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सुप्रीम कोर्ट के डिविजन बेंच ने सुनाया फैसला, लागू होगा पूरे देश में
सन्मार्ग संवाददाता
नयी दिल्ली/कोलकाता : प्राइमरी टीचर के पद पर सिफ डीएलएड वालों की ही नियुक्ति की जाएगी। बीएड वालों को प्राइमरी टीचर के पद पर नियुक्ति नहीं की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल के डिविजन बेंच ने इस बाबत दायर एसएलपी पर शुक्रवार को सुनवायी के बाद यह आदेश दिया। डिविजन बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि यह फैसला पूरे देश में लागू होगा।
एडवोकेट अमृता पांडे ने बताया कि एनसीटीई ने 2018 में एक अधिसूचना जारी करके कहा था कि बीएड डिग्रीधारक भी प्राइमरी टीचर के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके खिलाफ डीएलएड (डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एडुकेशन) वालों ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करके एनसीटीई की अधिसूचना को चुनौती दी थी। यहां गौरतलब है कि डीएलएड को अन्य राज्यों में बीटीसी डिप्लोमा के रूप में जाना जाता है। एनसीटीई की इस अधिसूचना के आधार पर कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने बीएड वालों को भी प्राइमरी टीचर पद की नियुक्ति प्रक्रिया मेें शामिल किए जाने का आदेश दिया था। डीएलएड वालों ने इसे डिविजन बेंच में चुनौती दी थी पर डिविजन बेंच ने भी सिंगल बेंच के फैसले को बहाल रखा था। इसके बाद इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई थी। मुकेश कुमार और अन्य ने भी एसएलपी दायर की थी। यहां गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने एनसीटीई की इस अधिसूचना को रद्द कर दिया था। इसके बाद राजस्थान हाई कोर्ट में अपील दायर की गई थी। राजस्थन हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को सही करार दिया था। राजस्थान हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार और एनसीपीई ने भी एसएलपी दायर की थी। यहां गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। इसमें कहा गया थी कि सिर्फ डीएलएड वाले ही प्राइमरी टीचर की नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। इससे बीएड वालों को करारा झटका लगा है। एनसीटीई की इस अधिसूचना के आधार पर पूरे देश में बीएड वालों को प्राइमरी टीचर की नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल किया गया था।