

नई दिल्ली : रविवार को कश्मीर में पुलिस जांच में एक गाड़ी से AK-47 और उसकी ढेर सारी गोलियां बरामद की गईं। जांच में पता चला कि गाड़ी लखनऊ की डॉ. शाहीन शाहीद की है। वह गाड़ी उसका प्रेमी कश्मीर का डॉ. मुजम्मिल गनी इस्तेमाल कर रहा था। वह फिलहाल फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था। जम्मू पुलिस ने उसके ठिकानों पर छापा मारा तो फरीदाबाद में उसके किराये के कमरे से 360 किलो विस्फोटक बरामद हुआ।
आशंका है कि यह अमोनियम नाइट्रेट हो सकता है, जिससे धमाके किए जा सकते हैं। उसकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने लखनऊ से उसकी प्रेमिका डॉ. शाहीन को भी गिरफ्तार कर लिया। तीसरा आतंकी डॉक्टर सहारनपुर में रह रहा था। वह पहले कश्मीर में रह चुका है और वहीं से आतंकियों के साथ जुड़ा था।
कुल 8 आतंकी गिरफ्तार
कई राज्यों की पुलिस ने संयुक्त व अलग-अलग ऑपरेशन चलाकर गुजरात, हरियाणा, यूपी और कश्मीर से कुल 8 आतंकियों को गिरफ्तार किया। इनसे 2,900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री जब्त की गई। इनमें अमोनियम नाइट्रेट, पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर शामिल हैं। विभिन्न स्थानों से की गई बरामदगी में चीनी स्टार पिस्तौल, बरेटा पिस्तौल, AK-56 राइफल, AK क्रिंकॉव राइफल, विस्फोटक, रसायन, रिएजेंट्स, ज्वलनशील सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, बैटरियां, तार, रिमोट कंट्रोल, टाइमर आदि शामिल हैं।
पुलिस का दावा है कि इन गिरफ्तारियों और जब्ती से जम्मू-कश्मीर, हरियणा और उत्तर प्रदेश में फैले जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवातुल हिंद के आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ है। पुलिस ने इस अभियान के जरिये जैश-ए-मोहम्मद और भारत में ISIS से जुड़े अंसार गजवातुल-हिंद के मंसूबों को नाकाम किया है।
7 आतंकी कश्मीर से
मुजम्मिल अहमद गनी श्रीनगर में जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन में पोस्टर लगाने के मामले में वांछित था। श्रीनगर के नौगाम के निवासी अरिफ निजार डार, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार; शोपियां का मौलवी इरफान अहमद; गंदेरबल के वकुरा का निवासी जमीर अहमद आहंगर, पुलवामा का डॉ. मुजम्मिल गनी, कुलगाम के वनपोरा क्षेत्र का रहने वाला डॉ. आदिल और लखनऊ की डॉ. शाहीन गिरफ्त में आए हैं।
अधिकारियों ने दावा कि गनी और आदिल के फोन पर कई पाकिस्तानी नंबर पाए गए थे और वे नेटवर्क के संभावित हैंडलर हो सकते हैं। श्रीनगर के बुनपोरा नौगाम क्षेत्र में पुलिस और सुरक्षा बलों को धमकाने के लिए 19 अक्टूबर को विभिन्न स्थानों पर जैश-ए-मोहम्मद के कई पोस्टर चिपके हुए पाए गए थे। यह जांच की शुरुआत थी, जिससे अंतर-राज्यीय आतंकवादी नेटवर्क का खुलासा हुआ। जांच में एक सफेदपोश आतंकवादी ईकोसिस्टम का पता चला, जिसमें कट्टरपंथी पेशेवर और छात्र पाकिस्तान और अन्य देशों से काम कर रहे विदेशी आकाओं से संपर्क में थे।
आतंकी विचारधारा का प्रसार करने को ऐसे जुटाया धन
पुलिस के एक प्रवक्ता ने श्रीनगर में कहा कि यह समूह आतंकी विचारधारा का प्रसार करने, समन्वय करने, धन का लेन देन करने और साजो-सामान की व्यवस्था के लिए ‘इन्क्रिप्टेड’ (गुप्त) माध्यमों का इस्तेमाल कर रहा है। इस समूह ने सामाजिक/धर्मार्थ कार्यों की आड़ में पेशेवर और शैक्षणिक नेटवर्क के जरिए धन जुटाया। आरोपी व्यक्ति लोगों को कट्टरपंथी बनाने, आतंकवादी संगठनों में भर्ती करने, धन जुटाने, साजो-सामान की व्यवस्था करने, हथियार/गोला-बारूद और आईईडी तैयार करने की सामग्री जुटाने में शामिल पाए गए।