Rishra Violence : पुलिस के इस रवैये से परेशान हैं रिसड़ा के लोग

कोलकाता : घड़ी में रात के साढ़े 12 बज रहा था। रात को हुई हिंसा के बाद इलाका शांत था और बिल्ड‌िंग (building) के लोग अपने फ्लैट का दरवाजा बंद करके सो रहे थे। इस बीच अचानक 12 से 15 लोगों के चिल्लाने की आवाज सुनायी दी और बिल्ड‌िंग के दरवाजे में तोड़फोड़ होने लगी। उन लोगों ने पहले मेरे फ्लैट की खिड़की को तोड़ा और फिर लोहे की ग्रील में लगे ताला और मुख्य दरवाजे को तोड़कर फ्लैट के अंदर घुस आये। हमें पहले लगा कि ये लोग उपद्रवी हैं जो हमला करने आए हैं लेकिन फ्लैट में उनके घुसने पर पता चला कि वे पुलिस कर्मी थे। वे लोग जबरन मेरे दो बेटों को ले जाने लगे लेकिन हमारे विरोध पर वे उन्हें छोड़कर चले गए। इसके बाद बिल्ड‌िंग के अन्य फ्लैटों में भी इसी तरीके से तोड़फोड़ की और तांडव मचाया। अपने घर के टूटे हुए दरवाजे को दिखाते हुए सुभाषनगर हाउसिंग में रहनेवाले ओंकरानाथ दुबे ने उक्त बातें कहीं। दुबे ने बताया कि वह पिछले 30 साल से अपने परिवार के साथ रिसड़ा (Rishra) के सुभाषनगर कॉलोनी (subhash nagar colony) में रहते हैं। आवासन के बाहर उनकी एक दवा की दुकान है, हालांकि बीते 30 सालों में कभी भी ऐसी घटना उन्होंने नहीं देखी। ओंकारनाथ दुबे ने बताया कि रात 7 बजे पथराव और आगजनी की घटना के बाद पुलिस अभियुक्तों पर कार्रवाई करने के बजाए हाउसिंग में रहने वाले निर्दोष लोगों को पकड़ने पहुंच गयी। पुलिस ने कार्रवाई के नाम पर जमकर तांडव मचाया। करीब आधे दर्जन ने अधिक फ्लैट के दरवाजे और खिड़की में तोड़फोड़ की गयी। पुलिस रात को लोगों के घरों का दरवाजा तोड़कर अंदर घुस रही थी। पुलिस का ऐसा उपद्रवी रूप शायद किसी ने देखा हो। इस घटना के बाद ओंकारनाथ दुबे और उनका परिवार सहम गया है। उनका कहना है कि अगर पुलिस वाले इस तरह से तांडव और उपद्रव मचाएंगे तो आम नागरिकों को न्याय कौन दिलाएगा। उनकी सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा।
जब रक्षक ही भक्षक बन जाएगा तो हमें न्याय कौन देगा
सुभाषनगर हाउसिंग (subhash nagar housing) में रहनेवाली सरिता उपाध्याय (sarita upadhyay ) ने भी पुलिस के तांडव का ज‌िक्र करते हुए कहा कि अगर रक्षक ही भक्षक बन जाएगा तो हमलोगों को न्याय कौन दिलाएगा। उन्होंने अपने देवर और भतीजे के लिए न्याय की गुहार लगायी। सरिता ने बताया कि वह एक पारिवारिक कार्यक्रम में हैदराबाद गयी हुई हैं। इस बीच उनकी सास ने देर रात फोन करके बताया कि उनके देवर अनिल उपाध्याय और अनिल के 16 वर्षीय बेटे अभिषेक को देर रात पुलिस जबरन उठा ले गयी। उन्होंने बताया कि जब उनका देवर अनिल अपनी बूढ़ी मां और बच्चों को लेकर घर में सो रहा था तभी पुलिस पहुंची और जबरन घर का दरवाजा तोड़कर फ्लैट के अंदर घुसी और दोनों को उठा ले गयी। पुलिस कैसे एक निर्दोष व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है। कैसे देर रात किसी आम नागरिक के घर का दरवाजा तोड़ सकती है। पुलिस ने किस आधार पर एक 16 साल के बच्चे को गिरफ्तार किया है। इसी साल उसने कक्षा 10वीं की परीक्षा दी है।
मकान की छत के दरवाजे और फूल के गमलों को तोड़ा गया
हाउसिंग में रहनेवाली अनिता मिश्रा (Anita Mishra) ने बताया कि पुलिस की टीम ने तांडव मचाते हुए उनकी ब‌िल्डि‌ंग की छत का दरवाजा तोड़ दिया। यही नहीं बिल्ड‌िंग के प्रत्येक तल्ले पर रखे गए फूल के गमलों को भी तोड़ दिया गया। अब उस दरवाजे और गमले को कौन बनाएगा। पुलिस कर्मियों ने मनमाने तरीके से आवासन के कई फ्लैटों के दरवाजे में तोडफोड़ की है। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस पुलिस पर पीड़ित और निर्दोष लोगों को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी रहती है, वह ऐसा बर्ताव करेगी तो आम नागरिक कहां जाएंगे।

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