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Delhi Blast : 'मैंने मौत को करीब से देखा', चश्मदीदों ने बयां किया दर्द

‘कुछ चमकदार चीज दिखी और फिर आग लगी। फिर घना काला धुआं दिखने लगा। मैंने सड़क पर लाशें, कांच के टुकड़े और मांस के टुकड़े बिखरे देखे।’
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नई दिल्ली : दिल्ली में लाल किले के पास सोमवार शाम को हुए विस्फोट के बाद घटना के कुछ चश्मदीद इसके बारे में याद करते हुए सिहर जाते हैं। विस्फोट में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। विस्फोट के बाद इलाके में धुआं भर गया और लोगों की चीख-पुकार सुनाई दे रही थी।

बिहार के रहने वाले और सड़क किनारे खाने-पीने की चीजों की दुकान चलाने वाले राम प्रताप उन लोगों में शामिल हैं, जो कल विस्फोट स्थल के पास ही थे और सौभाग्य से बच गए। अस्पताल में बिस्तर पर लेटे राम प्रताप ने जोरदार विस्फोट के कर्णभेदी शोर को याद करते हुए कहा, ‘लोग सड़क पर पड़े थे, कुछ खून से लथपथ थे, कुछ बिल्कुल भी हिल-डुल नहीं रहे थे। हर तरफ खून ही खून था। हमने मौत को करीब से देखा।’

राम प्रताप अपनी दुकान बंद करने की तैयारी कर रहे थे, तभी धमाका हुआ। अस्पताल में बिस्तर पर लेटे हुए उन्होंने कहा, ‘यह भी और शामों की तरह ही थी। कुछ ग्राहक इंतज़ार कर रहे थे कि अचानक एक जोरदार धमाका हुआ। शोर इतना तेज़ था कि कुछ सेकंड तक मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दिया। कांच के टुकड़े हम पर गिरे और घना धुआं चारों ओर फैल गया।’

अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश करते दिख रहे राम प्रताप ने कहा, ‘हर जगह खून ही खून था। मेरे अपने हाथ से भी बुरी तरह खून बह रहा था, लेकिन मुझे तब इसका एहसास भी नहीं हुआ। हमने मौत को बहुत करीब से देखा।’ अस्पताल के आपातकालीन वार्ड के बाहर मौजूद उनके एक रिश्तेदार ने बताया कि वह विस्फोट के समय बस कुछ ही मीटर की दूरी पर खड़े थे।उन्होंने कहा, ‘कुछ चमकदार चीज दिखी और फिर आग लगी। फिर घना काला धुआं दिखने लगा। मैं सिहर गया। मैं अपने भाई को नहीं खोज पा रहा था।’

राम प्रताप की दुकान से कुछ ही मीटर की दूरी पर, विजेंद्र यादव ने अपना पानी का टैंकर खड़ा किया ही था कि विस्फोट हो गया और सब कुछ अंधेरा हो गया। बिहार के सहरसा जिले के रहने वाले यादव, दिल्ली में पानी की आपूर्ति और टैंकर का व्यवसाय करते हैं। उनके हाथ में पट्टी बंधी हुई थी।

लोक नायक जय प्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल के बाहर खड़े होकर, उस शाम के भयावह दृश्यों को याद करते हुए उनकी आवाज कांप रही थी। उन्होंने कहा, ‘धमाके के बाद मैं जमीन पर गिर गया। जब मैं उठा, तो मेरे कपड़े खून से लथपथ थे। मैंने सड़क पर लाशें, कांच के टुकड़े और मांस के टुकड़े बिखरे देखे।’

उन्होंने कहा, ‘लोग चीख रहे थे, कुछ भाग रहे थे, और कुछ सदमे में दिख रहे थे। वह आवाज अब भी मेरे कानों में गूंज रही है।’ दो दशक से भी ज्यादा समय से इस व्यवसाय से जुड़े यादव ने बताया कि उनकी पत्नी और चार बच्चे बिहार में गांव में रहते हैं।

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगा था कि मैं उन्हें फिर कभी नहीं देख पाऊंगा। मेरी तीन बेटियां हैं। मैं सोच रहा था कि अगर मैं बच नहीं पाया तो उनका क्या होगा? मुझे अभी भी नहीं पता कि मैं कैसे बच गया। यह शोर-शराबा, यह डर, यह हमेशा मेरे साथ रहेगा।’

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