होंने कहा कि उम्मीद है यह नई लाइन बिजली कटौती की परेशानी को खत्म कर देगी। लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश में इस वक्त दो विचारधाराओं के बीच में जंग छिड़ी हुई है। हम आपको आदिवासी मानते हैं, यानी इस देश के असली हकदार। वहीं, दूसरी विचारधारा कहती है कि आप आदिवासी नहीं, वनवासी हैं। वे लोग आपको देश का असली स्वामी नहीं मानते।
राहुल के भाषण के प्रमुख अंश…
- राहुल बोले, कुछ दिन पहले मेरी राजस्थान में बड़ी बैठक हुई थी, जहां मैंने आदिवासी समुदाय से बात की। मैंने उनसे उन दो विचारधाराओं के बारे में बात की, जो इस वक्त देश में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं। एक शब्द होता है, आदिवासी जिसका मतलब है जमीन का असली स्वामी।
- आदिवासी का मतलब है इस पृथ्वी, इस धरती को लेकर एक बुद्धिमत्ता, एक समझ। जिस ग्रह पर हम रहते हें उसके साथ एक खास रिश्ता। हमारे आदिवासी भाई-बहन इस देश के असली स्वामी हैं। हमारा मानना है कि आपको ये सोचने और तय करने की आजादी मिलनी चाहिए कि आप क्या करना चाहते हैं।
- इस जमीन के असली मालिकों के तौर पर आपको ये हक होना चाहिए कि आपके बच्चे भी अच्छे कॉलेजों में इंजीनियरिंग पढ़ सकें, डॉक्टर और इंजीनियर बन सकें, बिजनेस शुरू कर सकें, कंप्यूटर सीख सकें।
- साथ ही आपको जमीन और जंगल पर हक मिलना चाहिए। जंगल की जो उपज होती है उस पर अधिकार मिलना चाहिए। आपको किसी एक कैटेगरी में बांधकर नहीं रखना चाहिए। ये पूरी पृथ्वी आपकी पहुंच में होनी चाहिए। आपको सभी अवसर मिलने चाहिए।
- वहीं, दूसरी तरफ जो दूसरी विचारधारा है वो आदिवासी नहीं, वनवासी कहकर आपको बुलाती है। वनवासी शब्द के पीछे बड़ा खराब लॉजिक है। ये शब्द वनवासी इस बात से इनकार करता है कि आप इस देश के असली हकदार हैं।
- वनवासी शब्द आपको जंगलों तक सीमित करता है। इसके पीछे की भावना ये है कि आप जंगलों के रहने वाले हैं, आपको जंगलों में ही रहना चाहिए। ये शब्द आपके इतिहास, आपके रीति-रिवाजों को खंडित करता है। ये आपके और इस देश के बीच रिश्ते पर एक हमला है। इसलिए हम इसका विरोध करते हैं।
- आप आदिवासी हैं और हम आपसे सीख सकते हैं। मौजूदा समय में पर्यावरण शब्द फैशन में आ गया है। कुछ सौ सालों से मॉडर्न सोसाइटी पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है। जंगल जलाए जा रहे हैं, प्रदूषण फैल रहा है। अब अचानक से पर्यावरण संरक्षण की बातें होने लगी हैं।
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