भारत और भूटान के बीच ऊर्जा सहयोग और ‘कनेक्टिविटी’ बढ़ाएं : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने थिम्पू, भूटान में भूटान-भारत मैत्री परियोजना, मंगदेछु-II जलविद्युत संयंत्र के उद्घाटन के अवसर पर एक पट्टिका का अनावरण किया।
PM modi in Bhutan
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थिंपू : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत और भूटान सिर्फ सीमाओं से ही नहीं, बल्कि संस्कृति से भी जुड़े हुए हैं। इसके साथ ही उन्होंने दोनों पड़ोसी देशों के बीच ऊर्जा सहयोग और संपर्क (कनेक्टिविटी) बढ़ाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री मोदी ने भूटान के पूर्व नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक की 70वीं जयंती के मौके पर चांगलीमेथांग स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की।

उन्होंने कहा, ‘कनेक्टिविटी अवसर पैदा करती है और अवसर समृद्धि पैदा करते हैं। इसी दृष्टिकोण के अंतर्गत गेलेफु और समत्से शहरों को भारत के विशाल रेल नेटवर्क से जोड़ने का निर्णय लिया गया है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह परियोजना पूरी होने पर भूटान के उद्योगों और किसानों की भारत के विशाल बाजार तक पहुंच और आसान हो जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि रेल और सड़क संपर्क के अतिरिक्त दोनों देश सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने गेलेफु माइंडफुलनेस सिटी पहल का उल्लेख करते हुए इसके विकास के लिए भारत के पूर्ण समर्थन की पुष्टि की।

उन्होंने यह भी घोषणा की है कि भारत जल्द ही आगंतुकों और निवेशकों की सुविधा के लिए गेलेफु के पास आव्रजन चौकी स्थापित करेगा। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि भारत और भूटान का तेज़ी से विकास हो रहा है और उनकी ऊर्जा साझेदारी इस विकास को गति दे रही है। उन्होंने कहा कि भारत-भूटान जलविद्युत सहयोग की नींव पूर्व नरेश के नेतृत्व में रखी गई थी।

भारत और भूटान सौर ऊर्जा में भी बड़े कदम उठा रहे

मोदी ने सतत विकास और पर्यावरण-प्रथम दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए भूटान के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि उनकी इसी दूरदर्शी नींव ने भूटान को दुनिया का पहला ‘कार्बन-निगेटिव’ देश बनने में सक्षम बनाया है जो असाधारण उपलब्धि है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रति व्यक्ति नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में भूटान विश्व के शीर्ष देशों में से एक है और वर्तमान में अपनी 100 प्रतिशत बिजली का उत्पादन नवीकरणीय स्रोतों से करता है।

उन्होंने कहा कि इस क्षमता का और विस्तार करते हुए आज 1,000 मेगावाट से अधिक की एक नयी जलविद्युत परियोजना का आरंभ किया जा रहा है जिससे भूटान की जलविद्युत क्षमता में 40 प्रतिशत वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके अतिरिक्त, लंबे समय से रुकी एक और जलविद्युत परियोजना पर भी काम फिर शुरू हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह साझेदारी केवल जलविद्युत तक ही सीमित नहीं है। भारत और भूटान अब सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी एक साथ बड़े कदम उठा रहे हैं। आज इससे जुड़े अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन भूटान, भूटान के शाही परिवार और विश्व शांति में विश्वास रखने वाले सभी लोगों के लिए बहुत अहम है। उन्होंने भारत और भूटान के बीच सदियों से चले आ रहे गहन आत्मीय और सांस्कृतिक संबंधों का उल्लेख किया और कहा कि इस महत्वपूर्ण अवसर पर भाग लेना भारत की और उनकी अपनी प्रतिबद्धता थी। प्रधानमंत्री ने पूर्व नरेश की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनका जीवन ज्ञान, सादगी, साहस और राष्ट्र के लिए निस्वार्थ सेवा का संगम है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत और भूटान, सिर्फ सीमाओं से नहीं, संस्कृतियों से भी जुड़े हैं। हमारा रिश्ता मूल्यों, भावनाओं, शांति और प्रगति से भी जुड़ा है। 2014 में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद, मुझे अपनी पहली विदेश यात्रा में, भूटान आने का अवसर मिला था। मैं आज भी, उस यात्रा को याद करता हूं तो मन भावनाओं से भर जाता है। भारत और भूटान के संबंध इतने सशक्त और समृद्ध हैं। हम मुश्किलों में भी साथ थे, हमने चुनौतियों का सामना भी मिलकर किया, और आज जब हम प्रगति की, खुशहाली की तरफ चल पड़े हैं, तब भी हमारा साथ और मज़बूत हो रहा है।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत और भूटान की प्रगति और समृद्धि एक दूसरे से गहराई से जुड़े हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने इसी भावना को ध्यान में रखते हुए पिछले वर्ष भूटान की पंचवर्षीय योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये के सहायता पैकेज की घोषणा की थी।

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