कोलकाता: सिमट गया मेरा प्यार चंद लफ्जों में... उसने कहा प्यार तो है पर तुमसे नहीं किसी और से... ये क्राइम कथा की कहानी है एक फूल दो माली की... ये कहानी है एक अनार दो बीमार जैसे हालातों की। इस क्राइम कथा की कहानी में सेक्स और सियासत के कॉकटेल में हुआ प्रेम त्रिकोण का खूनी अंत है।
जहां एक रईस सियासतदान का बेटा है और उसके चाहने वालों की लिस्ट में दो नाम शामिल हैं जिसमें एक नाम थी मशहूर आरटीआई कार्यकर्ता शहला मसूद। जबकि दूसरी थी जाहिदा परवेज जो, भोपाल के सबसे रईस बोहरा खानदान की बहू थी और वो शख्स जिसके इर्द-गिर्द ये कहानी घूमती है उसका नाम है ध्रुव नारायण सिंह, जो मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बिहार के पूर्व राज्यपाल गोविंद नारायण सिंह के बेटे हैं।
16 अगस्त, 2011 एक डायरी के पन्ने में लिखा होता है कि उसे उसके घर के सामने गोली मार दी गई। मैं सुबह से ही परेशान थी लेकिन अली ने 11 बजकर 15 मिनट पर फोन कर कहा कि मुबारक हो साहिब, हमने उसके घर के सामने काम कर दिया। उसकी हत्या की पुष्टि के लिए मैंने अपने एक कर्मचारी को शहला के घर भेजा और उसके बाद मुझे सुकून मिला। ये डायरी किसी और की नहीं बल्कि जाहिदा परवेज की थी।
इस कहानी में 13-14 साल और पीछे चलते हैं। साल 1997-98 में जाहिदा जबलपुर से भोपाल आई थी और उसने अपनी इंटीरियर डिजाइनिंग की कंपनी शुरू की थी। इस कंपनी को शुरू करने में उसकी सबसे बड़ी मदद ध्रुव नारायण सिंह ने की थी। ध्रुव नारायण मध्य प्रदेश की राजनीति का बहुत नाम था। उसने ही जाहिदा के कामयाबी की पटकथा लिखी थी शायद यही वजह है कि जाहिदा और ध्रुव पर मर मिटने को तैयार थी। दोनों के बीच करीबियां बढ़ी और जिस्मानी संबंध भी बनने लगे थे। शादीशुदा ध्रुव एक प्रतिष्ठित घराने से ताल्लुक रखता था इसलिए वो कभी खुलकर इस संबंधों को बाहर नहीं आने देना चाहता था।
जबकि दूसरी तरफ जाहिदा बेहद खूबसूरत तो थी लेकिन थोड़ी सनकी मिजाज की लड़की थी। उसकी फैंटेसी की दुनिया अलग थी, वो जो चाहती उसे पाने की लालसा करने लगती थी। आप कह सकते हैं कि शायद जाहिदा की उसी फैंटेसी लाइफस्टाइल के कारण आज मैं आपको ये कहानी सुना रहा हूं। जाहिदा या यूं कहे कि दोनों को इस बात का पता था कि उनका ये संबंध कोई अंजाम नहीं पहुंचेगा। बावजूद इसके दोनों जज़्बात की रौ में बहने का मजा ले रहे थे।
दूसरी तरफ जाहिदा की भी शादी भोपाल के एक बड़े बोहरा घराने में हो गई थी। लेकिन, अवैध संबंधों का सिलसिला चले जा रहा था। कई रिपोर्ट ये कहते हैं कि जाहिदा, ध्रुव नारायण को अपने कंट्रोल में रखना चाहती थी। इसके लिए वो हर हद से गुजरने को तैयार रहती थी। जाहिदा का ध्रव के लिए प्यार कहें, इश्क कहें, हवस कहें या सनक कहें... वो ऐसा था कि जो कल्पना से परे था। जाहिदा ऐसी थी कि उसने ध्रुव से बनाएं अपने अंतरंग पलों का सीडी तक बनाकर रखा था। इसके अलावा नारायण के इस्तेमाल किए कॉंडम्स को तारीखों के साथ लिखकर प्लास्टिक में रखा करती थी और इन पलों को अकेले में याद किया करती थी। ऐसी थी जाहिदा की सनक।
... लेकिन, इस कहानी में मोड़ तब आता है जब ध्रुव नारायण सिंह की जिंदगी की में शेहदा मसूद की एंट्री होती है। ध्रुव के साथ वैसे तो शेहला के संबंध 2000 से ही थे। उसने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई की थी। इसके बाद वो दिल्ली में ही अमिताभ बच्चन कॉरपोरेशन लिमिटेड में इवेंट मैनेजमेंट के तौर पर कुछ समय काम किया। इसके बाद वो वह अपनी एक इवेंट कंपनी खोलने के लिए दिल्ली से भोपाल लौट आती है। जिसका नाम था ‘मिरेकल्स’। कई रिपोर्ट ये दावा करते हैं कि साल 2003 से 2007 के बीच भोपाल विकास प्राधिकरण के चेयरमैन के रूप में ध्रुव नारायण ने शेहला के बिजनेस में अच्छी खासी मदद की थी। जब शेहला से ध्रुव की करीबियां बढ़ती है तो ध्रुव में कई बदलाव आने लगते हैं। जैसे वो डायटिंग और कसरत करने लगा था। नए-नए ब्रांडेड कपड़े और सजने संवरने का नया-नया शौक चढ़ गया था।
ये सब देख जाहिदा को पसंद नहीं आ रहा था। जाहिदा ये सोच रही थी कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि नारायण रातों-रातों इतना बदल गया। इसी दौरान ध्रुव अब जाहिदा से दूरी भी बनाने लगा था। जाहिदा जो कहती उसके बातों को टालने भी लगा था। जाहिदा को ये बाते खटकने लगी थी। उसे ध्रुव नारायण के अंदर ये बदलाव बिल्कुल पंसद नहीं आ रहे थे। उसे अब ध्रुव से शिकायतें होने लगी थीं। अब जब जाहिदा को ध्रुव का ये बदलाव अजीब लगा तो उसने पता लगाने की कोशिश की। उसने ध्रुव के पीछे अपने लोगों को जासूस करने के लिए छोड़ दिया। फिर एक दिन वो समय आ ही गया जब जाहिदा के सामने ध्रुव के इस सच का खुलासा हुआ। ज़ाहिदा को ये पता चला कि ध्रुव की जिंदगी में कोई और लड़की आ गई है। जिसका नाम है शेहला मसूद।
जाहिदा को ये पता चला कि नारायण ने शेहला की पहली कंपनी खुलवाने में मदद की थी। इसके बाद शेहला की कंपनी को बड़े-बड़े आयोजनों के टेंडर मिल रहे थे। शेहला के लिए ध्रुव अपने पोजिशन, प्रभाव और पैसों का पूरा इस्तेमाल कर रहा था। इस बात को लेकर जाहिदा और ध्रुव के बीच कई बार लड़ाईंयां भी हुईं लेकिन ध्रुव को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। जाहिदा भीतर ही भीतर कुढ़ रही थी, उसे शेहला से जलन होने लगी थी। इस जलन में वो शेहला को किसी भी तरीके से ध्रुव और उसके रिश्ते से हटा देना चाहती थी।
रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस को जो डायरी जाहिदा से मिली थी, उसमें वो लिखती है कि- उसके (ध्रुव नारायण) शेहला और माहिरा के साथ अब तक रिलेशन बने हुए हैं। ये बातें मुझे मारे डाल रही हैं। I Hate You... दिल ही दिल में तुमसे कुछ नफरत सी हो गई है..। जाहिदा की सनक बढ़ने लगी थी वो अब आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गई थी। इसलिए उसने सबसे पहले भोपाल की उसी पॉश कॉलोनी में एक बंगला ले लिया था जहां शेहला रहा करती थी। इसकी वजह सिर्फ यही थी कि वह शेहला पर आते-जाते नजर रख सके। यही पर उसने शेहला को मारने की भी स्क्रिप्ट लिखनी शुरू कर दी थी।
इसके लिए भी उसने ध्रुव के ही पोजिशन का इस्तेमाल किया। दरअसल ध्रुव के संगत में रहते-रहते जाहिदा के बहुत से पावरफुल पॉलिटिकल लोगों से कनेक्शन अच्छे बन गए थे। ये कनेक्शन अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोगों से थे। वो अब शेहला को अपने और ध्रुव के रिश्ते के बीच में दिवार मानने लगी थी। इसलिए उसने उसके कत्ल की साजिश में कॉंट्रैक्ट किलर को हायर किया। अब यहां पर कहानी में सुपारी किलर साकिब अली उर्फ डैंजर की एंट्री होती है। शेहला की हत्या के लिए शाकिब अपने दो लड़कों ताबिश और इरफान को भी इस काम में शामिल करता है। हत्या के लिए गाड़ी, हथियार के साथ-साथ शेहला के आने-जाने, उठने-बैठन और मिलने जुलने सबकी प्रोपर रेकी की जाती है। वही उसकी हत्या के लिए समय भी मुर्करर किया जाता है।
16 अगस्त 2011 की सुबह शेहला घर से निकलती है... और अपनी कार में जैसे ही आकर बैठती है वैसे ही उस पर शाकिब व ताबिश ताबड़तोड़ फायरिंग कर देते हैं। गोली लगते ही शेहला की ऑन द स्पॉट मौत हो जाती है। इस हमले के बाद हत्यारा साकिब तकरीबन 11 बजकर 15 मिनट पर जाहिदा को बताता है कि घर के सामने ही काम हो गया। जाहिदा को अब भी तसल्ली नहीं मिली थी। उसने अपनी पीए सबा से कहती है कि शेहला के घर के पास किसी नौकर को भेजकर पता करवाओ की क्या हुआ।
एक न्यूज वेबसाइट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक जाहिदा हत्या वाले दिन की सुबह से ही परेशान थी और वह बार-बार सबा से शेहला के घर पर नजर रखने को कह रही थी। सबा नजर रख तो रही थी लेकिन जाहिदा से कह भी रही थी कि अप्पी, तुम जो कर रही हो, वो ठीक नहीं है लेकिन फिर भी मेरी किस्मत है। सब कुछ जानते हुए मुझे साथ तो देना ही है तुम्हारा। इसके बाद एक नौकर आकर ये कंफर्म करता है कि शेहला को किसी ने गोली मार दी और लाश के सामने भीड़ लगी है। अब जाकर जाहिदा को मन ही मन एक सुकून मिलता है। इसके बाद वो अपनी पर्सनल डायरी निकालकर सुबह में हुई इस घटना का पूरी कहानी लिखती है। जो बाद उसके खिलाफ सबूत बनकर पेश होता है।
दरअसल इवेंट मैनेजमेंट व आरटीआई कार्यकर्ता शेहला, ध्रुव नारायण की संगत और उसकी मदद के बदौलत बहुत ही कम समय में एक मशहूर हस्ती बन गईं थीं। इस तरह दिनदहाड़े हुए कत्ल के बाद उसकी जांच शुरू हो गई और मीडिया समेत कुछ विपक्ष के नेताओं ने भी इस मुद्दे पर जमकर हंगामा किया। वहीं जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी इस केस की कड़ियां उलझती जा रही थी। मीडिया और लोगों के दबाव में आकर राज्य सरकार ने 19 अगस्त, 2011 को यह मामला सीबीआई को सौंप दिया।
सीबीआई ने जब जांच शुरू की तो सबसे पहले इस केस में ध्रुव नारायण का नाम सामने आया। क्योंकि, ध्रुव से उसके रिश्ते थे ये बात जगजाहिर थी। इसके बाद सीबीआई को जाहिदा के इंवोल्व होने की लीड मिली। तब सीबीआई के तत्कालीन संयुक्त निदेशक केशव कुमार के नेतृत्व में एक टीम 29 फरवरी, 2012 को जाहिदा परवेज के ऑफिस, जो भोपाल के पॉश मार्केट एमपी नगर में थी। वहां छापा मारती है। इस छापेमारी के दौरान सीबीआई को वहां से जो-जो सामान बरामद होते हैं उसे देखकर सीबीआई के होश उड़ जाते हैं। सीबीआई को वहां से कई अहम चीजें मिलती है जो इस केस को उलझाने के लिए काफी थी। सीबीआई को वहां से जो सबसे अहम चीज मिलती है वो है जाहिदा की पर्सनल डायरी। इस डायरी ने ही इस पूरे केस के राज से पर्दाफाश कर दिया। इससे कई सनसनीखेज खुलासे हुए।
इंडिया टूडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई को जाहिदा के ऑफिस से जो डायरी मिलती है उसमें ध्रुव नारायण और उसके अवैध संबंधों की पूरी कहानी लिखी होती है। साथ ही सीबीआई ने यहां से सीडी कैसेट और इस्तेमाल हो चुके कंडोम भी बरामद किए थे, जो प्लास्टिक की थैलियों में संभालकर रखे गए थे। ताज्जुब की बात ये है कि वो यूज्ड कंडोम पर उनके इस्तेमाल की तारीख भी लिखी थी। इसके साथ ही प्लास्टिक की ही एक और थैली मिलती है जिसमें बालों का एक गुच्छा भी मिला था। वहीं जो सीडी मिलती है वो ध्रुव नारायण और जाहिदा के अंतरंग पलों के वीडियो थे।
अब सीबीआई के हाथ ऐसा हथियार लग गया था जिसका इस्तेमाल सीबीआई बखूबी उठाना चाहता था। इस सीडी को लेकर सीबीआई ध्रुव नारायण के पास पहुंचा। सीबीआई ने ध्रुव से कहा कि जाहिदा के मन में शहला के प्रति जहर भर गया, जिसे उसने अपनी डायरी में बखूबी जाहिर भी किया था। इसके बाद सीबीआई ने ध्रुव को जाहिदा के दफ्तर से मिली सीडी को दिखाया। जिसे देखकर ध्रुव नारायण सन्न रह गए क्योंकि उन्हें जरा भी इसका अंदाज नहीं था। इसके बाद ध्रुव ने इस सीडी का राज न खोलने के लिए सीबीआई से अनुरोध किया। इसके एवज में ध्रुव नारायण, जाहिदा के खिलाफ मुंह खोलने को राजी हो गए। उधर सीबीआई ने गुप्त रूप से उनके जवाब को रिकॉर्ड कर, जाहिदा को दिखाते हुए कहा कि ध्रुव तुम्हारे खिलाफ सारे राज खोलने को तैयार हो गया है। अब जाहिदा समझ चुकी थी कि अब कोई चांस नहीं बचा है तो उसने शहला की हत्या में ध्रुव नारायण को फंसाने की कोशिश की।
जाहिदा ने सीबीआई से कहा कि साकिब अली से ध्रुव नारायण ने ही उसे मिलवाया था। हालांकि, जाहिदा ने जो दावा किया वो उसे साबित नहीं कर सकी। सीबीआई ने 15 अगस्त, 2011 को शहला को किए गए ध्रुव के फोन कॉल की भी जांच की। उनका पॉलीग्राफ टेस्ट भी करवाया गया, इसके आधार पर ध्रुव को क्लीन चिट दे दिया गया। हालांकि, इस मामले में नाम आने के बाद ध्रुव नारायण सिंह को बीजेपी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
वहीं इस हत्याकांड के तकरीबन 6 साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया। सीबीआई द्वारा पेश की गई सबूतों के आधार पर जाहिदा, सबा, शाकिब और ताबिश को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। जबकि इरफान सरकारी गवाह बन गया था। इसलिए उसे छोड़ दिया गया।