सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : बागजोला व केष्टोपुर कैनल में प्रदूषण को लेकर एनजीटी ने राज्य के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत तौर पर एफिडेविट जमा देने का निर्देश दिया है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि इसे लेकर कोई स्पष्टता नहीं है कि यहां से अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी किस विभाग की होगी। इसके अलावा विभिन्न विभागों को भी एनजीटी ने फटकार लगायी और कहा कि पर्यावरण से संबंधित मामलों में ये विभाग गंभीर नहीं हैं।
जमीन नहीं मिली तो क्या एसटीपी इंस्टॉल नहीं होगा ?
इस मामले में पर्यावरण विभाग द्वारा दायर एफिडेविट को लेकर एनजीटी ने कई निर्देश दिये हैं। एफिडेविट में कहा गया है कि टेंडर के लिए 5 बार आमंत्रित किये जाने के बावजूद यह मेच्योर नहीं हुआ। इसे लेकर एनजीटी ने कहा कि अगर टेंडर मेच्योर नहीं होता है तो क्या सरकार इसी तरह लाचारों की तरह बैठी रहेगी ? बरानगर, साउथ दमदम, नॉर्थ दमदम पालिका व विधाननगर नगर निगम ने जमीन उपलब्ध होने पर एसटीपी (सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) बनाने की बात कही जिस पर एनजीटी ने पूछा कि जमीन नहीं मिली तो क्या एसटीपी इंस्टॉल नहीं किया जाएगा ?
वॉटरबॉडी पर कैसे बना रहे एसटीपी ?
वहीं बोनहुगली को लेकर प्रस्तावित एसटीपी बोनहुगली लेक पर बनाने की बात एफिडेविट में कही गयी जिस पर एनजीटी ने सवाल उठाये क्योंकि यह वॉटरबॉडी है। इस मामले में 28 फरवरी 2025 तक काम पूरा करने का निर्देश दिया गया। वहीं डीपीआर के लिए वित्त विभाग से अनुमोदन बाकी होने के मुद्दे पर एनजीटी ने कहा कि कब तक विभाग इस मुद्दे पर सोया रहेगा।
हर मुद्दे पर फंड की कमी जैसे कारण बताती है सरकार
इसके अलावा एफिडेविट में अतिक्रमण को लेकर कहा गया है कि अथॉरिटी द्वारा सर्वे कर अतिक्रमणकारियों की संख्या निकाली जाएगी। इस पर एनजीटी ने कहा कि इसकी कोई टाइमलाइन नहीं दी गयी है। इसके अलावा अतिक्रमणकारियों के पुनर्वासन को लेकर कोई योजना रिपोर्ट भी जमा नहीं की गयी है। अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए एफिडेविट में शहरी विकास विभाग की जिम्मेदारी होने की बात कही गयी जबकि शहरी विकास विभाग द्वारा कहा गया कि सिंचाई व जलसंपद विभाग इस मामले को देखेगा। ऐसे में एनजीटी ने कहा कि अतिक्रमण से जुड़ा मुद्दा किस विभाग का है, इसे लेकर कन्फ्यूजन है। इस कारण मुख्य सचिव को इस पर व्यक्तिगत एफिडेविट जमा देना होगा। एफिडेविट में कहा गया कि न्यूटाउन में 100% कचरा पृथकीकरण में जून 2027 तक समय लगेगा। इस पर एनजीटी ने फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार पर्यावरण से जुड़े किसी मामले को लेकर गंभीर नहीं है। हर मुद्दे के लिए सरकार फंड की कमी जैसे कारण बता रही है जबकि पहले ही पर्यावरण से जुड़े कार्यों के लिए 3,500 करोड़ रुपये अलग रखने के निर्देश दिये गये थे। मामले में मुख्य सचिव को निर्देश दिया गया कि उक्त सभी मुद्दे मुख्य सचिव को एफिडेविट में देनी होगी और मामले की अगली सुनवाई 1 अप्रैल 2025 काे होगी।
बागजोला और केष्टोपुर में प्रदूषण : पर्यावरण को लेकर गंभीर नहीं सरकार
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