49 साल बाद सिक्किम में पहला रेलवे स्टेशन, जानिए भारत के लिए रणनीतिक रूप से कितना है अहम | Sanmarg

49 साल बाद सिक्किम में पहला रेलवे स्टेशन, जानिए भारत के लिए रणनीतिक रूप से कितना है अहम

गंगटोक: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार(26 फरवरी) को अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 553 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास का शिलान्यास किया। इसके तहत सिक्कम के रेंगपो रेलवे स्टेशन का भी पीएम ने आधारशिला रखी। जो सुरक्षा और रणनीतिक रूप से बहुत अहमियत रखता है आजादी के बाद यहां पहली बार रेल पहुंचेगी।

45 किलोमीटर वाली रेल लाइन परियोजना सिवोक-रेंगपो को 2022 में मंजूरी मिली थी। इसके तैयार होने से गंगटोक से नाथू ला सीमा तक जाने वाली सिक्किम-चीन सीमा तक एक मजबूत रेल नेटवर्क बन जाएगा।

रणनीतिक रूप से है अहम

यह परियोजना सिक्किम चीन सीमा पर भारत की रक्षा तैयारियों के लिहाज से भी अहम है, वो भी ऐसे समय में जब सीमाओं पर चीन के साथ तनावपूर्ण संबंध चल रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश में 200 किलोमीटर लंबी भालुकपोंग-तेंगा-तवांग रेलवे लाइन के बाद यह रेलवे की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है, जो चीन सीमा क्षेत्र तक कनेक्टिविटी बढ़ाएगी।

 

तीन चरणों में हो रहा है काम

रेंगपो रेलवे स्टेशन का काम तीन चरणों में पूरा किया जा रहा है, जिसके तहत पहले फेज में सिवोक से रेंगपो तक, दूसरे फेज में रेंगपो से गंगटोक तक और तीसरे फेज में गंगटोक से नाथुला तक स्टेशन तैयार किया जाएगा। पहले चरण का कार्य पूरा होने से न केवल चीन की सीमा से लगे सिक्किम में कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि देश के लिए राष्ट्रीय रक्षा एजेंडे को भी बढ़ावा मिलेगा।

सिवोक-रेंगपो रेल लिंक भारतीय सेना और रक्षा बलों के लिए अत्यधिक रणनीतिक महत्व रखता है, यहां रेलवे कनेक्टिविटी बढ़ाने से सैन्य रसद पर सीधा असर पड़ता है। इस लाइन के तैयार होने से बॉर्डर तक भारी सैन्य उपकरणों और हथियारों को पहुंचाने में आसानी हो जाएगी। इससे सेना को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में लगने वाला समय काफी कम हो जाएगा और आपातकालीन स्थिति में त्वरित कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।

सिवोक-रेंगपो रेल मार्ग

प्रस्तावित 44.98 किलोमीटर लंबा रेलवे लिंक जो पश्चिम बंगाल के सिवोक से शुरू होता है और सिक्किम के रेंगपो पर समाप्त होता है। इस दौरान पांच स्टेशन होंगे जिनमें सिवोक, रियांग, तीस्ता बाजार, मेली और रेंगपो शामिल हैं। परियोजना पर काम कर रहे इरकॉन के परियोजना निदेशक मोहिंदर सिंह ने कहा,’सिवोक-रेंगपो प्रस्तावित लाइन में 14 सुरंगें और 13 ओवर ब्रिज हैं। 35 किलोमीटर से अधिक सुरंग बनाने का काम किया जा चुका है। इस साल मार्च में ट्रैक बिछाने का काम शुरू हो जाएगा। हमारा लक्ष्य दिसंबर 2024 तक पुलों को पूरा करने का है।

 

‘परियोजना का पहला चरण 2025 तक होगा पूरा’

अलीपुरद्वार डिवीजन के DRM श्री अमरजीत गौतम ने कहा, ‘परियोजना का पहला चरण 2025 तक पूरा हो जाएगा। दूसरे और तीसरे चरण का अभी सर्वेक्षण चल रहा है और स्टेशन स्थानों के लिए डीपीआर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। यह एक ऐसी परियोजना है जिसमें रक्षा मंत्रालय की भागीदारी होगी क्योंकि यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। ये चरण 2029 तक पूरे हो सकते हैं, सिक्किम के दुर्गम और चुनौतीपूर्ण इलाके में भी, रेलवे रेल मार्ग का विस्तार करने में सक्षम होगा क्योंकि ऐसा कुछ भी नहीं है जो रेलवे नहीं कर सकता है।

इस परियोजना के दूसरे और तीसरे चरण के लिए खुली बोली के माध्यम से निविदाएं जारी की जाएंगी। यह परियोजना, जो 2008 में स्वीकृत होने पर लगभग 4085.58 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर शुरू हुई थी, अब इसका संशोधित अनुमान लगभग 12000 करोड़ हैं। इसकी शुरुआत पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) विभाग द्वारा की गई थी।

Visited 208 times, 1 visit(s) today
शेयर करे
0
0

Leave a Reply

ऊपर