‘कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा और टीएमसी ने कुनबा जोड़ा’

दुर्गापुर : प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और मिदनापुर के सांसद दिलीप घोष को इस बार भाजपा ने बर्दवान-दुर्गापुर से प्रत्याशी बनाया है। यहां से दिलीप घोष अपने प्रतिद्वंद्वी टीएमसी के कीर्ति आजाद से पंजा लड़ायेंगे। दिलीप घोष के नाम की घोषणा से ही बर्दवान-दुर्गापुर हॉट सीट बन गयी है। इसका कारण है कि जहां दिलीप घाेष रहते हैं, वहां विवाद होता है। यहां भी चुनाव प्रचार की शुरुआत से ही विवाद होते आ रहे हैं। कभी चाय पर चर्चा में टीएमसी की महिला समर्थकों का आना तो कभी दिलीप घोष द्वारा चुनाव आयोग को टीएमसी का मौसा कहना तो कभी पुलिसिया डंडे के साथ दिलीप घोष का चुनाव प्रचार करना। इस बहुचर्चित सीट से भाजपाउम्मीदवार दिलीप घोष से सन्मार्ग ने खास बातचीत की जिसमें उन्होंने अपने बयानों से विवादों का रिश्ता, बर्दवान-दुर्गापुर के चुनावी मुद्दों से लेकर राजनीति में सेलेब्रिटी चेहरों समेत अन्य कई मुद्दों पर बेबाकी से और अपने अंदाज में अपनी बातें रखीं।

* पहले खड़गपुर सदर से विधायक, फिर मिदनापुर के सांसद और अब बर्दवान-दुर्गापुर। कितना बदलाव देख रहे हैं ?

बर्दवान-दुर्गापुर काफी संपन्न इलाका है। यहां एक तरफ कृषि है तो दूसरी तरफ उद्योग है। बर्दवान चावल का कटोरा है तो उधर उद्योग ही उद्योग है। हालांकि 30-40 वर्षों से उद्योग ठप हो रहा है। हजारों लोग बेरोजगार हो गये हैं। उसे बचाने की कोशिश हो रही है, लेकिन स्थिति ठीक नहीं है।

* यहां किन चुनावी मुद्दों पर आप मैदान में उतरे हैं ?

राज्य सरकार का भ्रष्टाचार, हिंसा, रंगदारी, कटमनी यहां की समस्या है। कोयला और बालू के पैसों की उगाही की जाती है। ऊपर से लेकर नीचे तक सरकारी अधिकारी से लेकर सभी इसका पैसा लेते हैं। इससे लोग परेशान हैं।

दूसरा कि यहां रोजगार नहीं है। विकास के लिये बहुत काम बाकी है। गांव के रास्ते ठीक नहीं हैं। कुछ उद्योग पुनः चालू किये जा सकते हैं। दुर्गापुर बैरेज में पानी की क्षमता कम हो गयी है और दलदल भर चुका है। कुछ ऐसे बड़े मुद्दे हैं। बाकी रेल, सेल, भेल काे भी पहल करना चाहिये ताकि लोगों को नौकरी मिले।

* अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार के बारे में क्या कहेंगे ?

मैंने इससे पहले चाचाजी को हराया था और उसके बाद उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया था। दूसरी बार एक और वरिष्ठ नेता डॉ. मानस रंजन भुइयां को हराया। मतगणना के दिन हम लोग आस-पास बैठे थे। मैं सबका सम्मान करता हूं, कीर्ति आजाद को यहां लाकर टीएमसी ने उन्हें फंसा दिया है। कहीं का ईंट, कहीं का रोड़ा और टीएमसी ने कुनबा जोड़ा। वह बड़े क्रिकेटर हैं, हमारी पार्टी ने उन्हें नेता बनाया, लेकिन जब उन्होंने कमल छोड़ दिया तो लोगों ने उन्हें छोड़ दिया। मैं मोदी जी का प्रतिनिधि बनकर आया हूं और उनके विकास कार्यों को लोगों तक पहुंचा रहा हूं।

* दिलीप घोष और विवादों के बीच रिश्ते पर क्या कहेंगे ?

हम जो देखते हैं, वही बोलते हैं। राजनीति में यह धारणा है कि जो देखते हैं वह नहीं बोलना चाहिये। जो सोचते हैं, वह नहीं करना चाहिये। हालांकि इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैं जो देखता हूं, वही बोलता हूं। जनता हम पर विश्वास करती है। बहुसंख्यक लोग ऐसे हैं जो देखते हैं, वह नहीं बोलते। इसलिये विवाद होता है। यहां ना वाद है, ना विवाद है, केवल संवाद है।

* आजकल राजनीति में काफी सेलिब्रिटी आ रहे हैं। इसे कैसे देखते हैं ?

राजनीति संभावनाओं का स्थान है। लोगों को लगता है कि यहां शॉर्ट कट से काफी कुछ मिलता है। कम से कम नेम और फेम तो मिल ही जाता है। टीवी में आना, लोगों से मिलना, इस कारण काफी लोग खींचे आते हैं। हालांकि यह फील्ड काफी सशक्त और कठिन है। यहां सबका टिकना मुश्किल है। काफी लोगों को लगता है कि राजनीति काफी आसान है, लेकिन लोगों की जिंदगी बीत जाती है और एक पंचायत भी नहीं जीत पाते हैं। सेलिब्रिटी तो जान-बूझकर इसमें आते हैं। जिनके पास नेता और चेहरा नहीं है, वह राजनीति में सेलिब्रिटी ले आता है। इससे राजनीति का स्तर गिरता है। इस तरह लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करना और फिर चुनाव जीतकर ये गायब हो जाते हैं। इससे हम जैसे लोगों के लिये मुश्किल होती है। आम लोग भी सेलेब्रिटी के पीछे भागते हैं क्योंकि उनका एक औरा है। उनसे प्रभावित होकर लोग वोट दे देते हैं और फिर धोखा खाते हैं। सेलेब्रिटी अपने परिवार के नहीं होते हैं, पति-पत्नी के नहीं होते हैं, परिजनों के नहीं होते हैं। उन पर भरोसा करेंगे तो धोखा होना निश्चित है। ग्रामीण इलाकों में ही सेले​ब्रिटी को अधिक भेजा जाता है क्योंकि वहां के लोग सेलेब्रिटी देख कर अधिक आक​र्षित होते हैं।

* यूं तो आपको भी काफी लोग स्टार मानते हैं, लेकिन यहां कौन स्टार प्रचारक आ रहे हैं ?

पार्टी की योजना में कोई ना कोई बड़ी सभा होगी। 20 तारीख के बाद शिवराज सिंह चाैहान आ सकते हैं। मैं स्टार नहीं हूं, स्टार धूप में नहीं घूमता, वह तो आसमान में चमकता है। मैं तो जनता के बीच घूमता हूं।

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