क्या आप जानते हैं कि पूजा-पाठ के दिनों में प्याज लहसुन क्यों नहीं खाते लोग? | Sanmarg

क्या आप जानते हैं कि पूजा-पाठ के दिनों में प्याज लहसुन क्यों नहीं खाते लोग? 

कोलकाता : आपने व्रत-त्योहारों पर लोगों को लहसुन-प्याज या तामसिक भोजन से परहेज करते देखा होगा। एकादशी, प्रदोष व्रत से लेकर किसी भी बड़े व्रत-त्योहारों पर लोग प्याज लहसुन नहीं खाते हैं। आपको बता दें क‌ि नवरात्रि दौरान भक्त नौ दिन तक व्रत और उपवास  रखकर शक्ति की प्रतीक माता की पूजा अर्चना करते हैं। नवरात्रि के दौरान सात्विक भोजन करने की परंपरा के कारण भक्त प्याज लहसुन नहीं खाते हैं। हमेशा से आप सुनते आ रहे होंगे की व्रत में लहसुन और प्याज नहीं खाया जाता, लेकिन आखिर ऐसा करने का कारण क्या है चलिए आपको बताते हैं।

क्या है इसके पीछे की कहानी?

बता दें क‌ि पौराणिक ग्रंथों के अनुसार प्याज और लहसुन को राहु और केतु का प्रतीक माना जाता है। देवताओं और असुरों के समुद्र मंथन से कई दिव्य चीजें निकली थी। इसमें अमृत का कलश भी था। भगवान विष्णु नहीं चाहते थे कि असुर अमृत पान करें इसलिए वे अमृत बांटने के लिए मोहिनी का रूप धारण कर देवताओं को अमृतपान कराने लगे। एक असुर वेश बदल कर देवताओं की लाइन में लग कर अमृत पी लिया लेकिन भगवान विष्णु उसे पहचान लिए और सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया. इस असुर को सिर राहु और धड़ केतु के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि अमृत पान के कारण वे अमर हो गए हैं और अब भी लोगों के राशिफल में परेशानियां खड़ी करते हैं। असुर का सिर कटने के कारण दो बूंद रक्त धरती पर गिर पड़ा जो प्याज और लहसुन बन गया।

इसे तामसिक भोजन माना गया…

आपाके बता दें क‌ि प्याज लहसुन को तामसिक भोजन माना जाता है। इससे मानव में तामसिक इच्छाएं जन्म लेती हैं और इसके कारण सकारात्मक एनर्जी में कमी आती है। नवरात्रि के दौरान वातावरण को शुद्ध और सात्विक रखने के लिए प्याज लहसुन नहीं खाना चाहिए. आयुर्वेद के अनुसार भी प्याज लहसुन को शरीर में गर्मी बढ़ाने वाला माना गया है। नवरात्रि के दोरान भक्तों को सरल और सादा जीवन जीना चाहिए, इसलिए प्याज लहसुन नहीं खाना चाहिए.

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