अंतिम पंघाल ने रचा इतिहास | Sanmarg

अंतिम पंघाल ने रचा इतिहास

अम्मान (जोर्डन) : पहलवान अंतिम पंघाल ने इतिहास रच दिया है। अंतिम पंघाल ने जोर्डन में अंडर-20 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में यूक्रेन की खिलाड़ी मारिया येफ्रेमोव को 4-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीता है। इसी के साथ वह लगातार दो विश्व खिताब जीतने वाली देश की पहली महिला पहलवान बन गई हैं। पदक जीतने पर परिवार में खुशी का माहौल है। परिवार के सदस्यों ने अंतिम का मैच देखा। पंघाल ने 53 किलोवर्ग में खिताब अपने नाम किया। उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में इतना जबर्दस्त प्रदर्शन किया कि सिर्फ दो अंक गंवाये। उन्होंने साबित कर दिया कि एशियाई खेलों के ट्रायल के लिये विनेश फोगाट को चुनौती देना अति आत्मविश्वास नहीं था। पिछले साल बुलगारिया में हुई इसी चैंपियनशिप में अंतिम ने स्वर्ण पदक जीता था। अब सीनियर स्तर पर भी खेलती हैं। अपनी फुर्ती और दिमाग के जबर्दस्त इस्तेमाल से पंघाल ने विरोधी के पैर पर लगातार हमले बोले। दाहिने पैर पर हमला बोलकर उन्होंने विरोधी को चित कर दिया। वहीं रीना ने 57 किलोवर्ग में कजाकिस्तान की शुगीला ओमिरबेक को 9-4 से हराया। जबकि भारतीय पहलवान सविता 62 किलोवर्ग में अंडर 20 विश्व चैंपियन बनीं। इसके पहले गुरुवार को प्रिया मल्लिक ने 76 किग्रा. वर्ग में खिताब जीता था और भारत के 7 पहलवानों ने इस बार पदक जीता है जिसमें 3 स्वर्ण पदक शामिल है। अंतिम कुंडू (65 किग्रा.) ने रजत, रीना (57 ​किग्रा.), आरजू (68 किग्रा.) और हर्षिता (72 किग्रा.) कांस्य पदक जीते। अंतिम के पिता रामनिवास किसान हैं। माता कृष्णा गृहिणी हैं। 4 बहनों में अंतिम सबसे छोटी हैं। उनका एक भाई भी है। पिता रामनिवास ने बताया कि बेटी का सपना था कि वह कुश्ती में नाम रोशन करे और देश के लिए खेले। पर गांव में कुश्ती कोच की सुविधा नहीं थी। बेटी के सपने को पंख लगाने के लिए गांव छोड़ने का फैसला लिया। शुरुआत में बेटी अंतिम ने महाबीर स्टेडियम में एक साल तक अभ्यास किया। अब चार साल से बाबा लालदास अखाड़ा में प्रशिक्षण ले रही हैं।

वह हिसार के गंगवा में रह रही हैं। अंतिम की बड़ी बहन सरिता कबड्डी की राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं। जब सरिता ने कबड्डी की शुरुआत की तो छोटी बहन अंतिम ने भी खेलने की बात कही। मगर सरिता ने मना कर दिया और बोली कि टीम गेम में भेदभाव होता है।

इसलिए आप कबड्डी न खेलकर कुश्ती शुरू करो। कुश्ती एकल गेम है। इस गेम में खुद की मेहनत ही रंग लाती है। उसके बाद अंतिम मैट पर उतर गई और दाव-पेंच सीखना शुरू कर दिया।

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