

नयी दिल्ली : दिल्ली कार ब्लास्ट आतंकी हमला ही था, जिसे पुलवामा के आतंकी डॉ. मो. उमर नबी ने अंजाम दिया था। वह आत्मघाती आतंकी था, खुद भी मारा गया। उसने अमोनियम नाइट्रेट से यह धमाका किया, इसी कारण किसी घायल के शरीर से छर्रे या कीलें आदि नहीं मिलीं। अमोनियम नाइट्रेट व ऑयल मिलाकर बम बनाया गया था। धमाके में मरने वालों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है, 20 घायलों का इलाज चल रहा है।
जैश आतंकी ग्रुप ने कराया धमाका
फरीदाबाद से मुजम्मिल गनी व सहारनपुर से डॉ. आदिल राथेर की गिरफ्तारी से घबरा कर यह धमाका जैश टेरर मॉड्यूल के तीसरे सदस्य डॉ. उमर मोहम्मद ने किया था। पुलिस ने उनके पास से अमोनियम नाइट्रेट समेत 3,000 किलो विस्फोटक जब्त किया था।
डर गया था उमर
उमर के तीन अन्य आतंकी साथी डॉ. आदिल सहारनपुर से, पुलवामा का डॉ. मुजम्मिल गनी व लखनऊ से गनी की गर्लफ्रेंड डॉ. शाहीन शाहिद की गिरफ्तारी और 3000 किलो विस्फोटक बरामद होने के बाद उमर डर गया था। पकड़े जाने के डर से उसने ब्लास्ट कर दिया।
जैश ए मोहम्मद से संबंध
हरियाणा के फरीदाबाद से गिरफ्तार महिला डॉ. शाहीन शाहिद भारत में जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग ‘जमात-उल-मोमीनात’ की प्रमुख है। पाकिस्तान में आतंकी अजहर मसूद की बहन सादिया इस महिला विंग की प्रमुख है। सूत्रों ने कहा कि दिल्ली लाल किला कार धमाका और जैश आतंकी ग्रुप के बीच 2 लिंक दिख रहे हैं।
पहला, वह आतंकी मॉड्यूल है, जिसने हमला किया है। दूसरा, डॉ. शाहीन नामक महिला की कार में राइफल और गोला-बारूद मिला था। वह हरियाणा के फरीदाबाद में अल-फला यूनिवर्सिटी में अपने प्रेमी डॉ. मुजम्मिल शकील गनी के साथ काम करती थी। दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
सेना ने जैश को बनाया था निशाना
आतंकी संगठन ‘जैश-ए-मोहम्मद’ को कुख्यात आतंकवादी मसूद अजहर ने बनाया है। 2019 में पुलवामा हमले में 40 जवानों की जान चली गयी थी। सन् 2025 में पहलगाम हमले में 26 निर्दोष लोग मारे गए थे। दोनों हमलों के बाद भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान कुख्यात आतंकी संगठन को निशाना बनाया था।
जांच NIA को सौंपी गयी
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस विस्फोट की जांच मंगलवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) को सौंप दी। स्पष्ट संकेत है कि इस विस्फोट को सरकार आतंकवादी कृत्य मान रही है, क्योंकि NIA को केवल आतंकवादी मामलों की जांच करने का अधिकार है।
6 मृतकों का DNA टेस्ट किया जाएगा
मृतकों में से केवल 6 शवों की पहचान हो पायी है, बाकी के शव इतनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं कि पहचान के लिए उनका DNA टेस्ट कराना पड़ेगा।
क्या होता है अमोनियम नाइट्रेट
एक गंधहीन, सफेद दानेदार केमिकल होता है। आम भाषा में इसे नाइट्रोजन खाद भी कह सकते हैं। यह खुद में कोई विस्फोटक नहीं है, लेकिन अगर इसे डीजल या किसी दूसरे फ्यूल से मिला दिया जाए, तो ये खतरनाक बम में बदल जाता है। आतंकियों द्वारा वर्ष 2007 का हैदराबाद बम ब्लास्ट और वर्ष 2010 के पुणे सीरियल बम ब्लास्ट भी अमोनियम नाइट्रेट के जरिये ही किये गए थे।
ऑपरेशन सिंदूर का बदला?
उमर पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा था। इसी आतंकी संगठन के ठिकानों पर पहलगाम हमले के बाद गुलाम कश्मीर में भारत ने हमले किए थे। आशंका है कि उसी खुन्नस में यह हमला किया गया।
ऑपरेशन सिंदूर 2.0 ?
देश में आक्रोश है तो सरकार भी गुस्से में है। प्रधानमंत्री से लेकर रक्षामंत्री तक के बयानों की भाषा वैसी ही है जैसी पहलगाम आतंकी हमले के बाद थी - हमले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। हो सकता है कि अब ‘आॅपरेशन सिंदूर 2.0’ शुरू हाे जाए।