भय और आतंक के साये में प्रिसाइडिंग ऑफिसरों ने करवाया मतदान | Sanmarg

भय और आतंक के साये में प्रिसाइडिंग ऑफिसरों ने करवाया मतदान

किसी को देखा गया रोते हुए तो कोई पढ़ रहा था हनुमान चालीसा
2018 के पंचायत चुनाव में एक प्रिसाइडिंग ऑफिसर की हुई थी मौत
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : शनिवार को राज्य में 71,000 से अधिक सीटों पर त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न हुआ और 11 तारीख को मतगणना होनी है। कोई भी चुनाव करवाने में वोट कर्मियों और प्रिसाइडिंग ऑफिसरों की अहम भूमिका होती है क्योंकि वे ही मतदान की प्रक्रिया कराते हैं। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव हमेशा ही खून-खराबे और हत्या से भरा होता है। ऐसे में इस दिन भय और आतंक के साये में प्रिसाइडिंग ऑफिसरों ने चुनाव करवाया। यहां उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 के पंचायत चुनाव में रायगंज में एक प्रिसाइडिंग ऑफिसर का शव ट्रेन की पटरी से बरामद किया गया था। वह बात 2023 के पंचायत चुनाव में भी प्रिसाइडिंग ऑफिसरों के मन में ताजा रही और लोगों ने किसी तरह भय के साये में मतदान कराया।
बीरभूम में रोने लगी प्रिसाइडिंग ऑफिसर
बीरभूम के मयूरेश्वर हाई स्कूल में 10 नंबर बूथ महिला संचालित है। यहां महिला प्रिसाइडिंग ऑफिसर को भय से रोते हुए देखा गया। उनका आरोप है कि पूरे बूथ को लूट लिया गया और बूथ में तांडव चलाया गया। यहां केवल एक सशस्त्र पुलिस थी और कहीं केंद्रीय वाहिनी नहीं थी।ऐसे में महिलाओं द्वारा संचालित बूथ में वोट कर्मी असुरक्षित महसूस कर रहे थे। इन सब हालातों के बीच प्रिसाइडिंग ऑफिसर को रोते हुए देखा गया। वहीं रामपुरहाट के संतोषपुर हाईस्कूल में भी वोट लूट का आरोप है। आतंक के कारण यहां प्रिसाइडिंग ऑफिसर बीमार पड़ गये। आरोप है कि यहां 8 से 10 महिलाएं बैलट पेपर पर छप्पा मार रही थी और प्रिसाइडिंग ऑफिसर असहाय खड़े थे। यहां भी कोई केंद्रीय वाहिनी मौजूद नहीं थी।
पढ़ रहा था हनुमान चालीसा, बेटी को कर रहा था याद
आतंक के साये में पंचायत चुनाव करा रहे एक प्रिसाइडिंग ऑफिसर ने कहा, ‘मैं अपनी बेटी का चेहरा याद कर रहा था और हनुमान चालीसा पढ़ रहा था। मुझे नहीं पता था कि सही-सलामत घर लौट पाऊंगा या नहीं।’ वहीं एक प्रिसाइडिंग ऑफिसर ने बताया कि किस तरह चुनाव शुरू होने से पहले ही गुण्डे बूथ में आ गये और छप्पा वोटिंग कर वोट लूट लिये।

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