एक मंच पर भारत, चीन, रूस व जापान!

ट्रंप केे कोर-5 प्लान में यूरोप के बजाय ज्यादा जनसंख्या वाले और ज्यादा सैन्य शक्ति वाले देशों को तरजीह!
एक मंच पर भारत, चीन, रूस व जापान!
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नयी दिल्ली/वाशिंगटन : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अर्थव्यवस्था के अपने मौजूदा मानदंडों से हटकर यूरोपीय देशों जैसे ‘पारंपरिक दोस्तों’ के बजाय अब ऐसे देशों को साथ लाना चाहते हैं जिनकी आबादी ज्यादा है। इस ग्रुप को ‘कोर-5’ या ‘C-5’ नाम दिया गया है। इस तरह का ग्रुप बनाने का मकसद भारत, चीन, रूस और जापान को एक साथ लाना है। ट्रंप की गतिविधियों पर करीबी नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि वे चाहते हैं कि ऐसे देशों का संगठन हो जो कि सेना और जनसंख्या के स्तर पर मजबूत हों।

अमेरिकी प्रकाशन ‘पॉलिटिको’ ने शुक्रवार (12 दिसंबर) को एक लेख में कहा कि अमेरिका को G-7 और G-20 जैसे फोरम नाकाफी लग रहे हैं। ऐसे में बहुध्रुवीय दुनिया के लिए नये फोरम का विचार हो रहा है। इसकी पहली बैठक में ही मध्य एशिया में शांति बहाल करने और इजरायल-सऊदी अरब के बीच रिश्ते सुधारने को लेकर चर्चा हो सकती है। विशेषज्ञ साथ ही कह रहे हैं कि मौजूदा परिदृश्य में यह पानी में घी घोलने जैसा काम है।

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एक तरफ भारत और चीन का 36 का आंकड़ा है तो दूसरी तरफ चीन और जापान भी प्रतिद्वंद्वी हैं हालांकि रूस और अमेरिकी की बात करें तो ट्रंप ने पुतिन से करीबी बढ़ाने के लिए पहल जरूर की है। विशेषज्ञों के अनुसार ट्रंप का अजेंडा है कि यूरोप आधारिक संगठनों को आगे बढ़ाने के बजाय उभरती हुई ताकतों का संगठन बनाया जाये।

वाॅइट हाउस की नेशनल सिक्योरिटी का प्लान है कि इस ग्रुप का फोकस कुछ खास मुद्दों पर होगा। इसके अलावा G-7 की ही तरह इसके शिखर सम्मेलन होंगे हालांकि इस विचार पर अभी बहस चल रही है क्योंकि इस तरह का ग्रुप दुनियाभर में बड़ा उथल-पुथल करने वाला हो सकता है।

एक पक्ष का कहना है कि अमीर और लोकतांत्रिक देशों से इतर यह संगठन शक्ति पर आधारित होगा। C-5 को लेकर अब तक कोई आधिकारिक स्पष्टता नहीं है हालांकि अमेरिका की विदेश नीति से लगता है कि वह इसे धरती पर उतार सकता है। यह संगठन रूस को सामने रखते हुए नाटो को कमजोर करने का प्लान भी साबित हो सकता है।

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