Bhanwari Devi Murder Case: भंवरी देवी हत्याकांड की पूरी कहानी है सियासत, अवैध संबंध और...

भंवरी देवी हत्याकांड: सियासत, अपहरण और हत्या की खौफनाक साजिश
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कोलकाता: पूरे राजस्थान की सियासत में भूचाल लाने वाली ये एक ऐसी कहानी है जिसकी वजह से सरकार को विदेशी एजेंसी की मदद लेनी पड़ी, मंत्री-विधायक और खूंखार सुपारी किलर सबको जेल जाना पड़ा। इस कहानी में अश्लीलता, अपहरण, हत्या, साजिश, सियासत और अश्लील सीडी से जुड़ा पूरा तमाशा है। इस कहानी का नाम है ‘भंवरी देवी हत्याकांड’।

1 सितंबर, 2011 को जोधपुर के पास बिलाड़ा क्षेत्र से एक महिला लापता हो जाती है। वो न तो कोई बड़ी नेता थी और न कोई बड़ी अधिकारी और न कोई वीआईपी। वो सिर्फ एक नर्स थी, लेकिन उसके संबंध कई बड़े-बड़े राजनीतिक लोगों से थे। उस महिला का नाम था भंवरी देवी। उसके गायब होने के बाद उसके पति अमरचंद नट ने आरोप लगाया कि मदेरणा के आदेश पर उसके सहयोगियों ने उसका अपहरण कर उसकी हत्या कर दी है। जिस मदेरणा नाम के शख्स पर आरोप लगा वो कोई आम आदमी नहीं था बल्कि वो उस वक्त के कांग्रेस के कद्दावर नेता और तत्कालीन गहलोत सरकार में जल संसाधन मंत्री थे महिपाल मदेरणा।

अब जाहिर सी बात है कि किसी केस में उस राज्य के मंत्री का नाम आएगा तो वो हाईप्रोफाइल केस बन जाएगा। अब भंवरी देवी के गायब होने का मुद्दा ऐसा बना कि इसकी जांच का जिम्मा सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) को सौंप दी गई। इसके बाद जब सीबीआई ने मामले की जांच पड़ताल की तो राजस्थान समेत पूरे देश की राजनीति में भूचाल आ गया। क्योंकि, राजस्थान के दो बड़े कांग्रेसी नेता समेत कुल 17 आरोपियों की गिरफ्तारी की गई थी।

अब थोड़ा और भी डिटेल में समझते हैं इस कहानी को

36 साल की भंवरी देवी का ताल्लुक राजस्थान की नट बिरादरी से था। यहां पर जाति बताना इसलिए जरूरी था कि क्योंकि आगे की कहानी में आप इसका कारण भी समझ जाएंगे। भंवरी शादीशुदा थी। वो राजस्थान के जोधपुर में बिलाड़ा के जालीवाड़ा गांव के एक सब-सेंटर में सहायक नर्स (एएनएम) का काम करती थीं। 2003 में उसकी ये नौकरी लगी थी। काम के दौरान वो अक्सर ही गायब रहती थी। इसके बाद ऊपर के अधिकारियों से उसकी शिकायत की गई, जांच के बाद अधिकारियों ने उसे सस्पेंड कर दिया। अब बस यहीं से भंवरी देवी का जीवन अलग ट्रैक पर चला जाता है, या यूं कहें कि यू-टर्न लेता है।

कई रिपोर्ट ये बताते हैं कि भंवरी नर्स तो थी लेकिन वो मॉडलिंग और राजस्थानी गानों के एल्बम में भी काम किया करती थी। क्योंकि, वो इन्हीं एल्बम या मॉडलिंग के जरीए राजस्थानी फिल्मों की हीरोईन बनने का सपना देखती थी। लिहाजा अपने इस ख्वाब को पूरा करने के लिए वह कुछ भी कर सकती थी, शायद यही वजह थी कि वो ड्यूटी पर कम ध्यान दिया करती थी।

लिहाजा गांव वालों की शिकायत पर भंवरी देवी को नौकरी से सस्पेंड कर दिया गया था। भंवरी एक गरीब परिवार से थी, उस पर परिवार चलाने की भी जिम्मेदारी थी क्योंकि उसका पति शराबी था, ऐसा रिपोर्टों में बताया गया है। अब भंवरी देवी की नौकरी जा चुकी थी और दूसरी ओर एल्बम में काम करने की वजह से उसकी खूबसूरती के चर्चे भी जोधपुर में खूब होने लगी थी। इसी दौरान वो अपनी एएनएम की नौकरी बचाने के लिए इलाके के विधायक मलखान सिंह के पास जाती है। तब विधायक मलखान सिंह उसे तत्कालीन जल संसाधन मंत्री महिपाल मदेरणा के पास ले जाता है।

अब मंत्री की सिफारिश पर कलेक्टर साहब ने भंवरी देवी का निलंबन रद्द कर देते हैं। साथ ही उसकी नई पोस्टिंग उसके घऱ के नजदीक जालीवाड़ा के सरकारी अस्पताल में कर देते हैं। यही मुलाकात भंवरी की जिंदगी बदल देती है। अब भंवरी का अक्सर आना जाना इन नेताओं के पास होने लगता है।

वो कहते हैं ना कि अगर स्त्री चरित्रहीन होती, तो बलात्कार पुरुषों के होते... नेताओं और नौकरशाहों के संपर्क में आने के बाद वो समझ चुकी थी कि इस सफेद कपड़े और टाई कोर्ट पहन कर बड़े-बड़े एसी रूम में बैठने वाले सभी लोगों का चरित्र उतना भी अच्छा नहीं होता है। भंवरी को राजनेताओं और नौकरशाहों के बीच सेक्स अपील की शक्ति का एहसास जल्दी ही हो गया था। अब उसने इसका फायदा उठाना शुरू कर दिया और खुद के साथ-साथ दूसरों की पोस्टिंग और सिफारिशों के लिए खूब पैसे बटोरे और नेताओं से शारीरिक संबंध भी बनाने लगीं। बहुत ही कम समय भंवरी, जो कहने को तो दाई का काम करती थी लेकिन बहुत ही ज्यादा संपत्ति अर्जित कर ली थी। उसके पास घर, गाड़ी, गहने सब आ गए थे। उसके बच्चे नामी-गिराम इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ने लगे थे।

अब मंत्री-विधायक के संगत कहें या उठना-बैठना कहें या फिर उनके साथ उसके अवैध संबंध कहे... इन्हीं संबंधों के बल पर भंवरी भी सत्ता के गलियारों में चर्चा का विषय बनने लगी थी। बगैर डयूटी पर जाए ही उसे हर महीने सरकारी तनख्वाह मिल रही थी। जबकि मंत्री मदेरणा, विधायक मलखान सिंह जैसे लोगों से उसके रिश्ते को लेकर दबी जुबान में लोग चर्चा तो करते थे लेकिन सत्ता का चरम सुख भोग रहे लोगों को देख सभी चुप रहने में अपनी भलाई समझने लगे।

अब यहां पर हमें मुस्तफा ख़ां शेफ़्ता द्वारा लिखा गया एक शेर याद आता है कि... हम तालिब-ए-शोहरत हैं हमें नंग से क्या काम... बदनाम अगर होंगे तो क्या नाम न होगा... भंवरी देवी का भी हाल कुछ ऐसा ही था। उसने भी साल 2010 तक जमकर सत्ता का सुख भोगा, लेकिन बात तब बिगड़नी शुरू हुई जब उसके शौक बढ़ने लगे और ख्वाहिशें बेलगाम हो गईं। वो अब फिल्मों में नहीं बल्कि राजनीति में कदम रखना चाहती थी, इसके लिए उसने मलखान सिंह बिश्नोई और मंत्री मदेरणा के साथ अपने संबंधों के एवज विधानसभा का टिकट मांगने लगी। जब उनलोगों ने उसे टिकट देने से मना कर दिया, तब भंवरी ने षडयंत्र रचना शुरू कर दिया और अपने अवैध संबंधों के वीडियो (जिसे सेक्स सीडी कहा गया) बनाना शुरू कर दिया।

इस जाल में मदेरणा और मलखान फंस गए। इसके बाद भंवरी ने उन्हें ब्लैकमेल करना शुरू किया तो दोनों उससे दूरी भागने लगे। जो बात भंवरी को अच्छी नहीं लगी। तब भंवरी जोधपुर से जयपुर जा पहुंची और भाजपा नेताओं से संपर्क साधा और यहीं पर उसने कुछ नेताओं से ये खुलासा किया कि उसके पास ऐसी सीडी है जिससे की कांग्रेस की राजस्थान सरकार रातों-रात गिर जाएगी। ये बात मीडिया तक भी पहुंच गई, कुछ मीडिया ने ये तक चला दिया था कि ये कोई सेक्स सीडी है।

जब इस बात की जानकारी मंत्री और विधायक को लगी तो वे दौड़े-दौड़ भंवरी से सुलह करने आ गए। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक तीनों के बीच समझौता हुआ कि भंवरी को उस सीडी के बदले मंत्री जी उसे तकरीबन 60 लाख रुपये देंगे और भंवरी को अब चुप रहना होगा।

यहां पर एक कैरेक्टर की एंट्री होती है उसका नाम है सोहनलाल। सोहनलाल वो शख्स था जिसे भंवरी ने अगस्त, 2011 को अपनी कार बेची थी। उसी का बकाया चार लाख रुपया देने के लिए एक सितंबर को सोहनलाल भंवरी को फोन कर अपने घर बुलाता है। रिपोर्ट के मुताबिक जब भंवरी घर से निकलती है तो कभी वापस नहीं आ पाती है। तकरीबन 12 दिनों तक भंवरी गायब रहती है जब परिवारवालों को उसका कोई सुराग नहीं मिलता है तो उसका पति अमरचंद थाने में जाकर उसके गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवा देता है। यहां पर अमरचंद अपनी पत्नी के गायब होने के पीछे राजस्थान के तत्कालीन जलमंत्री महिपाल मदेरणा को जिम्मेदार ठहराता है। जैसे ही मंत्री का नाम इस मामले में सामने आता है राजस्थान समेत पूरे देश की राजनीति में हड़कंप मच जाता है।

पुलिस हरकत में आती है लेकिन मंत्री-विधायक का नाम सामने आने पर पुलिसिया कार्रवाई... बस कार्रवाई की ही लगती है। इस मामले का पूरा विपक्ष हंगामा करने लगता है दवाब में आकर सरकार ये केस सीबीआई को सौंप देती है।

अब जब सीबीआई इस केस में दिलचस्पी दिखाती है तो वो सबसे पहले ये जानने की कोशिश करती है कि आखिर एक गांव के सरकारी अस्पताल में नर्स का काम करने वाली भंवरी कौन थी, जिसे लेकर मंत्री-विधायक तक लपेटे आ रहे हैं। तब परत-दर-परत राज़ खुलते जाते हैं और सच्चाई सामने आते जाती है। केस की छानबीन के दौरान सीबीआई को ये भी पता चलता है कि इस केस में एक सीडी की भूमिका है? क्योंकि सीडी की कहानी तो खुद भंवरी देवी ने ही कुछ विपक्षी नेताओं से कही थी। सीबीआई की जांच थोड़ी धीरे चलती जरूर है लेकिन सीबीआई मंजिल तक पहुंच ही जाती है।

भंवरी देवी के गायब होने के करीब-करीब 4 महीने बाद पता चलता है कि वो मर चुकी है। तो सवाल ये है कि वो कैसे मरी? दरअसल, भंवरी से कार खरीदने वाला सोहनलाल कोई और नहीं था बल्कि विधायक मलखान सिंह बिश्नोई का भांजा ही था। उसी ने भंवरी देवी को फोन कर कहा था कि सीडी के बदले पैसे लेने के लिए उसे बिलाड़ा जाना पड़ेगा। यहां डील कार की नहीं थी बल्कि डील सीडी की थी लेकिन शुरुआत में मीडिया और लोगों के सामने यही बताया गया था कि कार के पैसे लेने गई भंवरी गायब हो गई है।

अब एक सितंबर को भंवरी बस से बिलाड़ा गई। वहां भंवरी को राजू नाम के शख्स से पैसा मिलना था। ये राजू कोई और नहीं बल्कि राजस्थान का खूंखार अपराधी शहाबुद्दीन था। जो एक बोलोरो में अपने साथियों के साथ बैठकर भंवरी का इंतजार कर रहा था। पैसे की लालच में भंवरी उन सबके जांच में फंस जाती है। राजू सबसे पहले भंवरी से वो सीडी लेता है और गाड़ी में इत्मीनान से बैठ पूरे 52 मिनट फिल्म देखता है।

इसके बाद जब भंवरी पैसे मांगती है तो वो आनाकानी करने लगते है तभी भंवरी को शक हो जाता है और वो जोर-जोर से चिल्लाने लगती है। भंवरी को चिल्लाता देखकर गाड़ी में बैठे तीन लोगों ने उसका मुंह सीटों के बीच में दबाकर मार डाला। इसके बाद भंवरी की लाश को जलौड़ के जंगल में लुहावट नहरी पुलिया पर ले गया और वहीं उसे जला दिया गया।

जहां भंवरी की लाश को जलाया गया था सीबीआई वहां पहुंची और अधजली हड्डियों के टुकड़े को इकट्ठा कर सीएफएसएल (Central Forensic Science Laboratory) से जांच करवाए गए। तब CFSL ने कहा कि वह जली हड्डियों से DNA नहीं निकाल सकती। ऐसे में CFSL का FBI और सीबीआई का इंटरपोल से कॉन्ट्रैक्ट होने के कारण सैंपल को अमेरिका भेजा गया। इन हड्डियों की जांच अमेरिका एजेंसी एफबीआई के सहयोग से कराई गई थी। भंवरी के दो बच्चों के डीएनए से मिलान कर एफबीआई की फॉरेंसिक एक्सपर्ट अंबर बी कार ने बताया कि यह हड्डियां भंवरी की ही हैं। अब मामला और साफ हो गया।

सीबीआई ने कई फोन रिकॉर्डिंग और कुछ सीडी भी बरामद किए। जिसके तहत सीबीआई ने मंत्री मदेरणा, पूर्व विधायक मलखान समेत 17 लोगों की गिरफ्तारियां कीं। सीबीआई ने खुलासा किया कि भंवरी के कत्ल की पहली कड़ी विधायक मलखान सिंह और दूसरी कड़ी पूर्व कैबिनेट मंत्री महिपाल मदेरणा था। क्योंकि, भंवरी सीडी के जरिए मंत्री मदेरणा को ब्लैकमेल कर रही थी। उस सीडी में मंत्री आपत्तिजनक हालत में भंवरी देवी के साथ था। वहीं इस केस में सबसे अहम कड़ी रही इंदिरा बिश्नोई जो की पूर्व विधायक मलखान सिंह बिश्नोई की बहन थी। 16 गिरफ्तारी पहले हो गईं थी लेकिन मलखान फरार हो गई थी जिसे साल 2017 में मध्य प्रदेश से गिरफ्तार किया गया था।

इस केस में इस बात भी खुलासा हुआ कि भंवरी के अपहरण और हत्या की साजिश में मलखान और मदेरणा शामिल था। लेकिन, मदेरणा के साथ सेक्स टेप बनाने में भंवरी का साथ दिया इंदिरा बिश्नोई ने दिया था। इंदिरा का मकसद था कि वो मदेरणा का सेक्स टेप बनवाकर उसे पद से हटाकर अपने भाई मलखान को बैठाए। वहीं सीबीआई रिपोर्ट में ये भी बताया गया भंवरी देवी, मलखान बिश्नोई पर ये दवाब दे रही थी कि वो पब्लिकली ये स्वीकार करे कि भंवरी की छोटी बेटी का पिता मलखान है। साथ ही उसकी छोटी बेटी की शादी खुद करवाएं और 20 किलो सोना और 50 लाख रुपये खर्च करें।

हालांकि, ये पूरा मामला अभी कोर्ट में है। कोई फैसला अभी तक नहीं सुनाया गया है। हालांकि, अक्टूबर, 2021 में इस केस के मुख्य आरोपी महिपाल मदेरणा की मौत हो चुकी है। जबकि कई आरोपी जेल से बाहर आ चुके हैं।

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