Morning walk स्वास्‍थ्य के लिए है रामबाण! पढ़िए इसके फायदे

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कोलकाता : समूह में वाॅकिंग करते समय आपस में हंसी-मज़ाक का माहौल बना रहता है इसकी वजह से मनोदैहिक स्वास्थ्य पर एक खास असर पड़ता है। परिणामस्वरूप व्यक्ति के स्वास्थ्य में एक अलग ही ताजगी देखने को मिलती है। हंसने से जहां व्यक्ति के शरीर में रक्त संचार की गति अधिक बढ़ जाती है वहीं दिमागी समस्याओं से पीडि़त रोगियों को भी निसंदेह एक विशेष लाभ पहुंचता है। यह सर्वविदित है कि वाॅकिंग मानव शरीर के लिए नितांत आवश्यक है। सूर्योदय के समय वाॅक करने से जहां मन को एक असीम शांति मिलती है, वहीं काम क्रोध और ईर्ष्या जैसे मनोदोषों का नाश होता है जबकि विद्यार्थियों के लिए यह एकाग्रता बढ़ाने हेतु एक संजीवनी बूटी से कम साबित नहीं होता। ऐसा करने से रात को मीठी गहरी नींद तो आती ही है, शरीर को भी मनचाहा सुखद आराम प्राप्त होता है।हालांकि वाॅकिंग को व्यायाम की दृष्टि से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद बताया गया है किंतु जहां यह एक सरल व्यायाम प्रक्रिया है, वहीं यदि कुछ उचित बातों का खास स्मरण नहीं रखा जाए तो हमारे शरीर हेतु एक मुसीबत खड़ी कर सकता है। इसलिए अगर आप वाकिंग के द्वारा हमेशा खुशनुमा बना रहना चाहते हैं तो निम्न बातों का विशेष ख्याल रखें-

 

शारीरिक मुद्रा का विशेष ध्यान रखें

देखने में आया है कि हम अक्सर किसी दूसरे व्यक्ति के कहने मात्र से ही अनायास वाकिंग करने के लिए एकदम तैयार होकर चल देते हैं। वैसे तो यह गलत कार्य नहीं है लेकिन वाकिंग करते वक्त शारीरिक मुद्रा का विशेष महत्त्व होता है। इसके अभाव में वाकिंग रूपी व्यायाम का अभीष्ट लाभ नहीं मिलता इसीलिए इस दौरान शरीर को बिलकुल सीधी स्थिति में रखें। इससे वाकई सौ फीसदी लाभ होगा। वाकिंग के दौरान कोशिश करें कि जहां तक हो सके, झुकें नहीं बल्कि शरीर की रीढ़ की हड्डी को सीधा रखकर वाक करें। इससे अवश्य ही शरीर पर उचित प्रभाव पड़ेगा।

समूह में वाक करें

दरअसल मानव एक सामाजिक प्राणी है और समाज में समूह के बगैर उसके जीवन का अस्तित्व नहीं के तुल्य है इसलिए प्रयास करें कि दो चार व्यक्तियों के साथ सामूहिक वाक करें तो श्रेष्ठकर साबित होगा। अकेले में वाक करने से मन अशांत और अवसाद से ग्रसित रहता है और व्यक्ति अकेले में वाक करते समय अपने एक अलग ही विचार में लिप्त रहता है जिसके कारण उसकी वाक सही मायनों में सम्पूर्ण नहीं हो पाती है। दूसरी ओर समूह में वाॅकिंग करते समय आपस में हंसी-मज़ाक का माहौल बना रहता है इसकी वजह से मनोदैहिक स्वास्थ्य पर एक खास असर पड़ता है। परिणामस्वरूप व्यक्ति के स्वास्थ्य में एक अलग ही ताजगी देखने को मिलती है। हंसने से जहां व्यक्ति के शरीर में रक्त संचार की गति अधिक बढ़ जाती है वहीं दिमागी समस्याओं से पीडि़त रोगियों को भी निसंदेह एक विशेष लाभ पहुंचता है।

नाक से ही सांस लें

वाकिंग के नियम रूपी इस पायदान पर हमें यह जरूर ध्यान में रखना है कि सांस पूरी तरह से नाक के मार्ग से ही शरीर के भीतर प्रवेश करे न कि मुंह के द्वारा क्योंकि ऐसा करने पर मुंह काफी हद तक सूख जाता है और फेफड़ों समेत पूरी बाॅडी को ठीक तरह आक्सीजन नहीं मिल पाती। फलस्वरूप फेफड़ों में धूल प्रवेश कर जाती है। इस प्रकार व्यक्ति न चाहते हुए भी विपरीत परिस्थितियों में फंसकर बीमार हो उठता है जो स्वास्थ्य के लिहाज से यकीनन बेहद नुकसानदायक हो सकता है।

 

एड़ी की जगह पंजों को स्थान दें

जब हम तन और मन की थकान को दूर करने की बात करते हैं तो इसके लिए प्रतिदिन प्रात:काल के समय वाकिंग का सहारा लेते है। ऐसे में इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिये कि एड़ी की तुलना में पंजों का इस्तेमाल अधिकाधिक करें वरना टखने में दर्द की पीड़ा होने से कोई नहीं रोक सकता। डाक्टरों के अनुसार, व्यक्ति के पैरों की संरचना दौड़ने की अपेक्षा चलने के लिए अति उत्तम है। सो, वाकिग के दौरान पैरों की एड़ी के प्रयोग की जगह पंजों को महत्त्व देना चाहिये।

 

पेड़-पौधों को महत्त्व दें

प्रात:काल वाकिंग करते समय खुले स्थानों, पार्कों के अलावा पेड़-पौधों वाली जगहों का भली-भांति चयन करें। यकीनन, इस तरह से दिमागी तनाव तो कम होगा ही, साथ ही उचित मात्र में शरीर को शुद्ध आक्सीजन भी मिलेगी जो स्वास्थ्य के लिए हर दृष्टि से उपयोगी साबित होगा।

 

मोबाइल के प्रयोग से बचें

उगते सूर्य को नमस्कार करते समय आमतौर पर देखने को मिलता है कि व्यक्ति सहज रूप से वाक करते समय बीच-बीच में मोबाइल का भरपूर उपयोग करते हुए बातें करते रहते हैं। इसकी वजह से व्यक्ति का दिमागी संतुलन बंट जाता है और शरीर का बैलेंस लडख़ड़ा जाने से नुक्सान होने की संभावना बढ़ जाती है जो हर लिहाज से व्यक्ति के लिए घातक सिद्ध हो सकता है, इसलिये वाकिंग के दौरान कोशिश करें कि मोबाइल का इस्तेमाल नहीं के बराबर करें। यह आपके हित के लिए सर्वोत्तम रहेगा।

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