कोलकाता: जर्मनी के रूढ़िवादी विपक्षी नेता फ्रेडरिक मर्ज ने राष्ट्रीय चुनाव में जीत हासिल की है। उनकी पार्टी सीडीयू (क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन) ने इस चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल किए हैं। जबकि वर्तमान चांसलर ओलाफ शोल्ज ने अपनी वामपंथी विचारधारा वाली सोशल डेमोक्रेटिक्स पार्टी (SPD) की हार स्वीकार कर ली है।
ओलाफ शोल्ज ने इस चुनाव को ‘कड़वा चुनाव परिणाम’ बताया। शोल्ज की पार्टी राष्ट्रीय संसदीय चुनाव में सबसे खराब परिणाम के साथ तीसरे स्थान पर रही। हालांकि, इस जीत के बाद मर्ज ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह ‘ईस्टर’ तक गठबंधन सरकार बना लेंगे, लेकिन यह चुनौतीपूर्ण होने की संभावना है।
जर्मन वेबसाइट डीडब्ल्यू की रिपोर्ट के अनुसार सीडीयू/सीएसयू को 28.5 फीसदी वोट मिले, जो पिछली बार की तुलना में थोड़े ज्यादा हैं। वैसे पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, जिससे उन्हें गठबंधन बनाने की चुनौती का सामना तो करना पड़ेगा। जबकि दूसरी ओर, धुर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी को 20.6 फीसदी वोट मिले। यह अब तक का उसका सबसे अच्छा प्रदर्शन है और पिछली बार से लगभग दोगुना मत प्रतिशत है।
रिपोर्ट के मुताबिक सीडीयू को 28.60 प्रतिशत वोट मिले। एएफडी को 20.80 प्रतिशत, एसपीडी को 16.40 प्रतिशत, ग्रीन पार्टी को 11.60 प्रतिशत और इसके अलावा बीएसडब्ल्यू, लेफ्ट पार्टी, एफडीपी व अन्य को 10 प्रतिशत से कम वोट मिले हैं।
वैसे तो जर्मनी का यह चुनाव मूल रूप से अपने तय समय से 7 महीने पहले हुए हैं। क्योंकि, शोल्ज का 3 साल का कार्यकाल अंदरूनी कलह से भरा रहा था, इसलिए जनता में उनके किसी भी उम्मीदवार के लिए कोई खास उत्साह नहीं दिखाया और उनकी पार्टी की बुरी हार हुई। उनकी एसपीडी इस बार तीसरे स्थान पर चली गई।
आखिर कौन हैं फ्रेडरिक मर्ज?
फ्रेडरिक मर्ज का जन्म 11 नवंबर, 1955 को पश्चिमी जर्मनी के ब्रिलोन शहर में हुआ था। वह एक प्रभावशाली कंजर्वेटिव और कैथोलिक परिवार से आते हैं। उनके पिता जज थे, और उनकी पत्नी शार्लोट भी इसी पेशे में हैं। वहीं मर्ज ने भी अपने पिता के पेशे को चुना और वो वकालत कर वकील बने लेकिन उनका मन वकालत में कम राजनीति में ज्यादा लगता था।
बीबीसी की एक रिपोर्ट की माने तो स्कूल खत्म करने के बाद, मर्ज ने सैन्य सेवा की और फिर कानून की पढ़ाई शुरू की। 1981 में उन्होंने अपनी साथी छात्रा, शार्लोट गास से शादी कर ली। जिसके बाद इनके तीन बच्चे भी हुए। कुछ साल तक तो मर्ज ने वकालत की लेकिन जब उनका मन यहां नहीं लगा तो वे राजनीति की तरफ मुड़ गया। वही 1989 में, जब वे 33 साल के थे तब उन्हें यूरोपीय संसद (ईयू पार्लियामेंट) के लिए चुना गया। यहीं से मर्ज पूरी तरह से राजनीति में कूद पड़े।
इसके बाद मर्ज ने सीडीयू में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। पार्टी में रहते हुए साल 2000 में संसदीय नेता बने। यही से उनके राजनीतिक करियर में बाधाएं आने लगीं। उन्हें पार्टी के अंदर ही सत्ता संघर्ष में एंजेला मर्केल से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद साल 2002 में उन्होंने एंजेला मर्केल को यह पद सौंप दिया। और साल 2005 में एक राजनीतिक विवाद या यूं कहें कि मर्ज ने खुद राजनीति से दूरी बनानी शुरू कर दी थी।
वहीं साल 2009 आते-आते राजनीति छोड़ने का फैसला कर लिया था। ऐसा लगने लगा था कि वे अब लौट कर राजनीति में नहीं आएंगे। वे अब वित्त और कॉर्पोरेट कानून में अपनी एक खास जगह बनाने लगते हैं। कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के बोर्ड में शामिल हो गए थे। इस दौरान उन्होंने करोड़ों रुपये कमाए। लेकिन, वो कहते हैं ना कि राजनीति से आप दूर तो चलें जाएंगे लेकिन राजनीति आपसे दूर नहीं जा पाती है। कुछ ऐसा ही फ्रेडरिक मर्ज के साथ भी हुआ।
अब एक दशक से ज्यादा समय तक राजनीति से दूर रहने के बाद वे संसद में फिर से लौटे। दरअसल साल 2018 में मर्केल द्वारा रिटायरमेंट की घोषणा की गई। इसके बाद 2020 में मर्ज को एक शीर्ष पद पर पार्टी में मौका मिला। पार्टी में लौटने के बाद उनका लक्ष्य था एंजेला मर्केल की नीति को पार्टी से हटाकर दक्षिणपंथी विचारधारा को फिर से स्थापित करना। वहीं 2021 में अपनी तीसरी जीत के दौरान मर्ज ने जर्मन संसद में भी वापसी की। हालांकि, तब उनकी पार्टी हार गई थी, लेकिन 2022 में मर्ज एक पसंदीदा विकल्प के रूप में देश में उभरे। उन्होंने पार्टी की बागडोर अपने हाथों में ली और सीडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। अब उनकी अगुवाई उनकी पार्टी देश में सरकार बनाने जा रही है।