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पुरी : हर साल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ के साथ ही बलभद्र जी, सुभद्राजी और सूदर्शन जी का जलाभिषेक किया जाता है। देव स्नान पूर्णिमा ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा से ठीक पहले एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। कुछ लोग इस त्योहार को भगवान जगन्नाथ के जन्मदिन के रूप में भी मनाते हैं जिसमें हर साल लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। इसी कड़ी में पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर में महाप्रभु जगन्नाथ की स्नान यात्रा शुरू की जाएगी। बता दें कि आज स्नान दान पूर्णिमा है। आज के दिन रथ यात्रा से पहले भगवान जगन्नाथ और बलभद्र जी, सुभद्राजी और सूदर्शन जी का विशेष स्नान कराया जाता है।
जानें देव स्नान पूर्णिमा से जुड़ी मान्यता
हर साल पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा को एक साथ एकत्र कर सहस्त्र धारा स्नान कराया जाता है, जिसके लिए उन्हें स्नान मंडप तक लाते हैं। इसके बाद उन्हें मंदिर के प्रांगण में मौजूद कुंए के पानी से स्नान करवाया जाता है। 108 घड़ों से स्नान करने के बाद महत्वपूर्ण अनुष्ठान भी किए जाते हैं। बता दें कि स्नान वाले जल में फूल, चंदन, केसर और कस्तूरी को मिलाया जाता है, जिसके बाद भगवान को सादा बेश बनाते हैं और दोपहर में हाथी बेश पहना कर भगवान गणेश के रूप में तैयार करते हैं।
14 दिनों तक हो जाते हैं बीमार
बता दें कि इस स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ 14 दिनों के लिए बीमार हो जाते हैं, जिसकी वजह से उनके कपाट को भी बंद कर दिया जाता है। दरअसल, इतना ज्यादा नहाने के बाद वह बीमार पड़ जाते हैं। इसलिए 14 दिनों तक उन्हें ठीक करने के लिए उपचार चलता है। 15वें दिन यानि कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं, जिसे नेत्र उत्सव के नाम से जानते हैं। इसी नेत्र उत्सव के अगले दिन यानि कि आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया तिथि को शोभायात्रा जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू कर दी जाती है, जहां देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग इसे देखने के लिए आते हैं।