सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी उत्कल सांस्कृतिक समाज की ओर प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी ‘रज महोत्सव’ बड़े उत्साह, हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जा रहा है। उड़िया समाज का यह पर्व 14 जून से शुरू होकर तीन दिनों तक चलता है। उत्सव के प्रथम दिन को पहली रज कहा जाता है, दूसरे दिन मिथुन संक्रांति होती है। तीसरा दिन बासी रज और चौथे दिन बसुमती स्नान होता है। यह त्योहार ओडिशा में प्राचीन काल से मनाया जाता आ रहा है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भूदेवी इसी समय रजशाला होती है। इसलिए माना जा रहा है कि इस समय भूदेवी को आराम की जरूरत है।
रहता है उत्सव और आनंद का माहौल
पुराणों के अनुसार भूदेवी कश्यप प्रजापति की पुत्री हैं। शास्त्रों के अनुसार वह सत्ययुग में रामायण में सीता की माँ थी, जबकि द्वापरयुग में वह श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा थी । भूदेवी ओडिशा में जगन्नाथ की पत्नी के रूप में पूजी जाती हैं। ‘रज महोत्सव’ के दौरान पूरे ओडिशा में उत्सव और आनंद का माहौल रहता है। इस दौरान लड़कियां और महिलाएं नए कपडे पहनती हैं। अपने घरों में वह कोई काम नहीं करती हैं, सिर्फ मौजमस्ती के साथ दिन व्यतीत करती हैं।
महिलाओं के साथ पुरूष भी करते हैं मौज
सिलीगुड़ी उत्कल सांस्कृतिक समाज के अध्यक्ष अशोक कुमार नायक ने कहा कि सिलीगुड़ी उत्कल सांस्कृतिक समाज की ओर से महिलाओं के सम्मान देने के लिए ‘रज महोत्सव’ हर वर्ष पूरी परम्परा के साथ हर्षोल्लाश के साथ मनाया जाता है।
सांस्कृतिक समाज की एक सदस्या रश्मि नाइक ने कहा महोत्सव के दौरान महिलाएं नए कपड़े पहनकर अपना समय आनंद में बिताती हैं। समाज के सचिव प्रभात कुमार बिस्वाल ने कहा कि ‘रज महोत्सव’ में न केवल महिलाएं, बल्कि पुरुष भी जमकर मौजमस्ती करते हैं।
Visited 260 times, 1 visit(s) today
Post Views: 308