कोलकाता: नयी टेक्नोलॉजी के युग ने अपराधियों के काम करने के तरीके को भी बदल दिया है। शहरी इलाकों में चोरी और डकैती जैसे अपराध काफी कम हो गये हैं, लेकिन साइबर अपराध की संख्या लगातार बढ़ रही है, इसलिए साइबर अपराधियों की पहचान करने के लिए उनके रिकॉर्ड को भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र में पंजीकृत किया जा रहा है। पुलिस उनके नाम, फोटो, फिंगर प्रिंट, फोन नंबर समेत सारी जानकारी गृह मंत्रालय के आई4सी पोर्टल पर भेज रही है।
पोर्टल पर दर्ज होगी अपराधियों की जानकारी
लालबाजार सूत्रों के अनुसार साइबर अपराध विभिन्न प्रकार के होते हैं। जैसे साइबर अटैक, आतंकवादी कभी-कभी ऐसे हमलों को अंजाम देते रहते हैं। साइबर अपराधी इस हमले का इस्तेमाल डेटा चुराने के लिए भी करते हैं। फिर घर बैठे कमाई, ऑनलाइन सेवाएं, निवेश के नाम पर धोखाधड़ी, इस प्रकार के साइबर अपराध हाल ही में बहुत बढ़ गए हैं। अन्य अपराधियों की तरह इन अपराधियों पर भी गिरफ्तारी के बाद थाने में मामला दर्ज किया जाता है। अब वह जानकारी आई4सी पोर्टल पर भी अपलोड की जा रही है। इससे अपराधियों की पहचान करने में मदद मिलेगी। उनके अपराधों का सारा रिकॉर्ड भी उपलब्ध होगा। इससे भविष्य में यदि अभियुक्त कोई अपराध करता है तो जांच में भी आसानी होगी। तकनीक का दुरुपयोग कर जालसाज नागरिकों का बैंक बैलेंस तो खाली कर ही रहे हैं, कई लोगों की बची-खुची संपत्ति भी लूट रहे हैं। कई लोग साइबर अपराधियों का शिकार बन रहे हैं। शहर में कोलकाता पुलिस के साइबर सेल में ऐसी चार से पांच शिकायतें दर्ज हो रही हैं। साइबर क्राइम पर लगाम कसना अब पुलिस प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। तकनीक का इस्तेमाल कर पुलिस को कई मामलों में सफलता भी मिल रही है। कई अभियुक्त पकड़े गए हैं, लेकिन इस तरह के अपराध में अभियुक्त को आसानी से जमानत मिल जाती है। जमानत मिलने के बाद वह फिर से वही काम करने लगता है।