

कोलकाताः राज्य के बांकुड़ा जिले में रविवार को एक बूथ-स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) मृत पाया गया, जिसके बाद इन आरोपों को बल मिलने लगा है कि मतदाता सूची में जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से संबंधित काम के दबाव ने इसमें मुख्य भूमिका निभाई हो सकती है।
वहीं इधर मौजूदा एसआईआर प्रक्रिया के दौरान 2002 की मतदाता सूचियों के डिजिटलीकरण में तकनीकी समस्याओं के कारण बीएलओ ऐप में जो मतदाता छूट गये हैं उनकी सुनवाई रुक गई है।
बीएलओ के मृत पाये जान की घटना रानीबांध ब्लॉक में हुई, जहां रविवार सुबह एक स्कूल के परिसर से हराधन मंडल का शव बरामद किया गया। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘मंडल पेशे से स्कूल शिक्षक थे और वह रानीबांध ब्लॉक के रजकाटा क्षेत्र के अंतर्गत बूथ संख्या 206 के बीएलओ के रूप में कार्यरत थे।’’
एक लिखित नोट बरामद
अधिकारी के अनुसार, मौके से मृतक के हस्ताक्षर वाला एक लिखित नोट बरामद हुआ है, जिसमें कथित तौर पर उन्होंने काम के दबाव को झेलने में असमर्थ होने का जिक्र किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने (सुसाइड) नोट को जब्त कर लिया है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।’’ अधिकारी के अनुसार, पुलिस ने मंडल की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है।
अधिकारियों का कहना है कि मामले में सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दो दिसंबर को दावा किया था कि राज्य में एसआईआर के कारण हो रही घबराहट और आत्महत्याओं के चलते अब तक चार बीएलओ सहित 39 आम नागरिकों की मौत हो चुकी है।
बीएलओ ऐप में छूट गये मतदाताओं की सुनवाई रुकी
इधर निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल के जिला चुनाव अधिकारियों को फिर निर्देश जारी किया है कि मौजूदा एसआईआर प्रक्रिया के दौरान 2002 की मतदाता सूचियों के डिजिटलीकरण में तकनीकी समस्याओं के कारण बीएलओ ऐप में जो मतदाता छूट गये हैं उन्हें सुनवाई के लिए नहीं बुलाया जाना चाहिए, भले ही सिस्टम द्वारा ऐसे नोटिस स्वतः उत्पन्न हो गए हों।
पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय द्वारा शनिवार को जारी निर्देश में कहा गया है कि यह समस्या 2002 की मतदाता सूची के पीडीएफ संस्करण को सीएसवी प्रारूप में पूरी तरह से परिवर्तित न कर पाने के कारण उत्पन्न हुई है। परिणामस्वरूप कई मतदाताओं के लिए बूथ-स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) ऐप में ‘लिंकिंग’ में समस्या आ रही है। राज्य में पिछला विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) 2002 में किया गया था। आयोग ने कहा है कि सिस्टम में ‘दर्ज नहीं’ के रूप में चिह्नित होने के बावजूद, ऐसे कई मतदाताओं का 2002 की मतदाता सूची की हार्ड कॉपी के साथ वैध स्व-पहचान या वंशज संबंध है, जिसे जिला चुनाव अधिकारियों (डीईओ) द्वारा विधिवत प्रमाणित किया गया है और सीईओ की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है।
ईआरओ स्तर पर सुनवाई का निर्देश
सीईओ कार्यालय ने कहा कि ऐसे मामलों में स्वचालित रूप से उत्पन्न होने वाले सुनवाई नोटिसों को तामील करने की आवश्यकता नहीं है और उन्हें चुनावी पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) या सहायक चुनावी पंजीकरण अधिकारी (एईआरओ) के स्तर पर रख लिया जाना चाहिए।
निर्देशों के अनुसार, 2002 की मतदाता सूची के अंश को संबंधित जिला चुनाव अधिकारी (डीईओ) को निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार सत्यापन हेतु भेजे जा सकते हैं। सत्यापन के बाद, ईआरओ या एईआरओ उचित निर्णय ले सकते हैं और मामलों के निपटान के लिए आवश्यक दस्तावेज अपलोड कर सकते हैं। इस निर्देश में बीएलओ को क्षेत्र सत्यापन के लिए नियुक्त करने की अनुमति भी दी गई है, जिसमें संबंधित मतदाताओं की तस्वीरें लेना और उन्हें सिस्टम में अपलोड करना शामिल है।