खाना खाने के इन नियमों पर दें ध्यान, शरीर रहेगा चुस्त

शेयर करे

कोलकाता : मनुष्य के जीवित रहने के लिए वायु व जल के बाद सर्वाधिक आवश्यक वस्तु भोजन ही है। मनुष्य का भोजन कैसा हो, उसका क्या उद्देश्य है, वह क्या हो, कितना हो, इस पर ध्यान देना अत्यन्त आवश्यक है।

मनुष्य के भोजन में शरीर को शक्ति पुष्टि देने वाले व गरमी बनाये रखने वाले पदार्थ प्रोटीन, शर्करा, विटामिन्स, खनिज, वसा आदि पदार्थ उचित अनुपात व पर्याप्त मात्र में होने चाहिए ताकि शरीर में अच्छे किस्म के नये कोषाणु व रक्त कण बनते रहें, क्योंकि हमारे शरीर में लाखों लाल रक्त कण प्रति सेकन्ड मरते व नये उत्पन्न होते हैं। ऐसा अनुमान है कि छ: वर्ष में हमारे शरीर के सभी कोषाणु व ऊतक पूरी तरह बदल जाते हैं जिस प्रकार सांप छ: महीने बाद अपनी खाल बदल लेता है।

भोजन में ऐसे पदार्थ भी होने चाहिए जिनसे शरीर में रोगों का प्रतिरोध करने की क्षमता बनी रहे व शरीर में व्यर्थ मल तथा बचे खुचे हानिकारक तत्व बाहर निकलने में रुकावट न आये। भोजन में रोगोत्पादक, स्वास्थ्यनाशक व उत्तेजनाकारी तत्व न हों क्योंकि ये तत्व मानसिक संतुलन को बिगाड़ कर आवेगों को जन्म देते हैं और उन्हें अमर्यादित व उच्छृंखल बनाते हैं।

प्रकृति ने मनुष्य के भोजन के लिए अनेक पदार्थ अनाज, फल, साग सब्जी, मेवे इत्यादि उत्पन्न किये हैं जिनमें सभी प्रकार के पौष्टिक तत्व पर्याप्त मात्र में हैं।

अपनी रुचि के अनुसार विभिन्न श्रेणी के पदार्थों में जो पसंद हो, लिया जा सकता है व अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार सस्ते व महंगे पदार्थ शामिल कर संतुलित व पौष्टिक शाकाहारी भोजन लिया जा सकता है जो न केवल सस्ता होता है अपितु रोगों से बचाव करने की क्षमता प्रदान कर हमारे स्वास्थ्य, समय व पैसे की बचत भी करता है।

बिना पकाये हुए फलों व सब्जियों के प्रयोग से तो अनेकों रोग तक ठीक हो जाते हैं। कुछ किस्म के डायटरी फाइबर तो केवल पौधों से प्राप्त वस्तुओं में ही पाये जाते हैं। ये फाइबर ब्लड कोलेस्ट्रोल कम रखते हैं व डायबिटीज आदि अनेक रोगों से बचाव करते हैं।

जितने व्यक्ति भुखमरी से मरते हैं, उससे कहीं अधिक आवश्यकता से अधिक खाने से मरते हैं।

अधिक खाने से कम खाना कहीं ज्यादा बेहतर है। हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम जीने के लिए खाते हैं, खाने के लिए नहीं जीते, अत: हमें अपनी भूख से कम ही खाना चाहिए क्योंकि अन्य कार्यों की भांति खाना भी एक आदत है। समान कार्य करने वाले, समान उम्र के सब व्यक्तियों की खुराक एक सी नहीं होती। कुछ अधिक खाते हैं तो कुछ उनमें कम खाते हैं।

कम खाने वाले स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से अधिक खाने वालों से कम बलवान नहीं होते। गरिष्ठ पदार्थ खाने वाले अक्सर मोटापे का शिकार हो जाते हैं जो सुस्ती व आलस्य उत्पन्न करता है व अपच, कब्ज आदि पेट के रोगों को जन्म देता है। अधिकांश रोगों का मूल कारण अधिक खाना ही है।यह तो प्राय: कहा ही जाता है कि पेट तो भर गया पर मन नहीं भरा। मन का न भरना ही अधिकांश समस्यायें उत्पन्न करता है। इस तन की भूख व मन की भूख का अंतर समझ लेने में ही मानव का कल्याण है।

Visited 56 times, 1 visit(s) today
0
0

मुख्य समाचार

कोलकाता : सावन माह की शुरुआत हो चुकी है। इस माह को भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना के
कोलकाता : महानगर में विज्ञापन होर्डिंगों के लिए कोलकाता नगर निगम जल्द ही नए नियमों को लागू करने जा रहा
कोलकाता : प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के छात्रों ने नये शैक्षणिक सत्र में नये छात्रों के लिए दाखिला शुल्क में बढ़ोतरी के
कोलकाता : कोलकाता मेट्रो में यांत्रिक समस्या के कारण सर्विसेज रोक दी गई हैं। डाउन लाइन पर दक्षिणेश्वर से मैदान
कोलकाता : जादवपुर यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग विभाग के छात्र को चोर होने के संदेह में उत्पीड़ित करने का आरोप लगा
राम मंदिर जहां फुटपाथ पर हैं दुकानें सीएम के निर्देश के एक माह बाद भी फुटपाथों पर हॉकरों का कब्जा
पेरिस : पेरिस ओलंपिक 2024 आधिकारिक रूप से आज शुरू होगा। भारतीय समयानुसार शुक्रवार रात 11 बजे उद्घाटन समारोह आयोजित
कोलकाता : बजट में सोना-चांदी की कस्टम ड्यूटी (इम्पोर्ट टैक्स) घटने के बाद 3 दिन में सोना 5,000 रुपए और
कोलकाता: 'पश्चिम बंगाल के आलू व्यापारियों द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल वापस लेने के एक दिन बाद मांग की कमी को पूरा
कोलकाता : देश के किसी भी हिस्से में दुर्गा पूजा को लेकर उत्साह और उमंग हो न हो लेकिन पश्चिम
कोलकाता: दुर्गा पूजा 2024 में अब केवल दो महीने बाकी हैं। आगामी दुर्गा पूजा को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने
कोलकाता : सीएम ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का 30वां संस्करण 4 दिसंबर से
ऊपर