
प्रभावशालियों के रेफरेंस से आने वालों को मिलती थी थोड़ी छूट
ईडी भी ले सकती है हिरासत में
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : एसएससी मामले में सीबीआई को कई चौंकाने वाली जानकारियां मिली हैं। सीबीआई कस्टडी के दौरान नीलाद्रि दास से सीबीआई ने कई अहम जानकारियां हासिल की हैं। इस मामले में पता चला है कि अगर कोई प्रभावशालियों का रेफरेंस लेकर आता था तो उसे छूट मिलती थी। इधर, ईडी की टीम भी उसे हिरासत में लेना चाहती है। सूत्रों की माने तो इसके लिये एक रेट-चार्ट बनाया गया था, जिसमें शिक्षकों की भर्ती के लिए 7 से 10 लाख रुपये लिये जा रहे थे। सीबीआई सूत्रों ने बताया कि 10 लाख रुपये लिये जा रहे थे। सीबीआई सूत्रों की माने तो ओएमआर शीट के छेड़छाड़ में कई लोग शामिल थे। इसके लिए पूर्व अध्यक्ष सुबिरेश भट्टाचार्य की भी भूमिका का पता चला है। भर्ती परीक्षा में असफल होने वाले उम्मीदवारों के नाम आयोग के अधिकारी मुहैया करवाते थे। ओएमआर शीट में कथित रूप से नोएडा की एक कंपनी न्यासा कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड की मिलीभगत से छेड़छाड़ की गई थी। अलीपुर में सीबीआई की विशेष अदालत में कंपनी के पूर्व उपाध्यक्ष नीलाद्रि दास को पेश किए जाने के बाद एजेंसी ने यह बयान भी दिया था। आयोग ने सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती के लिए परीक्षाओं की ओएमआर शीट का मूल्यांकन करने के लिए नोएडा की कंपनी को काम पर रखा था।
पुलिस और नगरपालिकाओं में भी नियुक्ति को लेकर गिरोह चला रहा था
केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि दास को पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के अन्य आरोपियों और अधिकारियों के साथ साजिश में कंपनी द्वारा ओएमआर शीट के अंकों में हेरफेर और पैनल की तैयारी में अवैध हेरफेर के आरोपों के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई को पूछताछ के दौरान जानकारी मिली है कि 2019 की शुरुआत में ही इस रेट-चार्ट के बारे में राज्य सीआईडी को जानकारी मिल गई थी। सीआईडी ने नीलाद्रि और उसके 9 सहयोगियों को गिरफ्तार भी किया था। वह न केवल शिक्षक नियुक्ति, बल्कि पुलिस और नगरपालिकाओं में भी नियुक्ति को लेकर गिरोह चला रहा था। जिलाधिकारी कार्यालय से लेकर परिवहन विभाग में नियुक्ति तक के लिए उसने रेट चार्ट बना रखा था। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक उनके मोबाइल फोन से कुछ डेटा मिले हैं जो यह बता रहे हैं कि आयोग के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने उन्हें ओएमआर शीट के बारे में विशिष्ट निर्देशों के साथ संदेश भेजे थे। फोन को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है। सूत्रों ने बताया कि सरकार में मौजूद शीर्ष लोगों से नीलाद्रि के घनिष्ठ संबंध थे, जिनके साथ साठ-गांठ कर नौकरियां बेची जाती थीं। इस संबंध में राज्य सीआईडी से एक रिपोर्ट ली जा रही है, जिससे आगे की जानकारी को एकत्र किया जा रहा है। यही नहीं राज्य पुलिस में नौकरी के लिए रुपये लिये जाते थे लेकिन इस मामले में यह पता नहीं चल पाया है कि कितनों को और कैसे नौकरी दी गयी थी। फिलहाल वह 30 मार्च तक के लिए जेल हिरासत में है।