विशेष संवाददाता
कोलकाता : मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सोने पर आयात शुल्क 15 से घटाकर 6 प्रतिशत करने की घोषणा की अर्थात् 9 प्रतिशत की कमी। लोगों को खुशी हुई कि शादी के सीजन से पहले सरकार ने सोना सस्ता कर दिया। लेकिन वास्तव में सरकार ने यह कदम अपने लालच में, अपने स्वार्थ में उठाया। सरकार इससे बहुत बड़ा फायदा उठाएगी और आम आदमी को लगभग 27 हजार करोड़ रुपये की चपत लग जाएगी।दरअसल, सरकार ने सोने के प्रति मोह तोड़ने के लिए 2015 से गोल्ड बॉन्ड स्कीम शुरू की थी। उसकी पहली किस्त 2916 रुपये प्रति ग्राम के हिसाब से जारी की गई। यह 30 नवंबर, 2023 को मैच्योर हुई तो सरकार को दोगुना से भी अधिक कीमत चुकानी पड़ी, क्योंकि सोने का दाम 6 हजार प्रति ग्राम से भी ऊपर पहुंच गया था। निवेशकों के लिए मजे की बात यह थी कि सरकार हर वर्ष इन बॉन्ड पर 2.75 प्रतिशत का ब्याज भी चुका रही थी।5 अगस्त को मैच्योरिटी : गोल्ड-बॉन्ड स्कीम की दूसरी किस्त अगस्त 2016 में जारी की गई जो अब 5 अगस्त, 2024 को मैच्योर होनी है। जारी करते समय इसका दाम 3119 रुपये प्रति ग्राम रखा गया था। अब बजट से पहले सोना 7600 रुपये प्रति ग्राम पर बाजार में बिक रहा था, स्वाभाविक है कि यहां भी सरकार को भारी चपत लगने वाली थी और उसे हर छमाही आधार पर चुकाए गए ब्याज के बाद भी दोगुना से अधिक कीमत बॉन्ड के निवेशकों को चुकानी पड़ती। संभवतः वित्तमंत्री ने यही हिसाब लगाया और सोने का दाम कृत्रिम रूप से गिराने का खेल खेला। इससे सरकार को अब सीधे 9 प्रतिशत कम भुगतान करना होगा। पहले जहां 7600 रुपये प्रति ग्राम के हिसाब से भुगतान करना पड़ता, अब संभवतः 6700-6800 रुपये प्रति ग्राम के हिसाब से भुगतान करना होगा।