न्यूटाउन के अपार्टमेंट में एसी के पानी को किया जा रहा रियूज

कोलकाता : जल जीवन है और जल के बगैर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में बदलती स्थितियों और एक तरह से कहा जाये कि खुद लोगों की गलतियों के कारण कई जगहों पर जल संकट देखने को मिल रहा है। कुछ साल पहले तक तो यह जल संकट बाहरी कुछ देशों में देखा जा रहा था मगर अब यह भारत में भी दिख रहा है। बंगलुरु में पिछले कुछ समय से जल संकट देखा जा रहा है और अब हैदराबाद में भी कुछ ऐसी स्थिति सामने आ सकती है। इन सबसे सीख लेते हुए स्मार्ट सिटी न्यूटाउन के एक अपार्टमेंट में विशेष पहल की गयी है। यहां ए.सी. (एयर कंडिशनर) के पानी को फिल्टर कर उसे रियूज किया जा रहा है।

यह कहना है पहल करने वाले व्यक्ति का : न्यूटाउन के एचआईजी ब्लॉक के एआई-68 स्थित अपार्टमेंट में इसकी शुरुआत की गयी है। यह सिंगल बिल्डिंग है जिसमें 4 फ्लोर हैं। फर्स्ट फ्लोर पर रहने वाले दिपांशु साधुखां ने यह पहल की है। उन्होंने सन्मार्ग से कहा, ‘हमारे फ्लैट के 4 रूम में 4 ए.सी. हैं। 3 ए.सी. का पाइप बाथरूम से अटैच है तो इसका पानी बाथरूम में साफ-सफाई आदि में लगाया जाता है। वहीं चौथा ए.सी. बालकनी से अटैच है। ऐसे में हमने यहां फिल्टर लगाया है और इस पानी का पौधों में पानी देने के साथ ही बालकनी की साफ-सफाई आदि में इस्तेमाल करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमें केप टाउन में जीरो डे के बारे में पता था, लेकिन आफत जब तक हम तक नहीं पहुंची, हमें सीख नहीं मिली।’

यहां उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 और 2018 के बीच, केप टाउन ने 400 साल में एक बार सूखा झेला, जिसने लगभग 4.6 मिलियन निवासियों के शहर को ‘जीरो डे’ के कगार पर पहुंचा दिया, एक ऐसा बिंदु जब केप टाउन में पानी खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘बंगलुरु में जल संकट आ गया है और कोलकाता में भी एक ना एक दिन ऐसा होगा। ऐसे में हर एक नागरिक के लिये पानी बचाना काफी अहम है।’

इस तरह किया जा रहा रियूज : दीपांशु ने बताया कि एक टन एसी के लिये 15 लीटर वाले वॉटर प्यूरिफायर का इस्तेमाल किया गया है। एक दिन में एक टन एसी से लगभग 10 लीटर पानी निकलता है। इस तरह 10 लीटर पानी एक दिन में बचाकर उससे पौधों को पानी दिया जा रहा है।

अन्य कई तरीकों से भी लोग बचा रहे पानी : जल संकट को देखते हुए लोग पानी बचाने के विभिन्न तरीके अपना रहे हैं। दमदम की बीना सिंह फिल्टर से निकले पानी का इस्तेमाल पौधों के लिये करती हैं। वहीं न्यूटाउन की मनाली गुहा इस पानी का इस्तेमाल कमरे व सीढ़ियों की सफाई, बाइक व साइकिलें धोने के लिये करती हैं। इसी तरह रंजना भट्टाचार्य सब्जियों, चावल, दाल आदि धोने के बाद पानी का इस्तेमाल पौधों को पानी देने में करती हैं।
एक नजर बंगलुरु के जल संकट पर
बंगलुरु में काम कर रहे कोलकाता के रितेश साव ने बताया कि फिलहाल वह जहां रह रहे हैं, वहां तो जल संकट नहीं है, लेकिन सिटी सेंटर इलाके में है। वहीं बंगलुरु कॉरपोरेशन की ओर से नोटिस जारी कर कहा गया है कि अगर पानी का दुरुपयोग किया गया तो 5,000 रुपये जुर्माना लगेगा। उन्होंने कहा कि कोलकाता में किस कदर नलों में टैप भी नहीं रहते और पानी बहता है, यह उन्होंने देखा है। हमें इस जल संकट से सीख लेते हुए पानी को बचाने की कोशिश करनी चाहिये अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब आने वाली पीढ़ी पानी के लिये तरसेगी। ●
देश के 20 शहरों में कोलकाता 16वें स्थान पर
नगरपालिका प्रयुक्त जल प्रबंधन (एमयूडब्ल्यूएम) सूचकांक में कोलकाता को भारत के शीर्ष 20 शहरी स्थानीय निकायों में 16वां स्थान दिया गया है। यह एक नीति अनुसंधान संस्थान, ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद द्वारा विकसित पहला नगरपालिका-उपयोगित जल प्रबंधन (एमयूडब्ल्यूएम) सूचकांक है। ●

 

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