सावन सोमवार के अगले दिन मां मंगलागौरी सहित हनुमान जी का ऐसे … | Sanmarg

सावन सोमवार के अगले दिन मां मंगलागौरी सहित हनुमान जी का ऐसे …

कोलकाता : ज्योतिष में मंगलवार का दिन श्री हनुमान का माना जाता है। साथ ही इस दिन देवी माता दुर्गा के पूजन का भी विधान है। ऐेसे में साल के हर सप्ताह में आने वाले मंगलवार को भक्त श्री हनुमान व माता दुर्गा की इस दिन पूजा करते है। वहीं सावन में यह दिन मां मंगला गौरी जो माता पार्वती का ही एक रूप मानी जाती हैं की पूजा की जाती है। आज यानी मंगलवार, 30 जुलाई 2024 को मां मंगला गौरी के अलावा हनुमान जी की भी पूजा करना बेहद खास रहेगा।
मंगलवार को हनुमान की पूजा विशेष क्यों?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी कलयुग के प्रमुख देव हैं, साथ ही इनकी पूजा व्यक्ति को सभी प्रकार के संकटों से बचाती है। धर्म पुस्तकों में भी हनुमान जी की पूजा बहुत ही प्रभावशाली मानी गई है, माना जाता है कि अपने भक्तों को कभी कष्ट में नहीं रहने देते।
इनके मुख्य दिन सप्ताह में मंगलवार और शनिवार माने गए हैं। इसके अलावा हनुमान जी की पूजा के संबंध में माना जाता है कि यह अज्ञात भय, शिक्षा में बाधा, आत्मविश्वास आदि की समस्या को जड़ से खत्म कर देती है।
सावन में मंगलवार को मां मंगला गौरी की पूजा
वहीं, सावन के मंगलवार पर मंगला गौरी के व्रत का विधान है। इस व्रत के संबंध में भविष्य पुराण में भी जिक्र मिलता है भविष्य पुराण के अनुसार मंगला गौरी व्रत रखने का विधान अखण्ड़ सौभाग्य और संतान प्राप्ति की कामना के लिए किया जाता है।
जानकारों का कहना है कि वैवाहिक जीवन में चल रहे कष्ट के अलावा विवाह में देर अथवा पति सुख नहीं मिल पाने वाली वाली महिलाओं को ये व्रत अवश्य करना चाहिए।

कब करनी चाहिए हनुमान जी की पूजा?
मान्यता के अनुसार हनुमान जी की पूजा मंगलवार के दिन सुबह और शाम दोनों समय करनी चाहिए। इस दिन सूर्य निकलने के बाद व सूर्यास्त के बाद हनुमान जी की पूजा विशेष मानी जाती है। ध्यान रहे हनुमान जी की पूजा में नियम और अनुशासन का खास पालन करना चाहिए।
इस मंगलवार मंगला गौरी की पूजा विधि
सावन के मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहन लें। मंदिर आदि की सफाई करने के बाद देवी मां मंगला गौरी की तस्वीर अथवा मूर्ति को पूजा वाले स्थान पर फल व फूल अर्पित करते हुए स्थापित करें। अब देवी आटे से बने दीपक पर सोलह बत्तियां मां के सामने जलाएं। फिर ‘मम पुत्रापौत्रा-सौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरी-प्रीत्यर्थं पंचवर्ष-पर्यन्तं मंगलागौरी-व्रतमहं करिष्ये’ श्लोक से पूजा शुरु करें। इस पूजा में सभी चीज 16 होनी चाहिए, वहीं माता के इस दिन व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करने का विधान है।

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