

नई दिल्ली - भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर एक नहीं बल्कि तीन मंचों से आधिकारिक तौर पर यह बात कह चुके हैं कि भारत की ब्रिक्स संगठन के साथ मिल कर अंतरराष्ट्रीय कारोबार से अमेरिकी डॉलर को बाहर करने की कोई मंशा नहीं है। यह बात अब तक अमेरिका की नई सत्ता को समझ नहीं आई है।
क्या हैं आरोप ?
25 मार्च मंगलवार को अमेरिका की खुफिया विभाग की तरफ से जारी सालाना रिपोर्ट में यह बात दोहराई गई है कि रूस, भारत और चीन की सदस्यता वाले ब्रिक्स संगठन की तरफ से डि- डॉलराइजेशन की कोशिश की जा रही है। इसके लिए रूस को मुख्य ताौर पर जिम्मेदार ठहराया गया है लेकिन रिपोर्ट में भारत का भी नाम है।
भारत के लिए एक खुशखबरी
अमेरिका पर संभावित खतरे विषय पर तैयार यह रिपोर्ट तुलसी गाबार्ड के कार्यालय ने जारी की है। आपको बता दें कि तुलसी गबार्ड अमेरिका की खुफिया एजेंसी की निदेशक हैं। हाल ही में गबार्ड ने भारत की यात्रा भी की थी। इस रिपोर्ट में भारत के लिए एक अच्छी बात यह है कि इसमें लश्कर-ए-तैयबा जैसे भारत विरोधी आंतकी संगठन को अमेरिका ने लिए भी खतरे के तौर पर चिन्हित किया गया है। संभव है कि इन संगठनों के खिलाफ अमेरिकी एजेंसी का दबाव आने वाले समय में और देखने को मिलेगा।